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मैटरनिटी के लिए महंगा हेल्‍थ कवर लेने में जानिए कितनी समझदारी

क्‍या मैटरनिटी के लिए स्‍पेशल पॉलिसी लेना आपके लिए ठीक है, आपके लिए फायदेमंद है कि नहीं, आज इंडिया टीवी पैसा की टीम इन्‍हीं सब सवालों के जवाब लेकर आई है।

नई दिल्‍ली। अगर आप मान लेते हैं कि हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कवर लेने के बाद आपके सभी प्रकार के हॉस्‍पिटल खर्च से आपको निजात मिल गई है, तो आप पूरी तरह से गलत हैं। बहुत से खर्च इंश्‍योरेंस के दायरे से बाहर होते हैं, उनमें से अहम है मैटरनिटी एक्‍सपेंस। आज के समय में सामान्‍य डिलिवरी का खर्च 30,000 से 80,000 या लाख रुपए होता है वहीं सिजेरियन के मामले में खर्च डेढ़ लाख के भी पार चला जाता है। लेकिन फिर भी किसी भी सामान्‍य हैल्‍थ पॉलिसी में मैटरनिटी खर्च शामिल नहीं होते। हालांकि कंपनियां अब कई इंश्‍योरेंस कंपनियां मैटरनिटी कवरेज के साथ स्‍पेशल पॉलिसी या फिर टॉप-अप पॉलिसी पेश करती हैं। लेकिन यहां भी आपको सिर्फ 50000 रुपए की लिमिट ही मिलती है। तो क्‍या मैटरनिटी के लिए स्‍पेशल पॉलिसी लेना आपके लिए ठीक है, इसमें क्‍या कवर होता है, आपके लिए फायदेमंद है कि नहीं, आज इंडिया टीवी पैसा की टीम इन्‍हीं सब सवालों के जवाब लेकर आई है। तो जानते हैं मैटरनिटी बैनिफिट आपके लिए कितनी फायदेमंद है।

मैटरनिटी बैनिफिट क्‍यों शामिल नहीं होते

सभी इंश्‍योरेंस पॉलिसी लेने वालों के जेहन में यही सवाल कौंधता है कि जब इंश्‍योरेंस कंपनी ज्‍यादातर खर्च को पॉलिसी में कवर करती है तो मैटरनिटी खर्च को क्‍यों नहीं। इसका जवाब आसान है। इंश्‍योरेंस आमतौर पर ऐसे खर्च के लिए दिया जाता है जो अचानक आपके सामने आए हों, जैसे दुर्घटना, ऑपरेशन या बीमारी के चलते आपको हॉस्‍पिटलाइज्‍ड किया गया हो। लेकिन मैटरनिटी एक प्‍लान एक्‍सपेंडीचर है। आप खुद प्रिग्‍नेंसी की प्‍लानिंग करते हैं। ऐसे में इंश्‍योरेंस की परिभाषा के तहत ऐसे प्‍लांड खर्चे इंश्‍योरेंस में शामिल नहीं किए जा सकते।

कंपनियां देती हैं स्‍पेशल प्‍लान या एड ऑन कवर

चूंकि यह एक तरह का प्‍लान हॉस्‍पिटलाइजेशन है, इसलिए कोई भी इंश्‍योरेंस कंपनी केवल प्रिग्‍नेंसी या मैटरनिटी खर्च के लिए इंश्‍योरेंस प्‍लान नहीं पेश करती। हालांकि डिमांड को देखते हुए रेलिगियर, सिग्‍ना टीटीके, अपोलो म्‍यूनिख, आईसीआईसीआई लॉम्‍बार्ड, मैक्‍स बूपा जैसी कंपनियां ने प्रिग्‍नेंसी के लिए मौजूदा प्‍लान को ही एडिशनल बेनिफिट के साथ पेश कर रही हैं। लेकिन इनमें से कुछ ही पॉलिसी कॉम्प्रिहेंसिव कवर जैसे अल्‍ट्रासाउंड, चेकअप, डॉक्‍टर फीस, हॉस्‍पिटल चार्ज आदि का खर्च देती हैं। हालांकि जो प्‍लान मैटरनिटी के साथ पेश भी किए जाते हैं तो उनका वेटिंग पीरिएड काफी ज्‍यादा होता है। वहीं ये पॉलिसी महंगी भी होती है। यदि आप मैटरनिटी बेनिफिट चाहते हैं तो इन बातों को जरूर ध्‍यान रखें।

