जानिए कैसे तय होती है क्रेडिट कार्ड की लिमिट? ऐसे करवा सकते हैं इसमें इजाफा
जानकार हमेशा क्रेडिट कार्ड होल्डर्स को यही राय देते हैं कि अपनी क्रेडिट लिमिट का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं करें। क्रेडिट लिमिट का पूरा इस्तेमाल होने से क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो बढ़ जाती है
नई दिल्ली। क्रेडिट लिमिट वह लिमिट होती है जिसके बारे में कोई भी बैंक या वित्तीय संस्थान क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारी के तौर पर सबसे पहले देता है, हम जब भी क्रेडिट कार्ड हासिल करते हैं तो उसके जरिए दी गई लिमिट के आधार पर ही खरीदारी करते हैं, ऐसे में जो भी लोग क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करते हैं वह क्रेडिट लिमिट या क्रेडिट कार्ड लिमिट से अंजान नहीं हैं।
लेकिन फिर भी याद दिलाने के लिए इसकी जानकारी दी जा रही है, क्रेडिट लिमिट वह लिमिट होती है जिसके बराबर क्रेडिट कार्ड होल्डर अपने कार्ड से अधिकतम खर्च कर सकता है। यह लिमिट बैंकों और वित्तीय संस्थानों की तरफ से तय की जाती है और हर क्रेडिट कार्ड पर एक समान नहीं होती है। क्रेडिट कार्ड पर लाभ और विशेषताओं के आधर पर ही क्रेडिट लिमिट तय होती है।
क्रेडिट कार्ड की क्रेडिट लिमिट का कितना इस्तेमाल किया जाए? इसके बारे मे जानकारी लेने से पहले क्रेडिट लिमिट की कुछ जरूरी बातों को जानना जरूरी है।
बैंक क्रेडिट लिमिट कैसे तय करते हैं?
क्रेडिट लिमिट तय करने का कोई सटीक तरीका नहीं है क्योंकि बैंक को लिमिट तय करने का अधिकार होता है, ऐसे में कई बार क्रेडिट कार्ड पर दी जाने वाली क्रेडिट लिमिट का अंदाजा लगाना कई बार मुश्किल होता है। फिर भी कई ऐसे मानक होते हैं जिन्हें देखकर बैंक क्रेडिट कार्ड की लिमिट तय करता है।
आपकी क्रेडिट लिमिट तय करने से पहले बैंक आपकी मासिक कमाई, फिक्स खर्चे और वित्तीय दायित्वों के बारे में जानकारी हासिल करेगा।
क्रेडिट लिमिट तय करने से पहले बैंक कुछ कागजात की जांच करके आपके वित्यीय हालात की जानकारी हासिल करेगा। बैंक आपकी सेलरी स्लिप, टैक्स डॉक्यूमेंट, बैंक स्टेटमेंट, और क्रेडिट रिपोर्ट से आपके वित्तीय हालात को समझेगा।
एक बार आपके वित्तीय हालात से जुड़े सभी कागजात जब बैंक के पास आ जाएंगे तो बैंक आपकी मासिक कमाई को 2 या 3 से गुणा करेगा, इसके बाद जो आंकड़ा आएगा उसमें से बैंक आपके आधारभूत और फिक्स खर्चों जैसे घर का खर्च और किराया, होम या कार लोन की ईएमआई वगैरह को घटा लेगा। बैंक आपके मासिक वेतन को 2 से गुणा करेगा या 3 से गुणा करेगा यह इस बात पर निर्भर करता है कि बैंक की क्रेडिट पॉलिसी क्या है और क्रेडिट कार्ड के आवेदन का रिस्क फेक्टर कैसा है।
इस तमाम कार्यवाही के बाद बैंक आपकी कर्ज और कमाई की रेश्यो की गणना करेगा, इसके लिए बैंक आपकी सभी ईएमआई को आपकी मासिक कमाई से भाग देगा, क्रेडिट लिमिट तय करते समय कर्ज और कमाई की रेश्यो को ध्यान में रखा जाएगा।
कैश लिमिट भी क्रेडिट लिमिट का ही हिस्सा है
जिस तरह से क्रेडिट लिमिट यह बताती है कि आप क्रेडिट कार्ड से कितना खर्च कर सकते हैं उसी तरह से कैश लिमिट यह बताती है कि क्रेडिट कार्ड के जरिए से आप कितना कैश निकलवा सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड कैश निकलवाने का फीचर भी देता है जिसके जरिए कार्ड होल्डर को एक निश्चित लिमिट तक कैश निकलवाने का अधिकार होता है।
