कभी भारत में केवल अंग्रेजों का होता था इंश्योरेंस, जानें ऐसा क्यों और कब से बदला यह रिवाज
वह भी क्या दौर था, जब कोई चाह कर भी अपना बीमा नहीं करा सकता था। वक्त बदला और आज बीमा चंद मिनट में कहीं गए बिना हो रहा है।
आपको जानकार शायद आश्चर्य होगा कि एक समय तक भारत में सिर्फ अंग्रेजो का ही इंश्योरेंस हुआ करता था। भारतीय चाह कर भी अपना इंश्योरेंस नहीं करा पाते थे। बताते चले कि भारत में पहली बार इंश्योरेंस 1818 में इंग्लैंड से आया था। उस समय ओरिएंटल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी की स्थापना यूरोपीय लोगों की ओर से कलकत्ता (अब कोलकाता) में की गई थी। यह कंपनी केवल यूरोपीय यानी अंग्रेज लोगों का बीमा करती थी। भारतीयों का इसमें बीमा नहीं किया जाता था।
बाबू मुट्टीलाल सील के प्रयास से शुरू हुआ बीमा
फिर बाद में बाबू मुट्टीलाल सील जैसे जाने माने लोगों के प्रयासों के कारण विदेशी बीमा कंपनियों में भारतीयों का बीमा शुरू हो गया, लेकिन यूरोपीय लोगों के मुकाबले प्रीमियम अधिक वसूला जाता था। बाद में 1870 में इस समस्या को देखते हुए बॉम्बे म्यूचुअल लाइफ एश्योरेंस सोसाइटी ने एक भारतीय इंश्योरेंस कंपनी की स्थापना की, जिसमें भारतीय को सामान्य दरों पर बीमा दिया जाता था। धीरे-धीरे राष्ट्रवाद की ब्यार वही और 1886 तक देश में कई भारतीय बीमा कंपनियां खड़ी हो गई।
एलआईसी की स्थापना इसी लिए हुई
देश के आम नागरिकों को सस्ता बीमा उपलब्ध कराने के लिए एलआईसी की स्थापना हुई। एलआईसी की स्थापना का उद्देश्य देश के हर नागरिक तक विशेषकर ग्रामीण इलाकों में इंश्योरेंस की सुविधा सही कीमत पर पहुंचाना था। एलआईसी की स्थापना आज से 68 साल पहले एक सितंबर, 1956 को हुई थी। 1956 में एलआईसी के कॉर्पोरेट ऑफिस के अलावा 5 जोनल ऑफिस, 33 डिविजनल ऑफिस और 212 ब्रांच ऑफिस थे। एलआईसी की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार आज के समय में देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी के पास 2048 ब्रांच ऑफिस, 113 डिविजनल ऑफिस, 8 जोनल ऑफिस और 1381 सेटेलाइट ऑफिस और कॉरपोरेट ऑफिस हैं। इसकी बाजार हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से अधिक हैं। एलआईसी की कुल एसेट्स अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) 50 लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है।
इनपुट: आईएएनएस