पॉलिसी होल्डर की कार दुर्घटना में हो गई मौत और उस गाड़ी का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं तो क्या मिलेगा टर्म इंश्योरेंस का क्लेम, जानें
टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी के टर्म एंड कंडिशन लेने वाले व्यक्ति पर निर्भर करता है। अगर व्यक्ति ने अपने बारे में सभी जानकारी सही-सही दिया है तो कवर मिलने में समस्या नहीं आती है।
कम प्रीमियम में बड़ा कवर मिलने की यूएसपी के चलते हाल के दिनों में टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी की मांग तेजी से बढ़ी है। मेट्रो शहर के अलावा टियर और थ्री शहरों में भी टर्म इंश्योरेंस लेने वाले लोगों की संख्या बढ़ी है। आमतौर पर 50 लाख से 1 करोड़ के कवर वाले टर्म पॉलिसी की खरीदारी लोगा कर रहे हैं। आने वाले दिनों में टर्म पॉलिसी का विस्तार और तेजी से होने की उम्मीद है। हालांकि, इस बीच कई ऐसे मामले आ रहे हैं, जिसमें टर्म पॉलिसी लेने वाले व्यक्ति को कवर नहीं मिल पा रहा है या मिलने में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कौन-कौन सी स्थितियां हैं, जिसमें टर्म पॉलिसी लेने के बाद भी कवर मिलने में दिक्कत आ सकती है? क्या उनमें यह भी शामिल है कि अगर पॉलिसी होल्डर की मौत कार दुर्घटना में हो जाती है और उस गाड़ी का पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं है तो टर्म इंश्योरेंस होने के बाद भी कवर नहीं मिलेगा। आइए, इस पर क्या कहते हैं कि एक्सपर्ट।
पॉल्यूशन सर्टिफिकेट से टर्म इंश्योरेंस का कोई लेना-देना नहीं
इंश्योरेंस पंडित के निदेशक अखिल ने इंडिया टीवी को टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी कवर के भुगतान में गाड़ी के पॉल्यूशन सर्टिफिकेट से कोई लेना-देना नहीं है। यह जीवन बीमा पॉलिसी है और इसके टर्म एंड कंडिशन लेने वाले व्यक्ति पर निर्भर करेगा। अगर व्यक्ति ने अपने बारे में सभी जानकारी सही-सही दिया है तो कवर मिलने में समस्या नहीं आती है। हां, उसने कुछ गलत जानकारी या छुपाया है तो कवर लेने में परेशानी आ सकती है। बहुत कम मामलों में इंश्योरेंस कंपनियां कवर का भुगतान नहीं करती है। जहां तक पॉल्यूशन सर्टिफिकेट नहीं होने के असर मोटर इंश्योरेंस पर आ सकता है। इंश्योरेंस कंपनियां गाड़ियों के हालात के आधार पर प्रीमियम तय करती है।
टर्म प्लान का क्लेम कब हो सकता है रिजेक्ट
- पॉलिसी होल्डर की मृत्यु अगर नशे की वजह से हो गई तो बीमा कंपनी क्लेम को रिजेक्ट कर देती है।
- अगर पॉलिसी होल्डर की हत्या उसके नॉमिनी ने कराया तो बीमा कंपनी क्लेम का भुगतान नहीं करती है।
- अगर पॉलिसीधारक खतरों का खिलाड़ी है तो इंश्योरेंस कंपनी क्लेम रिजेक्ट कर देती है।
- अगर पॉलिसी होल्डर ने गंभीर बीमारी को छिपाया है और उससे उसकी मौत हो जाती है तो क्लेम नहीं मिलता है।
- प्राकृतिक आपदा के चलते मौत होने पर भी कई बीमा कंपनियां क्लेम रिजेक्ट कर देती है।
- कुछ बीमा कंपनियां आत्महत्या के मामले में भी कवरेज नहीं देती है।
- अगर पॉलिसी होल्डर की मौत किसी कानून तोड़ने के कारण हो गई तो क्लेम नहीं मिलता है।
- अगर पॉलिसी होल्डर ने पॉलिसी लेने के बाद नशा करना शुरू कर दिया और उससे कोई बीमारी होने पर मौत हो जाती है तो क्लेम नहीं मिलता है।