Flipkart और Amazon दे रहे हैं No Cost EMI ऑफर, जानिए क्या है इसका मतलब
एमआई पर जब आप कोई उत्पाद खरीदते हैं तो आपको ब्याज और प्रोसेसिंग शुल्क चुकाना होगा। नो कॉस्ट ईएमआई में आपको केवल प्रोडक्ट की कीमत चुकानी होती है।
नई दिल्ली। Flipkart और Amazon पर फेस्टिव सेल की शुरुआत हो चुकी है। इस फेस्टिव सेल पर आपको आकर्षक ऑफर और डील्स तो मिल ही रही हैं। कंपनियां ग्राहकों को नो कॉस्ट ईएमआई का भी विकल्प उपलब्ध करवा रही हैं। यहां आपको यह समझना जरूरी है कि क्या यह विकल्प फायदेमंद होता है और अगर हां तो कस्टमर्स को क्या फायदा मिलता है।
नो कॉस्ट ईएमआई का कैलकुलेशन
ईएमआई पर जब आप कोई उत्पाद खरीदते हैं तो आपको ब्याज और प्रोसेसिंग शुल्क चुकाना होगा। नो कॉस्ट ईएमआई में आपको केवल प्रोडक्ट की कीमत चुकानी होती है। उपभोक्ताओं को ब्याज और प्रोसेसिंग शुल्क से छूट मिलती है। उदाहरण के तौर पर अगर 30 हजार रुपए का उत्पाद है तो 6 महीने में नो कॉस्ट ईएमआई 5000-5000 रुपए होगी। हालांकि इस बारिकी को समझने की जरूरत है कि दुकानदार पहले से इसमें ब्याज और अन्य चार्ज शामिल कर लेते हैं।
क्या कहता है कानून?
2013 में भारतीय रिजर्व बैंक ने एक सर्कुलर जारी किया था। इसमें उसने कहा था कि जीरो फीसदी ब्याज की अवधारणा का कोर्इ वजूद नहीं है। 17 सितंबर, 2013 को जारी यह सर्कुलर कहता है कि क्रेडिट कार्ड की बकाया देनदारी पर जीरो फीसदी र्इएमआर्इ स्कीम में ब्याज को गलत तरीके से पेश किया जाता है। इसमें अक्सर प्रोसेसिंग फीस के नाम पर ब्याज का बोझ ग्राहकों पर डाल दिया जाता है।
ऑनलाइन खरीदारी पर इस तरह होती है ब्याज वसूली
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मिलने वाली नो कॉस्ट ईएमआई की सुविधा को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक हथकंडा है। इसमें दो तरीके से कस्टमर से ब्याज का पैसा वसूला जाता है। मान लीजिए कि उत्पाद की कीमत 30 हजार रुपए है। अगर आप इसे तुरंत पैसे देकर खरीदेंगे तो आपको डिस्काउंट मिलता है। नो कॉस्ट ईएमआई में आपको डिस्काउंट का लाभ नहीं मिलेगा और उत्पाद की कीमत 30 हजार ही होगी। 6 महीने की ईएमआई 5000-5000 रुपए होगी। ब्याज की राशि भी इसी में जुड़ी है। दूसरा तरीका यह होता है कि अगर आप नो कॉस्ट ईएमआई का विकल्प चुनते हैं तो दुकानदार उसकी कीमत 30 हजार से बढ़ा देगा। नो कॉस्ट के लिए उसी प्रॉडक्ट की कीमत कुछ ज्यादा होती जो मूल रूप से लगने वाला ब्याज है।
क्रेडिट कार्ड पर कैलकुलेशन
अगर आप क्रेडिट कार्ड के जरिये नो कॉस्ट ईएमआई की सुविधा का इस्तेमाल करते हैं तो सामान की कीमत के बराबर की क्रेडिट वैल्यू आपके लिमिट से घट जाती है। उदाहरण के तौर पर आपने एक टीवी 45 हजार रुपए में नो कॉस्ट ईएमआई या जीरो इंट्रेस्ट ईएमआई पर खरीदा। खरीदारी करने के बाद उस महीने का बिल तैयार होगा और आपकी क्रेडिट लिमिट अगर पहले 1 लाख रुपए थी तो वह घटकर 55 हजार रुपए रह जाएगी। आपने उसे 9 महीने की ईएमआई पर लिया है ऐसे में हर ईएमआई चुकाने के बाद आपकी क्रेडिट लिमिट 5-5 हजार रुपए बढ़ती जाएगी।