Smart Beginning : 25 साल की उम्र में बन जाइए फाइनेंशियली स्मार्ट, खत्म हो जाएगी भविष्य की चिंता
नौकरी के दिनों में अक्सर लोग लाइफस्टाइल पर फिजूलखर्ची करने लगते हैं। हम आपको बताते हैं कि किस तरह आप स्मार्ट तरीके से इंवेस्ट कर सिक्योर हो सकते हैं।
नई दिल्ली। इंजीनियरिंग कॉलेज से पास आउट होते ही 23 साल की उम्र में ही कार्तिक को बैंगलुरू की आईटी कंपनी में नौकरी मिल गई थी। कार्तिक का पैकेज काफी बढि़या था। नौकरी लगते ही उसका लाइफस्टाइल ही बदल गया। लेकिन नौकरी लगने के साल भर के भीतर ही उसकी यूएस बेस्ड कंपनी बंद हो गई। कार्तिक जॉब लैस हो गया, लाइफस्टाइल पर खर्च तो क्या उसे अपने जरूरी खर्च के लिए पैसे भी अपने पैरेंट्स से मांगने पड़े। नौकरी करते वक्त उसे लगता था कि अब कभी भी घर वालों से पैसे नहीं मांगने पड़ेंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कार्तिक ने इस बारे में काफी सोचा। अंत में जाकर उसे कुछ ऐसी बातों का अहसास हुआ कि वह कहां गलत जा रहा था। आज हम आपको बताते हैं कि किस तरह 25 की उम्र में आप स्मार्ट तरीके से इंवेस्टमेंट कर सिक्योर हो सकते हैं।
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70 फीसदी का रूल फॉलो करना
एक अच्छी वेल टू डू फैमली में परवरिश होने की वजह से कभी कार्तिक को खर्चों की दिक्कत नहीं हुई। लेकिन बड़े शहर में नौकरी करने के बाद उसे इस बात का पता चला कि उसकी सैलरी से केवल रोजमर्रा के खर्चे ही हो पा रहे थे। उसके बाद कार्तिक ने नौकरी छोड़ी तो पता चला कि अगर वह अपनी सैलरी का 70 फीसदी खर्च करता और अपने बेफिजूल खर्चों पर लगाम लगता, तो जरूरत के दिनों में उसके पास एक अच्छी खासी सेविंग्स होती। नौकरी के शुरुआती दिनों में आप पर जिम्मेदारियां कम होती हैं। ऐसे में आप आसानी से 30 फीसदी सैलरी को बचा सकते हैं।
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इमरजेंसी फंड का निर्माण करना
शुरुआती वर्षों में पार्टी और मूवीज में अनावश्यक खर्चे के कारण कभी भी बचत नहीं कर पाया। इन सब के बाद उसे समझ आया कि हर महीने अपनी सैलरी का 20 फीसदी से 30 फीसदी तक की सेविंग्स करनी चाहिए। यदि आप भी अपनी सेविंग्स का एक हिस्सा इमरजेंसी फंड के रूप में बचाते हैं तो नौकरी जाने जैसी स्थिति में आपको परेशान होने की जरूरत नहीं होती। सामान्य मामलों में आपकी करीब 6 महीने की सैलरी के बराबर आपके पास इमरजेंसी फंड होना चाहिए। इमरजेंसी फंड होने के चलते आप अपने लंबे समय के लक्ष्यों पर फोकस कर सकते हैं। साथ ही होम लोन लेने या फिर बड़े खर्चों के लिए भी आपके पास कॉर्पस इकट्ठा हो जाता है।
बिना सोचे समझे बड़ी राशि से खरीदारी न करें
ऑनलाइन शॉपिंग के बढ़ते चलन से खुद को उनकी आकर्षक डील्स में फंसने से रोक पाना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन खरीदारी से पहले कार्तिक ने इस पर और विचार किया और सोचा कि ये सब वे खर्चे हैं जिसकी कोई खास जरूरत नहीं है। 50 फीसदी डिस्काउंट देखते ही लोग अक्सर अपनी सेविंग्स के लिए जुटाई गई राशि खर्च कर देते हैं। यदि आप भी ऐसा करते हैं, तो अपने को रोकें, आपकी आज की बचत ही आपको लंबे समय के लिए फाइनेंशियली सिक्योर बनाते हैं। इसलिए जरूरी है कि अपनी मंथली सैलरी आने के 3 से 5 दिनों के भीतर ही आवश्यक निवेश जैसे एसआईपी में इंवेस्ट कर दें।
अपने क्रेडिट कार्ड के बिलों का समय पर भुगतान करना
कार्तिक को जब उसका पहला क्रेडिक कार्ड मिला तो यह सोचकर बहुत खुश हुआ कि अब उसे अपने माता पिता पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। वह जब चाहे शॉपिंग कर सकेगा। ऐसे में कई बार उसने अपनी लिमिट भी एक्सीड कर दी। जिसके वजह से उसके पिता को उसके एकाउंट में पैसे ट्रांस्फर करने पड़ गए। तब जाकर उसे अहसास हुआ कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल सोच समझकर करना चाहिए। इससे वह बेफिजूल के खर्चों से बच सकेगा।
सिर्फ सेविंग्स ही नहीं निवेश भी जरूरी है
जब तक कार्तिक सीनियर एग्जेक्यूटिव बना तब तक उसकी अच्छी खासी सेविंग्स इकट्ठी हो गई थी। उसे तब समझ आय़ा कि पैसों को बढ़ाने के लिए सेविंग्स ही काफी नहीं है। समय के साथ-साथ महंगाई की वजह से पैसों की वैल्यु कम होती जाती है। सरल भाषा में 5 फीसदी का कंज्यूमर प्राइज इंडेक्स रेट (यानि कि जनवरी में सीपीआई 5.69फीसदी था), तो साल की शुरुआत के 100 रुपए की कीमत साल के अंत तक 95 फीसदी रह जाती है। इसलिए आप चाहे एफडी में निवेश करें या म्युचुअल फंड्स में आपका लक्ष्य महंगाई को मात देने वाले रिटर्न्स पर होना चाहिए।