तुर्की जैसा भूकंप भारत में आया तो? कैसे जानें आपका घर या अपार्टमेंट है इससे सुरक्षित
भूवैज्ञानिक आने वाले समय में भारत में भी तुर्की जैसे भूकंप की भविष्यवाणी कर रहे हैं। नेशनल जियो फिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी NGRI के वैज्ञानिकों के अनुसार हिलालय क्षेत्र में तगड़े भूकंप आ सकते हैं।
तुर्की और सीरिया में इसी महीने आए भयंकर भूकंप की तस्वीरें देखकर हम सभी सहर गए थे। ये न तो पहला भूकंप था और न हीं आखिरी। जनवरी में 5.8 की तीव्रता वाले भूकंप से नेपाल की धरती डोल गई थी। इसका असर पूरे उत्तर भारत पर भी रहा। इसी दिन लखनऊ में भी एक 5 मंजिला इमारत गिरने की भी घटना सामने आई। लखनऊ के इस हादसे ने उत्तर भारत में मकानों की सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं।
परेशान करने वाली बात यह है कि भूवैज्ञानिक आने वाले समय में भारत में भी तुर्की जैसे भूकंप की भविष्यवाणी कर रहे हैं। नेशनल जियो फिजिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट यानी NGRI के वैज्ञानिकों के अनुसार हिलालय क्षेत्र में तगड़े भूकंप आ सकते हैं। तुर्की में आए भूकंप को लेकर जानकारों का कहना है कि खराब निर्माण के चलते भूकंप में 40000 से ज्यादा लोगों की जान गई है। ऐसे में सवाल उठता है कि आज जिस मकान में रहते हैं वह भूकंप से सुरक्षित है? क्या आप जिस बिल्डिंग में रह रहे हैं उसके बिल्डर ने सभी मानकों को पूरा किया है? आज हम इन्हीं सवालों के जवाब ढूढेंगे और आपको बताएंगे कि नया घर लेते समय आप बिल्डर से कौन से कागजातों की पड़ताल करें।
क्या है नेशनल बिल्डिंग कोड ?
भारत का अधिकांश हिस्सा भूकंप संभावित क्षेत्र में आता है। खासतौर पर हिमालय रीजन में भूकंप आने की संभावना सबसे अधिक है। इसे देखते हुए भारत सरकार ने सुरक्षित मकान के लिए नेशनल बिल्डिंग कोड (NBC) की गाइडलाइन तैयार की है। नेशनल बिल्डिंग कोड के तहत ही किसी भवन को सुरक्षित और खतरनाक घोषित किया जाता है। NBC का ड्राफ्ट सबसे पहले सन् 1970 में आया था। लेकिन विकास की रफ्तार बढ़ते भवन निर्माण को देखते हुए सन् 1983, 2005 और 2015 में इसमें कई संशोधन किये गये।
सभी के लिए अनिवार्य है कोड का पालन
निर्माण करने वाली सरकारी एजेंसियां और प्राइवेट कंस्ट्रक्शन कंपनियों को इसी नेशनल बिल्डिंग कोड के मानकों का पालन करना होता है। देश के विभिन्न राज्यों की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप किसी भी भवन के हिस्से के लिए अलग-अलग स्टैंडर्ड तैयार हैं। कोड में रसोईघर, सीढ़ियां, छत, गैराज, बाथरूम आदि के लिए अलग-अलग गाइडलाइन दी गई हैं।
अपार्टमेंट में घर लेने से पहले क्या करें?
यदि आप किसी मल्टीस्टोरी अपार्टमेंट में घर ले रहे हैं तो पहले बिल्डर से सुरक्षा को लेकर मिली मंजूरियों को जरूर जांच लें। सिस्मिक जोन यानि भूकंप संभावित क्षेत्रों में आने वाले शहरों के लिए भूकंप सुरक्षा से जुड़े मानकों का पालन भी जरूरी है। ऐसे में बिल्डर से इस बात की पड़ता कर लें कि उसने नेशनल बिल्डिंग कोड से संबंधित सभी मंजूरिया ले ली हों।
भवन बनवाने से पहले क्या करें?
अगर आप अपना घर बनवाने जा रहे हैं या खरीदने जा रहे हैं तो किसी बिल्डिंग एक्सपर्ट की मदद से सुरक्षा संबंधी गाइडलाइन्स को जरूर चेक करवा लें। ध्यान रखें कि आर्किटेक्ट ने बिल्डिंग कोड के प्रावधानों का पालन किया है कि नहीं।
कोड के इन सुझावों का हमेशा रखें ख्याल
- बिल्डिंग कोड में बताया गया है कि रसोईघर खुली जगह की ओर होना चाहिये और हवादार होना चाहिए। किचेन में अगर चिमनी न हो तो धुंआ बाहर जाने का स्थान जरूरी हो।
- गाइडलाइन के मुताबिक बेसमेंट की न्यूनतम ऊंचाई 2.5 मीटर होना चाहिये और अधिकतम 4.5 मीटर।
- कोड के मुताबिक किसी भवन के बेसमेंट की दीवारें और फ्लोर्स वाटक प्रूफ भी होना चाहिये। ताकि इसकी नींव कमजोर न हो।
- हर बिल्डिंग में एक इमरजेंसी एक्जिट होनी चाहिये ताकि भूकंप या भी किसी आपात स्थिति में मकान से बिना रोक-टोक बाहर निकला जा सके।
- किसी भी मकान में नेशनल बिल्डिंग कोड के मुताबिक बिजली की वायरिंग की जानी चाहिए।