फाइनेंशियल प्लानिंग होगी अच्छी तो आसानी से पा सकेंगे सभी लक्ष्य
फाइनेंशियल प्लानिंग की कमी के कारण अधिकांश लोग अपना सपना साकार करना एक कठिन कार्य समझते हैं। यह महज टैक्स बचत या निवेश करने तक ही सीमित नहीं है।
नई दिल्ली। सही फाइनेंशियल प्लानिंग के अभाव में अक्सर लोग अपने वित्तीय लक्ष्यों से चूक जाते हैं। यह समझना बेहद जरूरी है कि फाइनेंशियल प्लानिंग महज टैक्स बचत या निवेश करने तक ही सीमित नहीं है। वास्तव में फाइनेंशियल प्लानिंग हर व्यक्ति के लिए उसकी जरूरतों के हिसाब से आवश्यक हैं। हर व्यक्ति के जीवन में लक्ष्य भिन्न होते हैं, जैसे- बच्चों की पढ़ाई, बेटी की शादी, कार या मकान खरीदना, विदेश की सैर करना, रिटायरमेंट आदि। इन सभी लक्ष्यों के लिए जीवन के अलग अलग पड़ाव पर एक खास तरह की प्लानिंग की जरूरत होती है। ऐसे में किसी भी व्यक्ति के लिए फाइनेंनशियल प्लानिंग की सही दिशा का ज्ञान होना अत्यंत आवश्यक है।
फाइनेंनशियल प्लानिंग करते समय इन बातों का रखें ध्यान…
वित्तीय नियोजन के समय महंगाई का रखें खास ख्याल
अपने लक्ष्यों को समय पर और अच्छे से हासिल करने के लिए योजना तैयार कर लें। साथ ही प्लानिंग के वक्त महंगाई दर को भी ध्यान में रखें। जैसे उदाहरण के तौर पर बच्चे की पढ़ाई और शादी के लिए एक राशि निर्धारित कर लें। इसके बाद यह तय करें कि किस तरह भविष्य के लिए आप अपनी पूंजी को बढ़ा सकते हैं। फिर उसी दिशा में काम करें।
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प्राथमिकता का करें निर्धारण
हर व्यक्ति के जीवन में तमाम लक्ष्य होते हैं जिनकों वह पूरा करना चाहता है। ऐसे में जरूरत होती है कि उन सभी लक्ष्यों को एक जगह लिखकर उनकी प्राथमिकता तय कर ली जाए। इसके बाद अपने वित्तीय संसाधनों को देखते हुए फाइनेंनशियल प्लानिंग का फैसला लें।
जोखिम का रखें ख्याल
हर निवेशक अपने निवेश से अधिक से अधिक रिटर्न पाने की मंशा रखता है। लेकिन इसके लिए समझना चाहिए कि निवेश में रिस्क भी होता है। अधिक रिटर्न के लिए किए गए निवेश में जोखिम भी अधिक होता है। इसलिए निवेश से पहले जरूरी है कि रिक्स प्रोफाइलिंग को समझ लें। इसमें व्यक्ति की वित्तीय जोखिम उठाने की क्षमता का आकलन किया जाता है। साथ ही यह भी देखा जाता है कि वह मानसिक तौर पर रिस्क लेने के लिए कितना सक्षम है।
निवेश का उदेश्य
हर व्यक्ति का निवेश उदेश्य उसकी जरूरतों के अनुरूप होता है। इसमें व्यक्ति छोटी, मध्यम और लंबी अवधि साथ ही रिस्क प्रोफाइलिंग के आधार पर निवेश के उदेश्य को तय करता है। साथ ही व्यक्ति की नियमित आय, ग्रोथ और निवेश उद्देश्य देखा जाता है।
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एसेट एलोकेशन
इसके लिए जरूरी है कि तय कर लेंं कि कितना पैसा कौन सी क्लास में लगाया जाए। साथ ही कितना पैसा निश्चित आय एवं सुरक्षित साधनों में लगाया जाए, कितना पैसा इक्विटी में, कितना गोल्ड में, कितना प्रॉपर्टी में एवं कितना नकद में रखा जाए। रिसर्च के मुताबिक निवेश के रिटर्न को एसेट् एलोकेशन सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। एसेट् एलोकेशन व्यक्ति विशेष की आवश्यकता एवं रिस्क प्रोफाइलिंग के आधार पर तय किया जाता है।
रिस्क मैनेजमेंट एवं इंश्योरेंस प्लानिंग
अपने लक्ष्यों को हासिल करने के लिए कोई रुकावट न आए इसलिए रिस्क मैनेजमेंट में व्यक्ति विशेष की संभावित रिस्क का आकलन किया जाता है और उसके लिए उचित योजना बनाई जाती है। इंश्योरेंस रिस्क को ट्रांसफर करने की प्रक्रिया है। इंश्योरेंस प्लानिंग के तहत यह निश्चित किया जाता है कि व्यक्ति-विशेष को इंश्योरेंस की जरूरत है या नहीं और अगर है तो कितनी जरूरत है।
टैक्स प्लानिंग
टैक्स प्लानिंग केवल टैक्स बचत के लिए ही नहीं किया जाता, बल्कि व्यक्ति की आवश्यकताएं, जीवन के लक्ष्य और जोखिम उठाने की क्षमता को ध्यान में रखकर उचित साधनों में निवेश किया जाता है।
एस्टेट प्लानिंग
एस्टेट प्लानिंग में किसी भी अनहोनी होने की दशा में व्यक्ति-विशेष की संपत्ति, जिसके प्रियजनों को उसकी इच्छानुसार न्यायिक प्रक्रिया,विवाद एवं खर्च व टैक्स आदि के कम से कम प्रक्रिया के तहत प्रभावी तरीके से मिल सके, इसका प्रबंध किया जाता है। साथ ही शारीरिक एवं मानसिक अक्षमता की स्थिति में परिवार वालों को संपत्ति का सही उपभोग का अधिकार दिया जा सके।
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