PF Deduction: प्राइवेट सेक्टर्स में काम कर रहे लोगों को सरकार अब एक और झटका देने वाली है। दरअसल ईपीएफ (एम्पलॉयी प्रोविडेंट फंड) पर मिलने वाले ब्याज को लेकर सरकार इस महीना बड़ा फैसला ले सकती है। सूत्रों की मानें तो इस वित्त वर्ष पीएफ पर मिलने वाली ब्याज दर में कटौती की जा सकती है। निजी कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारी इस खबर से सदमे में हैं, क्योंकि 43 सालों में पीएफ का ब्याज पहले ही सबसे निचली दर पर दिया जा रहा था।
2019 के बाद कैसे घटता रहा PF का ब्याज?
देशभर में अभी पीएफ के करीब साढ़े छह करोड़ खाताधारक हैं। पीएफ पर मिलने वाला ब्याज पहले से ही अपने निचले स्तर पर था। EPFO ने साल 2021-22 में पीएफ की ब्याज दर 8।1 तय की थी। साल 1977-78 के बाद यह सबसे कम स्तर की ब्याज दर थी। 2021-22 यानी कोरोना काल से पहले कर्मचारियों को 8.5 प्रतिशत की दर से ब्याज मिल रहा था। जबकि साल 2019-20 में पीएफ पर मिलने वाले ब्याज की दर 8.65 प्रतिशत से घटकर 8.5 प्रतिशत हुई थी।
मार्च के अंतिम सप्ताह में होगी बैठक
PF पर मिलने वाली ब्याज को लेकरEPFO मार्च के अंतिम सप्ताह में महत्वपूर्ण बैठक कर सकता है। यह बैठक 25 या 26 मार्च को हो सकती है। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में पीएफ पर मिलने वाले मौजूदा ब्याज को घटकार 8 प्रतिशत किया जा सकता है। चूंकि अगले साल लोकसभा के अलावा कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, इसलिए सरकार पीएफ पर बहुत ज्यादा ब्याज कम करने का जोखिम नहीं उठाएगी।
कर्मचारियों का पैसा कहां निवेश करता है EPFO?
EPFO कर्मचारियों के पीएफ का पैसा कई जगहों पर निवेश करता है। इस निवेश से होने वाली कमाई का एक हिस्सा ही कर्मचारियों को रिटर्न के रूप में प्राप्त होता है। EPFO 85 प्रतिशत पैसा डेट ऑप्शन में लगाता, जिनमें सरकारी सिक्योरिटी और बॉन्ड भी शामिल हैं। जबकि 15 फीसद पैसा ETF में निवेश करता है।
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