1 अप्रैल 2021 से संभव है कि आपके खाते में जितनी सैलरी मार्च तक क्रेडिट होती हो, उतनी अप्रैल में न हो। इस सैलरी में कटौती होने की संभावना है। दरअलस अगले साल यानी सरकार 2021 में अप्रैल महीने से नया वेज रूल (New Wage Rule) यानी वेतनमान का नियम लागू करने जा रही है। आपको बता दें ये नियम पिछले साल संसद से पारित हुए वेज कोड का हिस्सा हैं। अगले फाइनेंशियल ईयर से वेतनमान की नई परिभाषा शुरू होने वाली है।
नए नियम के तहत तमाम भत्ते कुल सैलरी के 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकते हैं। यानी कि अप्रैल 2021 से कुल सैलरी में बेसिक सैलरी का हिस्सा 50 फीसदी या फिर उससे भी अधिक रखना होगा। इसकी वजह से ना केवल प्रोविडेंट फंड (Provident Fund), ग्रेच्युटी (Gratuity) और हाथ में आने वाली सैलरी (In hand salary) पर असर पड़ेगा। सरकार ने मजदूरी 2019 पर संहिता के तहत मसौदा नियमों को अधिसूचित करती है।
बेसिक सैलरी 50 प्रतिशत से कम न हो
मसौदा नियमों के अनुसार, ग्रेच्युटी और भविष्य निधि योगदान की गणना के उद्देश्य से मूल वेतन कम से कम कर्मचारियों के कुल वेतन का 50% होना चाहिए। इस नियम का पालन करने के लिए, नियोक्ताओं को वेतन के मूल वेतन घटक को बढ़ाना होगा, जिससे ग्रेच्युटी भुगतान में आनुपातिक वृद्धि होगी और भविष्य निधि में कर्मचारियों का योगदान होगा।
आपको फायदा या नकसान
बता दें कि ग्रेच्युटी बेसिक सैलरी के हिसाब से कैल्कुलेट होती है और बेसिक सैलरी बढ़ने की वजह से ग्रेच्युटी की रकम भी बढ़ जाएगी। इस नई व्यवस्था में कर्मचारी और कंपनी दोनों का ही पीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन बढ़ जाएगा। यानी आपके पास सेविंग्स बढ़ेंगी। लेकिन आपकी इन हैंड सैलरी घट जाएगी। दरअसल निजी कंपनियों कर्मचारियों की सैलरी का 70 प्रतिशत तक हिस्सा अलाउंस का रखती हैं। लेकिन यदि बेसिक सैलरी बढ़ती है तो अलाउंस घटाने होंगे। ऐेसे में फौरी तौर पर नुकसान कर्मचारी को होगा।
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