नयी दिल्ली। कोरोना आपदा के बाद से लोगों के बीच हेल्थ इंंश्योरेंस को लेकर रुझान बढ़ा है। लोग अपने परिवार के लिए मुफीद पॉलिसी खरीदने की ओर रुचि दिखा रहे हैं। वहीं कंपनियां भी पहले से बेहतर और ग्राहक केंद्रित पॉलिसियां पेश कर रही हैं। लेकिन इस बीच सवाल उठता है कि ये कंपनियां जरूरत के वक्त आपके काम आती भी हैं कि नहीं।
एक ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के तहत मरीज के इलाज पर खर्च की गई राशि को वापस पाने में भारत में औसतन 20 से 46 दिन का समय लगता है। बीमा प्रौद्योगिकी मंच सिक्योरनाऊ के एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई है। कंपनी ने कहा कि उसके द्वारा जुटाए गए उद्योग के आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि मरीज बीमा कंपनियों को दावों के बारे में काफी तत्परता से सूचित करते हैं, जिनमें से अधिकांश अस्पताल में भर्ती होने के एक सप्ताह के भीतर संबंधित बीमा कंपनियों को इसकी सूचना दे देते हैं।
बीमा कंपनियां प्रसव के मामलों से जुड़े दावों का निपटारा औसतन सात से 108 दिन के भीतर करती है। ऑपरेशन के द्वारा प्रसव (सिजेरियन) के दावों के निपटारे में नौ दिन से 135 दिन तक का समय लगता है। वहीं कीमोथैरेपी के मामलों में सबसे कम-12 से 35 दिन का समय लगता है।
सिक्योरनाऊ के सह-संस्थापक कपिल मेहता ने कहा कि प्रतिवर्ष स्वास्थ्य बीमा संबंधी करीब एक करोड़ दावे किए जाते हैं। अध्ययन के मुताबिक, दावा वाली राशि में से करीब 13 से 26 फीसदी अंतिम रूप से मंजूर दावा राशि में से काट ली जाती है। इसके पीछे वजह ‘दायरे में नहीं आने वाली वस्तुएं और प्रशासनिक खर्च’ को बताया जाता है
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