क्यों करना FD में निवेश के लिए मारामारी, SGB ने सिर्फ 5 साल में पैसा डबल किया, यहां समझिए पूरा गणित
आपको बता दें कि आरबीआई द्वारा 2015 में शुरू की गई, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम, निवेशकों को भौतिक सोने के एक वैकल्पिक निवेश विकल्प प्रदान करता है।
आज भी आम निवेशकों के बीच फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) सबसे लोकप्रिय निवेश माध्यम है। इसकी वजह FD में निवेश पर कम जोखिम और शानदार रिटर्न है। कोरोना काल में जब RBI ने रेपो रेट में कटौती की तो बैंकों ने फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाली ब्याज दरें घटा दी। इसके बाद बहुत सारे निवेशकों ने अपनी नाराजगी का इजहार किया। इनमें वरिष्ठ नागरिकों की संख्या बहुत थी क्योंकि उनकी कमाई का मुख्य जरिया ही एफडी था। लेकिन ऐसा नहीं है कि एफडी ही कम जोखिम में सबसे ज्यादा रिटर्न देने वाला उत्पाद है। अगर आप एक समझदार निवेशक हैं तो आप आसानी से एफडी के मुकाबले ज्यादा रिटर्न पा सकते हैं। बाजार में कई ऐसे निवेश माध्यम हैं, जो आज के समय में एफडी से ज्यादा रिटर्न देने में सक्षम है। एसजीबी यानी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड उन्हीं में से एक निवेश उत्पाद है। आपको जानकार कर हैरानी होगी कि एसजीबी ने बीते पांच साल में निवेशकों का पैसा डबल कर दिया है। इस दौरान एफडी की बात तो छोड़ ही दीजिए, म्यूचुअल फंड से लेकर इक्विटी ने भी निवेशकों को निराश किया है।
इस तरह एसजीबी ने निवेशकों का पैसा डबल हुआ
आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2017-18 में पहली सीरीज में आरबीआई ने सोने की दर 2,901 रुपये प्रति ग्राम तय किया था। इस दर पर जिस निवेशकों ने पैसा लगाया उसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने समय से पहले निकासी की समय सीमा तय कर दी है। यानी निवेशक 5 साल बाद अपना पैसा निकाल सकते हैं। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2017-18 के सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (एसजीबी) श्रृंखला I की समय पूर्व निकासी की कीमत 6,115 रुपये प्रति ग्राम तय की है। यानी जिन निवेशकों ने 2,901 रुपये में निवेश किया था अब उन्हें 6,115 रुपये प्रति ग्राम की दर से पैसा मिलेगा। यानी पांच साल में निवेशकों को 110% अधिक का रिटर्न मिल गया। इतने रिटर्न की कल्पना एफडी से निवेशक कर ही नहीं सकते हैं।
2015 में एसजीबी की शुरुआत की गई थी
आपको बता दें कि आरबीआई द्वारा 2015 में शुरू की गई, सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम, निवेशकों को भौतिक सोने के एक वैकल्पिक निवेश विकल्प प्रदान करता है। एसजीबी को आठ साल की अवधि के लिए जारी किया जाता है, जिसमें पांचवें साल के बाद समय पूर्व निकासी का विकल्प होता है। SGB पर 2.5% प्रति वर्ष की दर से ब्याज भी मिलता है। हालांकि एसजीबी से अर्जित ब्याज टैक्सेबल है, लेकिन इन बांडों को भुनाने से होने वाले पूंजीगत लाभ पर कर से छूट प्राप्त है। इसके अलावा, निवेशक बांड को दूसरों को स्थानांतरित करते समय अर्जित दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ का दावा कर सकते हैं।