त्योहारी खरीदारी के लिए Loan लेने से बचें, फंस सकते हैं कर्ज के जाल में आप
त्योहारी में खरीदारी के लिए लोन लेने की सोच रहे हैं तो कुछ बातों का जरूर ख्याल रखें। नहीं तो आप कर्ज के जाल में फंस सकते हैं।
Highlights
- पर्सनल लोन का आपकी ईएमआई की रकम और ब्याज की लागत तय करने में अहम रोल होता है
- पर्सनल लोन लेने से पहले दूसरे वैकल्पिक लोन विकल्पों पर विचार कर लें, जैसे प्रॉपर्टी पर लोन
- कर्ज का जाल एक तरह की ऐसी स्थिति होती है, जब कर्ज को चुकाना बहुत मुस्किल हो जाता है
Festive loan offer: त्योहारी सीजन चल रहा है। आगे धनतेरस, दिवाली और भाई दूज का त्योहार आने वाला है। इस दौरान हम सभी ज्वैलरी, टीवी, फ्रीज, मोबाइल, घर, गाड़ी और कपड़े की खरीदारी करते हैं। इस समय बैंक भी ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए जीरो प्रोसेसिंग फीस समेत कम ब्याज पर लोन देने का ऑफर ले कर आते हैं। वहीं, दूसरी ओर स्मार्टफोन, एप और डिजिटल लेनदेने के बढ़ते चलन ने देश की बैंकिंग का तरीका बदल दिया है। इस बदलाव में बैंकों के साथ फिनटेक (फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी) कंपनियों का भी बड़ा हाथ है। बिना कागजी प्रक्रिया के एप या ऑनलाइन से तुरंत ये कंपनियां छोटी अवधि के लिए लोन मुहैया करा रही है। इससे जहां एक ओर लोन मिलना आसान हो गया है वहीं इसका दूसरा पक्ष यह भी हुआ है कि खासकर युवा और मिलेनियल्स कर्ज की गिरफ्त में फंसते चले जा रहे हैं। अगर, आप भी त्योहारी में खरीदारी के लिए लोन लेने की सोच रहे हैं तो कुछ बातों का जरूर ख्याल रखें। नहीं तो आप कर्ज के जाल में फंस सकते हैं।
तेजी से बढ़ा लोन लेने का चलन
एक रिपोर्ट के अनुसार, ऑनलाइन के बढ़ते चलन ने बैंकिंग सेक्टर को भी पूरी तरह से बदल दिया है। निजी क्षेत्र की कई फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी (फिनटेक) कंपनियां बाजार में आ गई है जो एप और ऑनलाइन आवेदन के जरिए सिर्फ 24 से 36 घंटा के अंदर कर्ज मुहैया करा रही है। वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, भारतीय मिलेनियल्स को कर्ज लेने में डर नहीं है। इसलिए वह किसी खरीदारी में डाउनपेमेंट भी क्रेडिट कार्ड से करते हैं। बाद में वो कर्ज के जाल में फंसते चले जाते हैं।
लोन लेकर लोन चुकाना अच्छी आदत नहीं
युवाओं में एक चलन और देखने को मिला है। लोन लेकर लोन चुकाने की आदत। अगर उच्च ब्याज दर पर लिए लोन चुकाने के लिए कम ब्याज पर दूसरा लोन लेते हैं तो यह बुद्धिमानी भरा फैसला होगा। लेकिन, अगर दूसरा लोन इसलिए ले रहे हैं कि आपके पास पहले लिए हुए लोन चुकाने का पैसा नहीं है तो आप कर्ज की जाल में फंसते चले जाएंगे।
लोन को रीफाइनेंस न कराएं
फिनटेक कंपनियां अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए लोन को रीफाइनेंस यानी फिर से पुनर्गठन की सुविधा देती है। कंपनियां इसके तहत एक लोन के होते हुए दूसरा लोन लेकर पहले को पुनर्गठन की सुविधा देती है। फिनटेक कंपनियों का इसके पीछे का उद्देश्य अपना करोबार बढ़ाना होता है। वित्तीय योजनाकार विशाल धवन का कहना है कि यह एक तरह का जाल है। इसमें युवा वर्ग तेजी से फंस रहे हैं। वह एक के बाद दूसरा कर्ज ले रहे हैं और कर्ज की जाल से निकल नहीं पा रहे हैं। यह एक बुरी आदत है। खर्च करने से पहल बचत की आदत डालें।
