FD में पैसा लगाने से पहले जान लें TDS, Tax और पेनल्टी का गणित, पैसा कमाने का सपना कहीं हो न जाए चूर-चूर
अक्सर हम FD में पैसा लगाने के लिए ब्याज दरें ही देखते हैं। लेकिन हमें टैक्स पर भी ध्यान देना चाहिए। सीमा से अधिक एफडी पर ब्याज मिलने पर आपको टैक्स भी देना होता है, जो कि आपका रिटर्न घटा सकता है
पिछले साल से निवेश के सबसे सुस्त विकल्प माने जाने वाले फिक्स डिपॉजिट निवेश का हॉटस्पॉट बना हुआ है। देश के सभी सरकारी और निजी बैंक करीब एक दर्जन से अधिक बार फिक्स्ड डिपॉजिट (Bank FD) की ब्याज दरों (FD Rate Hike) में वृद्धि कर चुके हैं। बैंकों की इस दिलदारी के चलते युवा ग्राहक भी शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड के बाद FD में निवेश करना पसंद कर रहे हैं। रिजर्व बैंक ने आज ब्याज दरों पर अपना निर्णय सुना दिया है। लगातार 3 बार से रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में परिवर्तन नहीं किया है। ऐसे में संभव है कि आने वाले दिनों में बैंक एफडी पर ब्याज दरों में कटौती कर सकते हैं। ऐसे में मौजूदा दरों को एफडी की उच्चतम माना जा रहा है।
लेकिन यहां ज्यादातर लोग एफडी पर लगने वाले टीडीएस यानि टैक्स डिडक्शन एट सोर्स की गणना करना भूल जाते हैं और उन्हें उतना मुनाफा नहीं होता जितना कागजों में दिखाई पड़ता है। इसके अलावा आपको फिक्स्ड डिपॉजिट से होने वाली आय पर टैक्स भी देना होता है। इसे आपकी कुल आय में जोड़ा जाता है और आपके टैक्स स्लैब के हिसाब से टैक्स लागू होता है।
जानिए FD पर टैक्स का गणित
आयकर के नियमों के अनुसार आपकी FD पर ब्याज 40,000 रुपये से अधिक होता है तो बैंक इस पर मिलने वाले ब्याज पर TDS काटते हैं। यदि आप सीनियर सिटिजन हैं तो आपको 10000 की छूट मिलती है, यानि 50,000 रुपये के बाद TDS काटा जाता है। यहां, ध्यान रखने वाली बात यह है कि TDS तब काटा जाता है, जब आपकी FD पर ब्याज जोड़ा जाता है या क्रेडिट किया जाता है, न कि तब, जब FD मेच्योर होती है। इस प्रकार हर साल आपको ब्याज पर टैक्स देना होता है।
पैन नहीं तो 20 फीसदी टैक्स?
साधारण स्थिति में यदि छूट की लिमिट से ज्यादा पैसे ब्याज के रूप में मिलते हैं, तो बैंक आपके ब्याज पर 10 फीसदी की दर से टीडीएस काटते हैं। लेकिन यहां ध्यान रखना होगा कि अगर आपके पास पैन नंबर नहीं है तो यह टीडीएस की राशि दोगुनी हो जाती है, यानि आपको 20 फीसदी टैक्स देना होगा।
यदि इनकम लिमिट सीमा से कम हो तो?
अगर आपको मिली ब्याज की राशि छूट सीमा के अंदर है और बैंक ने फिर भी टीडीएस काटा तो आप उसे इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते वक्त क्लेम कर सकते हैं। वहीं आपकी कुल आय में ब्याज आय जोड़ने पर टैक्स लायबिलिटी है, तो उसे वित्त वर्ष के 31 मार्च को या उससे पहले भुगतान करना जरूरी है। इस तरह आप किसी भी बकाया टैक्स का भुगतान कर सकते हैं।
समय से पहले FD तुड़वाने पर देनी होगी पेनल्टी
अगर आप समय से पहले FD तुड़वाते हैं तो आपको उस दर से जिस पर आपने FD की है, वह ब्याज नहीं मिलता है। जैसे मान लीजिए कि आपने 1 लाख रुपए की FD 1 साल के लिए 6% की दर से की, लेकिन आप उसे 6 महीने बाद ही तोड़ देते हैं और 6 महीने की FD पर 5% सालाना की दर से ब्याज मिल रहा है, तो ऐसे में बैंक आपके पैसों पर 5% की दर से ब्याज देगा, न कि 6% की दर से। देश के सबसे बड़े बैंक SBI के नियम के अनुसार अगर कोई व्यक्ति 5 लाख रुपए तक की FD कराता है, तो उसे FD मेच्योर होने से पहले उसे ब्रेक करने पर 0.50% पेनल्टी देनी पड़ेगी। इसी तरह 5 लाख से ज्यादा और एक करोड़ से कम की FD पर 1% पेनल्टी समय से पहले ब्रेक करने पर देनी होगी