शेयर बाजार में निवेश करने में करेंगे ये 4 गलतियां तो पानी की तरह बह जाएगा मेहनत का पैसा
बाजार में जब गिरावट का दौड़ आता है, तब कई बार हम डर जाते हैं कि हमारा पैसा पूरी तरह से डूब जाएगा। लेकिन गिरावट हमेशा स्थायी नहीं रहता।
शेयर बाजार में निवेश का फैसला लेने में काफी सूझ-बूझ की जरूरत होती है। इसमें भावनाओं से काम काम नहीं चलता। भावनाओं में बहने वाले निवेशक अक्सर अपनी संपत्ति गंवा बैठते हैं। निवेशकों के लिए यह समझना जरूरी है कि किस तरह से वे निवेश के फैसले में भावनाओं से अप्रभावित रह सकते हैं और इसके लिए वे किन-किन बातों का खयाल रखें।
1. निवेश से नहीं जोड़ें पुरानी यादों को
एक रिपोर्ट के मुताबिक कई बार हम यादों को सहेजने का काम निवेश में भी करने लगते हैं। उदाहरण के लिए हमें अपने पूर्वजों से कोई संपत्ति या शेयर मिला है और हम उसे बेचना नहीं चाहते। हमने अपनी पहली सैलरी से कुछ निवेश किया हो। निवेश के मामले में ये बातें सूझ-बूझ के विपरीत काम करती हैं और आपका समूचा निवेश पूंजी डूब सकता है। इसलिए सवाल यह है कि क्या उस निवेश संपत्ति को रखे रहने से आप अमीर बनेंगे या यह पूरा धन डूब जाएगा। इस सवाल के आधार पर ही फैसले कीजिए।
2. दौड़ में पीछे रह जाने से नहीं डरें
कई बार हम उन शेयरों को खरीद लेते हैं, जो कुछ समय से काफी तेजी से बढ़ रही होती है। हमें लगता है कि हम यदि इसे नहीं खरीदेंगे, तो इसकी कीमत में हो रही बढ़ोतरी के लाभ से वंचित रह जाएंगे। अगर इस भावना की गिरफ्त में रहेंगे, तो सट्टेबाजी की तरह से फैसला लेंगे। आप जिस भी कीमत पर निवेश करें, उस वक्त यह देखें कि क्या यहां से कीमत और ऊपर जाएगी और यदि हां, तो उसका क्या आधार है। यह जरूरी नहीं कि पिछले कुछ समय में बेहतर रिटर्न देने वाला कोई शेयर आगे भी बेहतर रिटर्न दे।
3. गिरावट के दौरान भी सबकुछ नहीं डूबेगा
बाजार में जब गिरावट का दौड़ आता है, तब कई बार हम डर जाते हैं कि हमारा पैसा पूरी तरह से डूब जाएगा। लेकिन गिरावट हमेशा स्थायी नहीं रहता। अगर शेयर या कोई भी अन्य निवेश संपत्ति की बुनियाद मजबूत है, तो गिरावट का दौड़ खत्म होने के बाद उसमें फिर से मजबूती आती है। ऐसे में गिरावट के दौरान पैसे बाहर निकाल लेने वाले निवेशक कीमतों में तेजी आने पर लाभ से वंचित रह जाते हैं। इसलिए बाजार में गिरावट आने पर डर से नहीं, बल्कि ठोस तर्क से काम लेना चाहिए।
4. एक ही बार में बड़ी रकम लगाने से बचें
लाभ की उम्मीद में हम कई बार एक ही बार में बड़ी रकम का निवेश कर देते हैं। इस प्रकार किए गए निवेश में बड़े लाभ की जगह बड़ा नुकसान भी हो सकता है। इसलिए थोड़ा-थोड़ा कर खरीदें और थोड़ा कर बेचें। उदाहरण के लिए अगर आपको किसी किसी कंपनी के 1000 शेयर खरीदने हैं, तो वर्तमान स्तर पर आप 500 शेयर खरीद सकते हैं। शेयरों में 5-10 फीसदी गिरावट आने पर आप 200 शेयर और खरीद सकते हैं। 20 फीसदी गिरावट आने पर आप 300 और शेयर खरीद सकते हैं। यदि वर्तमान स्तर से शेयर का भाव बढ़ता है, तो भी आपको नुकसान नहीं, क्योंकि पहले खरीदे गए 200 शेयर पर आपको लाभ मिलेगा। इसी तरह से बेचते वक्त भी निवेश को थोड़ा-थोड़ा कर बेचना चाहिए।