नई दिल्ली। आधुनिक तकनीक इंसान का काम आसान बनाती हैं, लेकिन बैंकों के मामले में यही तकनीक ग्राहकों के लिए जी का जंजाल बन रही है। निजी बैंकों में हालात फिर भी बेहतर हैं, लेकिन सरकारी बैंकों में इन्फ्रास्ट्रक्चर की हालत बेहद पतली है। सरकारी बैंकों का सर्वर डाउन होने से ग्राहकों की अक्सर परेशानी का सामना करना पड़ता है।
चाहें स्टेट बैंक ओर पीएनबी जैसे बड़े बैंक हों या देना और यूको जैसे अन्य सरकारी बैंक, सर्वर डाउन होने की समस्या हर जगह एक जैसी है। इससे पासबुक प्रिंटिंग से लेकर खाते में पैसा जमा करना और निकालने जैसे जरूरी काम अटक जाते हैं।
SBI ग्राहकों ने किया नई मुसीबत का सामना
इस बीच देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के ग्राहकों के लिए सोमवार का दिन नई मुसीबत लेकर आया। एसबीआई ग्राहक शोभा चतुर्वेदी की पेंशन किदवई नगर शाखा में आती है। जब बुजुर्ग ग्राहक बैंक शाखा में पहुंचीं तो पता चला कि सर्वर तो ठीक है, लेकिन ग्राहकों के हस्ताक्षर डिस्प्ले नहीं हो रहे हैं। उन्हें अपना एटीएम कार्ड इश्यू करवाना था। लेकिन उन्हें मायूस लौटना पड़ता
अटके ग्राहकों के काम
स्टेट बैंक में आई इस अजीबोगरीब परेशानी का कोई जवाब बैंक कर्मियों के पास भी नहीं था। ऐस में उन्हें ग्राहकों के आक्रोश का सामना करना पड़ा। बिना हस्ताक्षर के कैश विड्रॉल से लेकर खाते में जानकारी अपडेट करने जैसा काम नहीं हो सका। हालांकि कैश डिपॉजिट वाला काम जारी रहा, क्योंकि पैसे जमा करने के लिए सिग्नेचर वैरिफिकेशन की जरूरत नहीं पड़ती।
रोज रोज होते हैं ग्राहक परेशान
सरकारी बैंक के ग्राहकों के लिए सर्वर या कोई तकनीकी खामी के चलते परेशान होना कोई नई बात नहीं है। अक्सर पीक वर्किंग आवर में सिस्टम बैठ जाता है। में स्टेट बैंक ग्राहक नितिन बताते हैं कि मैं जॉब करता हूं, सिर्फ बैंक के जरूरी काम के लिए छुट्टी ली थी। लेकिन बैंक कर्मियों के इस अजीबोगरीब तर्क के चलते मेरा पूरा दिन बरबाद हुआ, फिर भी काम नहीं हो सका।
अकाउंट स्टेटमेंट के पैसे
सरकारी बैंकों में प्रिंटर का खराब होना एक और आम परेशानी है। बुजुर्ग ग्राहकों को अक्सर सिर्फ पासबुक अपडेट के लिए बैंकों के चक्कर मारने पड़ते हैं। इंडियन बैंक की ग्राहक प्रेमवती को लोन के सिलसिल में पासबुक अपडेट करवानी थी। लेकिन बैंक ने प्रिंटर खराब होने की जीवट समस्या उनके सामने रखी। मजबूरन उन्हें बैंक को अतिरिक्त चार्ज देकर स्टेटमेंट निकलवाना पड़ा।
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