अगर बीमा कंपनियों के रवैये से हैं परेशान तो यहां करें शिकायत, जल्द होगा समस्याओं का समाधान
अगर आप बीमा कंपनियों के रवैये से परेशान हैं और सारे उपाय कर हार चुके हैं तो बीमा ओम्बुड्समैन में शिकायत कर अपनी समस्या का निपटारा कर सकते हैं।
नई दिल्ली। कहीं ऐसा तो नहीं कि आप भी बीमा कंपनियों के रवैये से परेशान हो चुके हैं। क्लेम करने के बावजूद कई महीने से आपके पैसे लटके पड़े हैं या चेक जमा होने के बावजूद आपको अभी तक न पॉलिसी ही जारी की गई और न ही पैसे वापस मिले हैं। कस्टमर केयर को बार-बार फोन करने के बावजूद और इंश्योरेंस कंपनी के ऑफिस में लिखित शिकायत करने के बावजूद अगर आपकी समस्या जस की तस है तो आपको बीमा ओम्बुड्समैन यानी बीमा लोकपाल के पास शिकायत करनी चाहिए। यहां आपको न्याय मिल सकता है।
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ऐसे करता है बीमा ओम्बुड्समैन आपकी मदद
बीमा ओम्बुड्समैन को दो काम करने होते हैं – 1. ग्राहकों की संतुष्टि और 2. पंचायत करना। बीमा ओम्बुड्समैन किसी भी व्यक्ति द्वारा व्यक्तिगत आधार पर, किसी बीमा कंपनी के विरुद्ध शिकायतों को लेने और उन पर विचार करने के लिए अधिकृत है। ओम्बुड्समैन 20 लाख रुपए तक के बीमा संबंधी विवादों के निपटारे के लिए अधिकृत है। बीमा कंपनियों को ओम्बुड्समैन के फैसलों पर तीन महीने के अंदर अमल करना होता है।
ऐसे करें ओम्बुड्समैन से शिकायत
भारत भर में शिकायत के 17 कार्यालय हैं, जो विभिन्न जोन में बंटे हुए हैं। एक कार्यालय का न्याय क्षेत्र केवल एक राज्य तक सीमित नहीं है।शिकायतकर्ता को उस न्यायिक क्षेत्र के ओम्बुड्समैन को शिकायत भेजनी चाहिए, जिसमें बीमा कंपनी का कार्यालय आता है। शिकायत, बीमाधारक के कानूनी-वारिसों द्वारा भी दर्ज कराया जा सकता है।
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ओम्बुड्समैन में शिकायत दर्ज करवाने से पहले गौर करने लायक बातें
शिकायकर्ता द्वारा बीमा कंपनी के समक्ष अपनी शिकायत रखने पर कंपनी द्वारा उसे खारिज किए जाने या शिकायत मिलने की तारीख से एक महीने तक कंपनी द्वारा कोई जवाब नहीं मिलने पर या बीमा कंपनी के जवाबों से बीमाधारक के संतुष्ट न होने पर ओम्बुड्समैन से शिकायत कर सकते हैं। शिकायत, बीमा कंपनी के जवाब देने के एक साल बाद की नहीं होनी चाहिए। इसके अलावा, वही शिकायत न्यायालय या कंज्यूमर फोरम में भी नहीं होनी चाहिए।
ओम्बुड्समैन का फैसला और आपकी स्वीकृति
ओम्बुड्समैन द्वारा सुलझाए गए किसी मामले में, ओम्बुड्समैन मामले की गंभीरता और परिस्थितियों को देखते हुए, उचित सिफारिश करता है। ऐसी सिफारिश, मामला दर्ज होने के एक महीने के अंदर संबंधित शिकायतकर्ता और बीमा कंपनी को भेज दिया जाता है। अगर शिकायतकर्ता, ओम्बुड्समैन की सिफारिशों और सुझावों से संतुष्ट है तो सुझाव प्राप्त होने की तारीख से 15 दिनों के अंदर लिखित रूप में ओम्बुड्समैन को अपनी स्वीकृति देनी होती है। बीमाधारक के सुरक्षा नियमों के मुताबिक, प्रत्येक बीमा कंपनी को पॉलिसी दस्तावेज के साथ उस न्यायिक क्षेत्र के ओम्बुड्समैन, जिसमें वह बीमा कंपनी आती है, का विवरण देना होता है।
अगर ओम्बुड्समैन के फैसले से सहमत नहीं हैं तो अपनाएं यह उपाय
अगर आप जीवन बीमा कंपनी और ओम्बुड्समैन के फैसलों से सहमत नहीं है, तो बीमा नियामक के पास (फोन नंबर-155255 या 1800 4254 732) या कंज्यूमर फोरम या कोर्ट भी जा सकते हैं, ताकि आपकी समस्याओं का समुचित समाधान हो पाए।
क्या है बीमा ओम्बुड्समैन
भारत सरकार के 11 नवंबर, 1998 के सूचना पत्र के द्वारा बीमा ओम्बुड्समैन अस्तित्व में आया। इसका मुख्य उद्देश्य, बीमाधारकों के शिकायतों का जल्दी निपटारा करना है। साथ ही यह उन समस्याओं का भी समाधान करता है, जो बीमाधारकों के शिकायत को निपटाने में बाधक होता है। बीमाधारकों के हितों की रक्षा के लिए यह संस्था महत्वपूर्ण है। सिस्टम में लोगों का विश्वास बनाने में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान है।
ऐसे होती है बीमा ओम्बुड्समैन की नियुक्ति
ओम्बुड्समैन की नियुक्ति के लिए कमेटी के सुझाव के आधार पर प्रशासनिक निकाय आदेश देता है। कमेटी में भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (IRDAI) के अध्यक्ष, भारतीय जीवन बीमा (LIC) और जनरल इंश्योरेंस के अध्यक्ष तथा केंद्र सरकार के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। ओम्बुड्समैन, बीमा उद्योग, सिविल सेवा या न्यायिक सेवा से चयनित किए जाते हैं।