यह जानना जरूरी है कि कैश लिमिट क्रेडिट कार्ड की कुल क्रेडिट लिमिट का ही हिस्सा है, इसे क्रेडिट कार्ड के जरिए अतीरिक्त कैश अमाउंट के तौर पर नहीं देखना चाहिए।
उदाहरण के दौर पर अगर किसी क्रेडिट कार्ड की क्रेडिट लिमिट 50,000 रुपए और कैश लिमिट 10,000 रुपए है तो कार्ड होल्डर अधिकतम 50,000 रुपए तक ही खर्च कर सकता है न कि 60,000 रुपए। सीधे शब्दों में कहा जाए तो कैश निकलवाने क लिमिट क्रेडिट लिमिट का ही हिस्सा है न की अतिरिक्त लिमिट है।
क्रेडिट लिमिट पूरी तरह से इस्तेमाल करने का परिणाम
अब फिर से मुख्य बिंदु पर वापस लौटते हैं कि क्रेडिट लिमिट का कितना इस्तेमाल किया जाना चाहिए। यह कई लोगों को सुनने में कुछ अटपटा लग सकता है क्योंकि लिमिट तो पहले से ही तय की जा चुकी है ऐसे में दोबारा लिमिट लगाने का कोई तुक नहीं बैठता। लेकिन जानकार हमेशा क्रेडिट कार्ड होल्डर्स को यही राय देते हैं कि अपनी क्रेडिट लिमिट का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं करें। क्रेडिट लिमिट का पूरा इस्तेमाल होने से क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो बढ़ जाती है जिससे आपका क्रेडिट स्कोर खराब हो सकता है। चलिए जानते हैं ऐसा कैसे होता है?
क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो
आपको शायद क्रेडिट स्कोर के बारे में जानकारी होगी, यह वह आंकड़ा होता है जिसे आपके कर्ज उठाने के इतिहास और उसे चुकाने के व्यवहार के आधार पर निकाला जाता है। आम तौर पर ज्यादा क्रेडिट स्कोर होने का मतलब है आपको दिया जाने वाले कर्ज के डूबने का रिस्क कम है, ऐसा होने पर बैंक या दूसरा कर्जदाता आपका लोन आसानी और तेजी से मंजूर कर लेगा।
कर्ज उपयोग की रेश्यो की बात करें ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि यह क्या होती है और किस तरह से क्रेडिट स्कोर को प्रभावित करती है। आसान शब्दों में कहें तो कर्ज यूटिलाइजेशन रेश्यो वह प्रतिशत है जिसका इस्तेमाल आपने कुल क्रेडिट लिमिट में से किया है। कुल क्रेडिट लिमिट में सिर्फ एक क्रेडिट कार्ड की क्रेडिट लिमिट शामिल नहीं होगी बल्कि इसमें कार्ड होल्डर के सभी क्रेडिट कार्डों की क्रेडिट लिमिट होगी।
उदाहरण के तौर पर कहें, मान लिया जाए कि आपके पास 3 अलग-अलग क्रेडिट कार्ड हैं और हर क्रेडिट कार्ड की लिमिट 10,000 रुपए हो और आपने हर कार्ड में से 2000-2000 खर्च किए हों, ऐसे में आपकी क्रेडिट लिमिट 30000 रुपए है और आपने इस लिमिट में से 6000 रुपए खर्च किए हैं, इस लिहाज से आपकी क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो 20 प्रतिशत बनेगी (6000/30000*100 = 20)।
ज्यादा क्रेडिट लिमिट इस्तेमाल करने से क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो भी होती है ज्यादा
क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो का मतलब है कि आपने दी गई क्रेडिट लिमिट में से कितना क्रेडिट इस्तेमाल किया है, कम क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो का मतलब है कि कर्ज पर आपकी निर्भरता कम है, वहीं अधिक क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो का मतलब है कि कर्ज पर आपकी निर्भरता ज्यादा है।