इन बातों का रखें ख्याल
- लोन चुकाने की क्षमता पहले जानें: पर्सनल लोन का आपकी ईएमआई की रकम और ब्याज की लागत तय करने में अहम रोल होता है। इसलिए कभी भी लोन लेने से पहले अपनी भुगतान क्षमता का आकलन पहले करें। इससे आपको लोन चुकाना आसाना होगा और आप लोन डिफॉल्ट करने से बच जाएंगे।
- दूसरे लोन विकल्पों से तुलना करें: पर्सनल लोन लेने से पहले दूसरे वैकल्पिक लोन विकल्पों पर विचार कर लें, जैसे प्रॉपर्टी पर लोन, टॉप अप होम लोन, गोल्ड लोन आदि। इन पर ब्याज दरें पर्सनल लोन से कम हो सकती है।
- मौजूदा निवेश से भुगतान: एफडी, डेट, म्यूचुअल फंड जैसे निवेश से आपको पर्सनल लोन की ब्याज की तुलना में कम रिटर्न मिलता है। आप अपने म्यूचुअल फंड या एफडी में किए हुए निवेश का इस्तेमाल भी क्रेडिट कार्ड का बकाया चुकाने के लिए कर सकते हैं। बशर्ते आपका इन निवेश को लेकर कोई शार्ट टर्म लक्ष्य न हो।
कर्ज का जाल क्या होता है?
कर्ज का जाल एक तरह की ऐसी स्थिति होती है, जब किसी इंसान के लिए अपने कर्ज को चुकाना बहुत मुस्किल हो जाता है। यानी ऐसी फाइनेंशियल स्थिति, जब उसके लिए अपने कर्ज की मूल रकम, यानी प्रिंसिपल अमाउंट को चुकाना लगभग असंभव हो जाता है, और वह आदमी सिर्फ कर्ज का ब्याज ही चूका सकता है।
न करें ये गलतियां
1. आय के 50 फीसदी से अधिक ईएमआई
कभी भी अपनी लोन की ईएमआई का बोझ महीने की आय का 50 फीसदी से अधिक नहीं होने दें। यह खतरे की घंटी है। आमतौर पर ईएमआई का बोझ आय का 40 फीसदी तक होना सही माना जाता है। लेकिन बदलते दौर के साथ ब्याज मुक्त ईएमआई, छूट और ‘सेल’ के चक्कर में युवा आवादी अपनी आय से 50 फीसदी अधिक का कर्ज लेकर कर्ज के जाल में फंस जा रहे हैं।
2. बचत बिल्कुन नहीं
हर कोई अपनी महीने की आय का कम से कम 10-20 फीसदी बचाना चाहता है। अगर आपकी पूरी कमाई खर्च हो जाती है और आपकी कोई बचत नहीं है तो इसका अर्थ है कि आपके खर्चे नियंत्रण से बाहर हैं। ऐसे में जल्दी ही आपके खर्चे आपकी आय से ज्यादा हो जाएंगे यानी आप कर्ज में चले जाएंगे। इससे बचने के लिए अपने खर्च को नियंत्रित करें।
3. छोटे खर्च के लिए भी लोन की जरूरत
नियमित खर्चों के लिए लोन अक्सर कई लोग नियमित खर्चों के लिए उधार ले लेते हैं। इस तरह के खर्चों में किराया, बच्चों की फीस इत्यादि शामिल है। जब आप इस तरह के नियमित खर्चों के लिए उधार लेना शुरू कर दें तो जानिए कर्ज का फंदा कस रहा है।
4. क्रेडिट कार्ड से निकासी
नियमित खर्चों के लिए जहां उधार लेना गलत है। वहीं, इन्हें पूरा करने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल भी संकट में डाल सकता है. जरूरतों के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल सही नहीं है। बढ़ती ईएमआई के साथ लोन कई लोग अपने भविष्य के इंक्रीमेंट को लेकर जरूरत से ज्यादा आशावान हो जाते हैं। ऐसा सोचकर कभी भी लोन नहीं लें।