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4% नियम क्या जानते हैं आप? जान लेंगे तो बुढ़ापे में कभी नहीं होगी पैसे की दिक्कत

4% नियम बताता है कि आप हर साल अपने पोर्टफोलियो से उतनी ही राशि निकालते हैं, जिसे महंगाई के लिए समायोजित किया जा सके।

Retirement Planning - India TV Paisa Image Source : FREEPIK रिटायरेमेंट प्लानिंग

इंसान को पैसे की सबसे जरूरत बुढ़ापे में होती है क्योंकि उस समय उसकी कमाई बंद हो चुकी होती है और कई तरह के खर्चें रहते हैं। इसमें दावा, डाक्टर, खाना—पीना, रहना आदि शामिल होता है। बहुत सारे लोग कमाई के दौरान तो प्लानिंग करते हैं लेकिन बुढ़ापे या रिटायरमेंट की प्लानिंग करना भूल जाते हैं। वैसे लोगों को पैसे की बहुत ही दिक्कत या किल्लत होती है। अबर आप समय रहते 4% का नियम जान लें तो इस परेशानी को आसानी से पीछे छोड़ दे सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि क्या है यह नियम और कैसे करता है काम?  

4% नियम कैसे काम करता है, जानें 

अपने खर्चों की गणना करें: नौकरी में रहते हुए यह गणना करें कि रिटायरमेंट के बाद आपको अपनी जीवनशैली को मेनटेन रखने के लिए कितने पैसे की आवश्यकता होगी। इसके लिए थोड़ी मेहनत करनी पड़ेगी, लेकिन थोड़ी सी रिसर्च से आप यह आकलन आसानी से कर सकते हैं। आप मौजूदा खर्च, सालाना महंगाई का बोझ और रिटायरमेंट आयु के आधार पर रिटायरमेंट के बाद सालाना होने वाले खर्च का आकलन कर सकते हैं। 

25 से गुणा करें: एक बार जब आपको अपने सालाना रिटायरमेंट खर्च का अनुमान मिल जाए, तो इस राशि को 25 से गुणा करें। इस कदम के पीछे तर्क यह है कि आपकी बचत का 4% हर साल निकाला जा सकता है, और 1 को 0.04 (1/0.04 = 25) से विभाजित किया जा सकता है।) 

शुरुआती निकासी: सेवानिवृत्ति के पहले वर्ष में, अपनी कुल सेवानिवृत्ति बचत का 4% निकालें। उदाहरण के लिए, आपका रिटायरमेंट फंड 1 करोड़ रुपये का है। अब शुरुआती निकासी 4,00,000 रुपये (1 करोड़ रुपये का 4%) होगी।

महंगाई का असर: प्रत्येक अगले वर्ष, महंगाई के असर के अनुसार अपनी निकासी को समायोजित करें। ऐतिहासिक आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में लगभग 6% की सालाना महंगाई रहती है। इसलिए, अगरआपने पहले वर्ष में 4,00,000 रुपये निकाले और महंगाई 6% थी, तो आप दूसरे वर्ष में 4,24,000 रुपये निकालेंगे। 4% नियम स्थिर आय प्रदान करने का एक सरल सूत्र है।
यह पत्थर की लकीर नहीं है। आप इसे अपनी निश्चित निकासी स्थापित करने के लिए उपयोग कर सकते हैं।

समय-समय पर समीक्षा: समय-समय पर अपनी वित्तीय स्थिति की समीक्षा करें और अगर आवश्यक हो तो अपनी निकासी को रीबैलेंस  करें। अगर आपके पोर्टफोलियो में महत्वपूर्ण लाभ या हानि हुई है, तो आपको एक स्थायी आय प्रवाह बनाए रखने के लिए अपनी निकासी को सही करने की आवश्यकता हो सकती है। इस तरह आपको बुढ़ापे में पैसे की कभी भी किल्लत नहीं होगी। 

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