भारतीय रेल नेटवर्क दुनिया में चौथा सबसे बड़ा और एशिया में सबसे बड़ा 68 हजार किलोमीटर से अधिक में फैला हुआ है। भारतीय रेलवे को हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। भारतीय रेल नेटवर्क पर प्रतिदिन यात्रियों की संख्या ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या के लगभग बराबर है। पैसेंजर ट्रेनों से लेकर सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनों जैसे वंदे भारत एक्सप्रेस एवं कई तरह की ट्रेनें भारतीय रेलवे द्वारा ऑपरेट की जाती हैं।
लेकिन राष्ट्रीय रेलवे सिस्टम का सफल ऑपरेशन केवल बुनियादी ढांचे के कारण ही संभव है। रेलवे ट्रैक बुनियादी ढांचे का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और लोड को संभालने के लिए ट्रैक को एक विशेष तरीके से डिजाइन किया गया है। डिजाइन का एक कोम्पोनेंट वी-आकार का ट्रैक है। ट्रेन की पटरियां एक समान चलने चलती है लेकिन आगे जाकर कहीं पर वो एक दूसरे से मिलती है। पटरियां मिलने से पहले दो इंटरसेक्टिंग ट्रैक्स के बीच वी(V) शेप बनाती है। लेकिन ये वी-आकार के ट्रैक क्यों हैं और असल में उनका काम क्या है, आइए इसके बारे में जानते हैं।
क्या है गार्ड रेल-
ट्रेनों को पटरी से उतरने से बचाने और दुर्घटनाओं को रोकने में वी-आकार के ट्रैक का बहुत महत्व है। इन्हें गार्ड रेल कहा जाता है और ये दो पटरियों के बीच के चौराहे को मजबूत करने का काम करती हैं। इनका प्रयोग तीन स्थानों पर होता है। आइए जानते हैं कि वे क्या हैं।
गार्ड रेल का उपयोग मुख्य रूप से लेवल क्रॉसिंग और पुलों पर किया जाता है। लेवल क्रॉसिंग पर, गार्ड रेल ट्रेनों को ट्रैक पर रहने और पटरी से उतरने से रोकने में मदद करते हैं। जहां तक पुलों का संबंध है, रेलगाड़ियों को अतिरिक्त सहायता प्रदान करने के लिए गार्ड रेल का उपयोग किया जाता है क्योंकि पुलों पर रेलवे लाइनों को जमीनी स्तर की तुलना में उतना समर्थन नहीं मिलता है। इसलिए, रेलगाड़ी के वजन के कारण पटरियों को पुलों पर झुकने से रोकने के लिए गार्ड रेल का उपयोग किया जाता है।
इन स्थानों में रेल दुर्घटनाओं को रोकने के लिए गार्ड रेल महत्वपूर्ण हैं। यह उन्हें रेलवे के ढांचे का एक इंपोर्टेंट अंग बनाता है जिसके बिना यात्रियों को भारी दुर्घटनाओं का शिकार होना पड़ सकता है।
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