नई दिल्ली। कई बार कुछ बीमा कंपनियां भांति-भांति के बहाने बनाते हुए क्लेम निपटाने में देरी करती हैं। हालांकि, अब उनके लिए किसी भी कारण से क्लेम निपटाने में देरी करना महंगा साबित होगा। दरअसल, भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (Irdai) ने बीमा कंपनियों को सख्त निर्देश जारी किया है कि वे 30 दिनों के भीतर क्लेम का निपटान करें। अगर इस काम वे देरी करते हैं तो क्लेम की रकम पर उन्हें बैंकों की तुलना में दो फीसदी ज्यादा ब्याज देना होगा। Irdai के अनुसार, यह कदम पॉलिसी धारकों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है।
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Irdai ने कहा है कि इस दिशानिर्देश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पॉलिसी धारकों की हितों की रक्षा सुनिश्चित हो और बीमा कंपनियां शिकायत निपटान के साथ पॉलिसी धारक केंद्रित प्रशासन पर ध्यान दें। हालांकि, ऐसे मामलों में जहां बीमा कंपनियां क्लेम की प्रक्रिया के तहत जांच करती हैं, वहां Irdai के अनुसार, कंपनियों को जरूरी दस्तावेज मिलने के 30 दिनों के भीतर इसे पूरा करना होगा। अगर इस प्रक्रिया में 45 दिनों से अधिक का विलंब होता है तो हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को बैंकों की तुलना में 2 फीसदी अधिक ब्याज का भुगतान क्लेम की राशि पर दस्तावेज प्राप्त होने की तिथि से करना होगा।
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Irdai ने बीमा कंपनियों को यह निर्देश भी दिया है कि पॉलिसी धारकों की शिकायत निपटाने के लिए उनकी एक उचित नीति होनी चाहिए ताकि इसके शीघ्र और प्रभावकारी तरीके से सुलझाया जा सके। बीमा कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर सर्विस के मानदंड और शिकायत पर सुनवाई की अवधि भी बतानी होगी जो उनके बोर्ड से मंजूर है।
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