2.5 लाख से बढ़कर 5 लाख हो सकती है इनकम टैक्स छूट की सीमा, आम बजट में घोषणा संभव
करदाता इनकम टैक्स की धारा 80सी, धारा 80डी का लाभ लेकर टैक्स बचत कर लेते हैं। वहीं, नई कर व्यवस्था में यह सुविधा नहीं है।
देशभर के आयकर दाताओं को मोदी सरकार आम बजट में बड़ा तोहफा दे सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, सरकार नई कर व्यवस्था (न्यू टैक्स सिस्टम) के तहत आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने पर विचार कर रही है। गौरतलब है कि दो साल से लागू नई कर व्यवस्था को लेकर बहुत कम लोगों ने दिलचस्पी दिखाई है। अभी तक सिर्फ 10 से 12 फीसदी आयकर दाता ने ही इस विकल्प को चुना है। ऐसे में सरकार इस विकल्प को आकर्षक बनाने के लिए इसमें बदलाव करने की सोच रही है। मौजूदा समय में सालाना आय 2.50 लाख रुपये तक होने पर करदाता को कोई टैक्स नहीं चुकाना होता है। सरकार का मानना है कि यह सीमा बढ़ने से करदाता के हाथ में पैसा बचेगा और वह अधिक खर्च कर पाएगा। इससे अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में भी मदद मिलेगी।
आम बजट में घोषणा संभव
सूत्रों के मुताबिक, 2023 बजट की तैयारियां अगले सप्ताह से शुरू होगी। इसमें इस मुद्दे पर गौर किया जाएगा। सूत्रों ने बताया है कि बजट बनाने की कवायद के तहत टैक्स संबंधी एजेंडा अगले सप्ताह से शुरू होगा, जहां कराधान व्यवस्था में इस तरह के बदलाव पर गौर करने की उम्मीद है। हालांकि, किसी भी बदलाव में यह ध्यान रखा जाएगा कि इससे सरकार के राजस्व को अधिक नुकसान न हो। एक अधिकारी ने बताया कि नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स फ्री इनकम के दायरे में बढ़ोतरी से राजस्व पर पड़ने वाले असर का प्रारंभिक अनुमान लगाया गया है। इसे बजट निर्माताओं के पास विचार के लिए भेजा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस बात पर भी चर्चा हो सकती है कि व्यक्तिगत आयकर की पुरानी और नई, दोनों व्यवस्थाओं में तो बदलाव की जरूरत नहीं है। अगर सहमति बनी तो 1 फरवरी को पेश होने वाले आम बजट में इसकी घोषणा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण कर सकती हैं।
अभी पुरानी कर व्यवस्था ज्यादा लोकप्रिय
मौजूदा समय में करदाताओं के बीच पुरानी टैक्स व्यवस्था ज्यादा लोकप्रिय है। इसमें करदाता इनकम टैक्स की धारा 80सी, धारा 80डी जैसी टैक्स छूट का लाभ लेकर टैक्स की बचत कर लेते हैं। इनकम टैक्स की धारा 80सी के तहत 1.5 लाख रुपये की छूट मिलती है। इसके साथ ही कई दूसरी बचत भी मिल जाती है। वहीं, नई व्यवस्था में किसी तरह की कटौती का लाभ नहीं मिलता है। इसलिए पुरानी व्यवस्था को ज्यादा लोग अभी भी पसंद कर रहे हैं।