नई दिल्ली। आमतौर पर हम सभी जीवन या हेल्थ इंश्योरेंस खरीदते वक्त पॉलिसी के तहत मिलने वाली सुविधाओं, कवर की राशि और रिटर्न को देखते हैं। इसके अलावा हम दूसरी बातों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते हैं। हालांकि, बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि पॉलिसी के अलावा बीमाकर्ता यानी इंश्योरेंस कंपनी की वित्तीय सेहत को चेक करना बहुत जरूरी है। अगर बीमा कंपनी की वित्तीय सेहत ठीक नहीं होगी तो प्रीमियम समय पर देने के बाद भी बीमाधारक को बीमा का फायदा नहीं मिल पाएगा। हम आपको बता रहे हैं कि आप किसी बीमा कंपनी की वित्तीय सेहत को कैसे आसानी से चेक कर सकते हैं।
सॉल्वेंसी रेश्यो
किसी भी बीमा कंपनी से बीमा खरीदने से पहले उसका सॉल्वेंसी रेश्यो जरूर चेक करें। बीमा नियामक इरडा के अनुसार, जीवन बीमा, हेल्थ और जनरल इंश्योरेंस कंपनियों का न्यूनतम सॉल्वेंसी रेश्यो 150 फीसदी होना चाहिए। किसी बीमा कंपनी का सॉल्वेंसी रेश्यो यह बताता है कि उसके पास संपत्ति देनदारियों से अधिक है। सॉल्वेंसी रेश्यो 150 फीसदी से अधिक होने पर इंश्योरेंस कंपनी के वित्तीय संकट में फंसने को लेकर आशंका नहीं रहती। जिस कंपनी का सॉल्वेंसी रेश्यो जितना अधिक होगा, क्लेम का भुगतान करने के लिए बीमा कंपनी की वित्तीय स्थिति उतनी ही बेहतर होगी।
क्लेम सेटेलमेंट रेश्यो
बीमा कंपनी का सॉल्वेंसी रेश्यो देखने के बाद क्लेम सेटेलमेंट रेश्यो जरूर चेक करें। इस के जरिये आप कंपनी पर कुल किए गए क्लेम की तुलना में कंपनी द्वारा भुगतान किए गए क्लेम की जानकारी ले सकते हैं। यह रेश्यो बताता है कि इंश्योरेंस कंपनी अपने पर किए गए क्लेम को निपटाने में कितनी सक्षम है। ग्राहक के लिए यह रेश्यो रेशियो जितना अधिक होगा उतना ही अच्छा होगा।
परसिस्टेंसी रेश्यो
बीमा इंश्योरेंस कंपनी द्वारा जारी कुल पॉलिसी में से चालू पॉलिसी की संख्या से विभाजित करके परसिस्टेंसी रेश्यो की गणना की जाती है। परसिस्टेंसी रेश्यो इस मायने में महत्वपूर्ण है कि यह बताता है कि पॉलिसी होल्डर उस पॉलिसी से कितने संतुष्ट हैं जो उनके पास है। यदि पॉलिसी होल्डर संतुष्ट है, तो वह पॉलिसी जारी रखेगा जिससे कंपनी का रेश्यो बढ़ेगा। इसके अलावा, यदि रेश्यो अधिक है तो यह बतलात है कि कंपनी ग्राहक को सही पॉलिसी बेची रही।
मदद के लिए है बीमा नियामक इरडा
बीमा विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बीमा कंपनियां अपना सॉल्वेंसी रेश्यो को पूरा करने में असफल होती हैं तो बीमा नियामक इरडा के पास कार्रवाई करने की शक्ति है। यह सॉल्वेंसी रेश्यो पर नजर रखता है क्योंकि इससे क्लेम का भुगतान करने की कंपनी की क्षमता तय होती है। अगर बीमा कंपनी क्लेम देने में आनाकानी करे तो बीमाधारक के पास इरडा का दरवाजा खटखटाने का अधिकार है। इरडा बीमाधारक के पक्ष में फैसला सुनाता है।
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