Healthy Insurance: ग्रुप इंश्योरेंस के साथ भी पर्सनल हैल्थ पॉलिसी होना है जरूरी, ये हैं फायदे
अगर आपको अपने ऑफिस से ग्रुप इंश्योरेंस का फायदा मिल रहा है, फिर भी आप पर्सनल हेल्थ पॉलिसी जरूर लें। इससे आपको अनिश्चितताओं से बेहतर रूप से सुरक्षा मिलेगी।
नई दिल्ली। मुंबई में रहने वाले कार्तिक की 30 फीसदी सैलरी ग्रोथ के साथ एक फाइनेंस फर्म में जॉब लगी है। कार्तिक को नई कंपनी 10 जनवरी को जॉइन करनी है। इससे पहले उसने अपनी पुरानी कंपनी से 31 दिसंबर को ही इस्तीफा दे दिया है। नई जॉब को लेकर बेहद उत्साहित कार्तिक ने दोस्तों के साथ पार्टी की, लेकिन पार्टी से लौटते वक्त उसका एक्सीडेंट हो गया। एक हफ्ते अस्पताल में इलाज कराने के बाद वो ठीक तो हो गया, लेकिन अस्पताल में उसके इलाज पर 75,000 रुपए खर्च हुए। कार्तिक के पास सिर्फ पुरानी कंपनी का ग्रुप हेल्थ इंश्योरेंस था, जो कि जॉब छोड़ने के साथ ही खत्म हो गया। ऐसे में इलाज का पूरा खर्च कार्तिक को लोन लेकर उठाना पड़ा। कार्तिक की गलती हमें बताती है कि सभी लोगों को ग्रुप हेल्थ प्लान के अलावा इंडीविजुअल पॉलिसी भी लेनी चाहिए। यही ध्यान में रखते हुए इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको बता रही है इंडिविजुअल इंश्योरेंस के फायदे, जो नौकरी के होते हुए और नौकरी छूटने के बाद भी फायदा देते हैं।
नौकरी छूटे या रहे आपको मिलती है सुरक्षा
आपकी जिंदगी में सभी दिन अच्छे दिन नहीं होते। मंदी के दौर में प्राइवेट कंपनी की जॉब भी पूरी तरह अनिश्चित हो गई है। वहीं कई बार हम अपनी अपॉर्च्युनिटी को देखकर जॉब स्विच कर देते हैं। लेकिन हमें ग्रुप इंश्योरेंस का फायदा तभी तक मिलता है, जब तक हम जॉब में रहते हैं। एक बार नौकरी छोड़ने के बाद कंपनी हमें कवरेज नहीं देती। कई बार नौकरी छूटने पर हमें 6 महीने से लेकर साल भर तक खाली बैठना पड़ता है। ऐसे समय में हमारी पर्सनल हेल्थ पॉलिसी हमें सुरक्षा देती है।
सुरक्षा के साथ टैक्स बैनिफिट
हेल्थ इंश्योरेंस हमें आकस्मिक परिस्थिति से सुरक्षा तो प्रदान करती ही है, साथ ही इससे टैक्स बैनिफिट भी मिलते हैं। आप अगर अपने और पत्नी, बच्चे, माता-पिता के नाम पर हेल्थ पॉलिसी लेते हैं तो इससे आपको इंश्योरेंस के साथ ही प्रीमियम पर आयकर की धारा 80 डी के तहत टैक्स छूट भी हासिल होती है। जबकि ग्रुप इंश्योरेंस पालिसी में आपको किसी प्रकार की टैक्स छूट हासिल नहीं होती।
हेल्थ चैकअप से मुक्ति
कई इंश्योरेंस कंपनियां 45 साल की उम्र के बाद हैल्थ पॉलिसी लेने पर अनिवार्य रूप से हैल्थ चैकअप करवाती हैं। वहीं बहुत सी कंपनियां 60 साल से अधिक उम्र के लोगों का इंश्योरेंस करने से मना कर देते हैं। या फिर इंश्योरेंस करते भी हैं तो उसका प्रीमियम काफी अधिक होता है। ऐसे में यह समझदारी पूर्ण कदम होगा कि आप अपनी ग्रुप हैल्थ पॉलिसी के साथ ही पर्सनल हैल्थ पॉलिसी भी शुरू करें। कम उम्र में पालिसी लेने से हैल्थ चैकअप से मुक्ति मिलती है, साथ ही प्रीमियम भी कम हो जाता है।
उठा सकते हैं प्री एक्जिस्टिंग डिजीज का फायदा
ग्रुप हेल्थ इंश्यारेंस का दायरा काफी व्यापक होता है, नौकरी पर होते हुए आपको बिना मेडिकल टेस्ट कराए इंश्योरेंस का फायदा मिलता है, यहां प्री एग्जिस्टिंग डिजीज की भी कोई बाध्यता नहीं होती। जबकि पर्सनल हैल्थ पॉलिसी शुरूआत में लिमिटेड डिजीज कवर करती हैं। कई पॉलिसी 4 साल तक लगातार प्रीमियम भरने पर क्रिटिकल इलनेस का फायदा देती हैं। ऐसे में ग्रुप इंश्योरेंस के साथ आप क्रिटिकल इलनेस पीरिएड को कवर कर सकते हैं।
नो क्लेम बोनस का मिल सकता है फायदा
हैल्थ इंश्योरेंस कंपनियां कस्टमर्स को नो क्लेम बोनस का फायदा देती हैं। यह बोनस उस परिस्थिति में मिलता है जब आप साल भर इंश्योरेंस कंपनी से किसी प्रकार का क्लेम नहीं करते। लेकिन ग्रुप हेल्थ पॉलिसी में किसी प्रकार का नो क्लेम बोनस नहीं मिलता। ऐसे में यदि आप अस्पताल में एडमिट होते हैं, तो आप ग्रुप हैल्थ पॉलिसी से क्लेम कर सकते हैं। और अपनी पर्सनल इंश्योरेंस पॉलिसी पर नो क्लेम बोनस का फायदा उठा सकते हैं।