उदाहरण के तौर पर कहें तो मान लिया जाए कि आपके पास 3 अलग-अलग क्रेडिट कार्ड हैं और हर क्रेडिट कार्ड की लिमिट 10,000 रुपए हो और आपने हर कार्ड में से 9000-9000 खर्च किए हों, ऐसे में आपकी कुल क्रेडिट लिमिट 30000 रुपए है और आपने इस लिमिट में से 27000 रुपए खर्च किए हैं, इस लिहाज से आपकी क्रेडिट यूटिलाइजेशन बढ़कर 90 प्रतिशत हो जाएगी, यानि आपने अपनी कुल क्रेडिट लिमिट का 90 फीसदी इस्तेमाल कर लिया है।
क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो की गणना किसी एक या ज्यादा कार्ड पर की जा सकती है, आप खर्च करके अपनी क्रेडिट लिमिट के जितना नजदीक जाएंगे आपकी क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो उसी तरह बढ़ती जाएगी।
ज्यादा क्रेडिट युटिलाजेशन रेश्यो का मतलब है कम क्रेडिट स्कोर
ज्यादा क्रेडिट युटिलाजेशन रेश्यो का सबसे पहला परिणा होगा आपका कम क्रेडिट स्कोर, क्योंकि कर्ज देने कि लिए किसी व्यक्ति की पात्रता को जानने के लिए यह एक अहम पहलू है, इसकी वजह से किसी भी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर 30 प्रतिशत तक प्रभावित होता है।
क्रेडिट स्कोर कम होने की वजह से लोन लेने की आपकी पात्रता पर रिस्क बढ़ जाता है। कम क्रेडिट स्कोर की वजह से बैंक आपको जरूरत से कम लोन लेने के लिए कह सकता है, या फिर आपको सामान्य से ज्यादा ब्याज की दर पर लोन उठाना पड़ सकता है, या फिर लोन के लिए आपका आवेदन भी रद्द हो सकता है। अगर आप भविष्य में होम लोन जैसा बड़ा लोन उठाने की योजना बना रहे हों तो उसके लिए कम क्रेडिट स्कोर अच्छा नहीं होगा।
क्रेडिट लिमिट का कितना इस्तेमाल किया जा सकता है
आप यह जान गए हैं कि क्रेडिट लिमिट का पूरी तरह से इस्तेमाल करने का क्या परिणा हो सकता है, अब चलिए यह जानते हैं कि क्रेडिट लिमिट का कितना इस्तेमाल सुरक्षित रहता है।
जानकारों के मुताबिक क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेश्यो को 30 प्रतिशत पर रखना समझदारी है, इसका मतलब है कि आपको क्रेडिट कार्ड से खर्च करने की जितनी क्रेडिट लिमिट मिली हुई है उसका सिर्फ 30 प्रतिशत ही इस्तेमाल होना चाहिए। चाहे आप एक कार्ड का इस्तेमाल करते हों या फिर एक से ज्यादा कार्ड का इस्तेमाल, बेहतर क्रेडिट स्कोर के लिए 30 प्रतिशत से ज्यादा क्रेडिट लिमिट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
उदाहरण के तौर पर कहें, मान लिया जाए कि आपकी क्रेडिट लिमिट 1 लाख रुपए है, अच्छा क्रेडिट स्कोर बनाए रखने के लिए आपको क्रेडिट कार्ड से खर्च की लिमिट को 30,000-35,000 रुपए पर बांधना होगा। इस बात का भी ध्यान रखें कि खर्च किए गए क्रेडिट का भुगतान समय पर कर दें।
अगर आप अपने खर्चों पर कंट्रोल नहीं कर पाते हैं तो क्रेडिट स्कोर खराब होने से बचाने के लिए अपनी क्रेडिट लिमिट को बढ़वा लें, लेकिन क्रेडिट लिमिट तभी बढ़वाई जा सकती है जब आप कार्ड का इस्तेमाल कम से कम 6 महीने से कर रहे हों और आपने उठाए कर्ज का भुगतान समय पर किया हो। क्रेडिट लिमिट को बढ़वाने के लिए आप इसके लिए संबधित बैंक के कस्टमर केयर से संपर्क करके आवेदन कर सकते हैं। हालांकि आपके आवेदन को स्वीकार करना या रिजेक्ट करना बैंक का फैसला होगा।
(Disclaimer: यह आर्टिकल bankbazaar.com द्वारा प्रायोजित है)