कितना लंबा है वेटिंग पीरिएड

जैसा कि हम पहले ही बता चुके हैं कि यह एक प्‍लांड एक्‍सपेंस है। इसलिए जो भी कंपनियां प्‍लान पेश करती हैं, वे इसके साथ वेटिंग पीरिएड की शर्त जरूर लगाती हैं। यानि कि आप पॉलिसी लेने के निश्चित वक्‍त के बाद ही पॉलिसी क्‍लेम कर सकते हैं। सामान्‍यतया ज्‍यादातर कंपनियां 2 से 6 साल के वेटिंग पीरिएड की शर्त रखती हैं। ऐसे जो लोग जल्‍द बेबी प्‍लानिंग की तैयारी में हैं उनके लिए ये वेटिंग पीरिएड काफी लंबा हो सकता है। अपोलो म्यूनिख या सिग्‍ना टीटीके की बात करें तो दोनों की पॉलिसी में 4 साल का वेटिंग पीरिएड है। हालांकि ज्‍यादा प्रीमियम देकर आप इसे 2 साल में भी बदल सकते हैं। वहीं रेलिगियर सबसे कम 9 महीने का वेटिंग पीरिएड दे रहा है। लेकिन इसके लिए आपको 3 साल का प्रीमियम एक साथ अदा करना होगा। यानि आपको एक साथ बड़ा खर्च करना होगा।

इंश्‍योरेंस कंपनियां कितना करेंगी भुगतान

अस्‍पताल का खर्च जेब पर भारी न पड़े इसलिए हम इंश्‍योरेंस लेते हैं। लेकिन हेल्‍थ इंश्‍योरेंस के मामले में आपने चाहे लाखों की पॉलिसी ली हो, लेकिन मैटरनिटी खर्च के लिए कंपनियां तय सीमा तक ही सम एश्‍योर्ड राशि का भुगतान करती हैं। जैसे अपोलो म्‍यूनिख और सिग्‍ना टीटीके 3 से 5 लाख रुपए के बेस प्‍लान पर नॉर्मल डिलिवरी के लिए 15000 रुपए और सिजेरियन के लिए 25000 रुपए के मैटरनिटी एक्‍सपेंस का भुगतान करती हैं। शहरों में महंगे खर्च को देखते हुए यह राशि वास्‍तव में ऊंट के मुंह में जीरा है। वहीं रेलिगियर 3 लाख की पॉलिसी के लिए 30000 और 5 लाख की पॉलिसी के लिए 40000 रुपए तक का ही खर्च वहन करता है।

कॉरपोरेट पॉलिसी में होता है 9 महीने का वेटिंग पीरिएड

आमतौर पर सभी कंपनियां अपने इंप्‍लॉइज को कॉरपोरेट पॉलिसी के तहत हेल्‍थ इंश्‍योरेंस कवर देती हैं। सामान्‍यतया कॉरपोरेट पॉलिसी में 9 महीने का वेटिंग पीरिएड होता है। यानि कि कंपनी ज्‍वाइन करने के 9 महीने बाद ही आप इस क्‍लेम के लिए एप्‍लाई कर सकते हैं। ऐसे में यदि आप कॉरपोरेट पॉलिसी के अंदर कवर हैं तो आपको प्राइवेट पॉलिसी लेने की जरूरत नहीं है।

न्‍यू बॉर्न बेबी कवर

भले ही आपको हैल्‍थ कवर के साथ अस्‍पताल के पूरे खर्च का फायदा नहीं मिल पाया हो। लेकिन फिर भी आप अपने एड ऑन कवर में यह जरूर देख लें कि नवजात शिशु को पहले ही दिन से कवरेज दी जा रही है कि नहीं। यदि आपकी पॉलिसी में न्‍यू बॉर्न बेबी कवर मिल रहा है तो आप बच्‍चे को पहले ही दिन से बीमारी, प्रिग्‍नेंसी कॉम्‍प्‍लिकेशंस और अन्‍य खर्च के लिए कवर मिल जाएगा।

आपके लिए क्‍या है बेहतर

इंवेस्‍टमेंट हो या इंश्‍योरेंस, प्‍लानिंग सभी जगह फायदेमंद होती है। यदि आपकी कंपनी आपको कॉरपोरेट प्‍लान की कवरेज दे रही है तो आपको बिना एक्‍स्‍ट्रा प्रीमियम दिए 50000 रुपए तक का कवरेज मिल जाएगा। इस स्थिति में सिर्फ आप चाइल्‍ड बर्थ को कवर करने वाला प्‍लान ले लें। वहीं यदि आप शादी के बाद पत्‍नी को फैमिली फ्लोटर प्‍लान में शामिल करते हैं तो आपस मे विचार कर एक्‍सपेंस को शामिल करें। लेकिन यदि आप लंबे समय तक नहीं इंतजार कर सकते तो आपको महंगा प्रीमियम देकर मैटरनिटी प्‍लान लेने में काफी फायदा नहीं होगा।

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