भारत में जल्द शुरू होगी हाइपरलूप सेवा, बस के किराये में मिलेगी हवाई जहाज की गति से सफर करने की सुविधा
मुंबई से पुणे की 117.50 किलोमीटर की दूरी तय करने में आज तीन से चार घंटे में लगते हैं, लेकिन हाइपरलूप से यह दूरी महज 23 मिनट में पूरी हो जाएगी।
नई दिल्ली। देशवासियों को कम समय वाले और अधिक सुविधाजनक यात्रा विकल्प उपलब्ध कराने की दिशा में काम बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है। वर्जिन हाइपरलूप वन-डीपी वर्ल्ड कंसोर्टियम मुंबई और पुणे के बीच परिवहन के एक नए साधन हाइपरलूप सेवा के निर्माण पर काम कर रहा है। इस पूरी परियोजना को पूरा होने में 6 से 7 वर्ष लगेंगे। मुंबई से पुणे की 117.50 किलोमीटर की दूरी तय करने में आज तीन से चार घंटे में लगते हैं, लेकिन हाइपरलूप से यह दूरी महज 23 मिनट में पूरी हो जाएगी। मुंबई-पुणे के बीच हाइपरलूप की घोषणा 2018 में वर्जिन हाइपरलूप वन के चेयरमैन रिचर्ड ब्रानसन ने की थी।
दुबई से पहले भारत में चलेगी हाइपरलूप
अमीरात की बहुराष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स कंपनी डीपी वर्ल्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सुल्तान अहमद बिन सुलेयाम ने रविवार को कहा कि यूएई से पहले भारत या सउदी अरब में हाइपरलूप हकीकत बन सकता है। हाइपरलूप यात्रियों और माल के लिए एक उच्च गति वाली सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है।
दशक के अंत तक कई हिस्सों में शुरू होगी सेवा
उन्होंने कहा कि इस दशक के अंत तक दुनिया के कई हिस्सों में उच्च गति वाली परिवहन प्रणाली एक वास्तविकता बन जाएगी। सुलेयाम ने वर्जिन हाइपरलूप की गति के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि मैं इसे या तो पहले भारत में देखूंगा, या सऊदी अरब में। हमें उम्मीद है कि जब हम बड़े स्तर को हासिल करेंगे, और आपके पास लंबे रूट होंगे, तो ये लोकप्रिय होंगे, क्योंकि शायद एक हवाई जहाज की गति के लिए आप एक बस टिकट की कीमत का भुगतान करेंगे। इस प्रणाली को इस समय कई कंपनियां विकसित कर रही हैं, जिसमें वर्जिन हाइपरलूप भी शामिल है, जिसमें दुबई स्थित बंदरगाह परिचालक डीपी वर्ल्ड की बहुलांश हिस्सेदारी है। कंपनी ने पिछले साल नवंबर में पहली बार हाइपरलूप पॉड में मानव यात्रा का परीक्षण किया था।
रिचर्ड ब्रानसन कर चुके हैं उद्धव ठाकरे से मुलाकात
ब्रिटिश अरबपति रिचर्ड ब्रानसन ने महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से गलतफहमियों को दूर करने और 10 अरब डॉलर वाली मुंबई-पुणे हाइपरलूप परियोजना के विषय में नई सरकार की रुचि के बारे में जानने के लिए मुलाकात की थी। इस मुलाकात में परियोजना को लेकर जो भी गलतफहमियां थीं, उन्हें दूर करने का दावा ब्रानसन ने खुद किया था।
हाइपरलूप सिस्टम कैसे करता है काम
हाइपरलूप 1,000 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने का वादा करता है। यह गति पारंपरिक रेल की गति से 10-15 गुना अधिक है और हाई-स्पीड रेल से दो से तीन गुना अधिक है। वर्जिन हाइपरलूप वन का कहना है कि परिवहन के इस साधन में यात्री या माल को हाइपरलूप वाहन में चढ़ाया जाता है, जो कम दवाब वाले ट्यूब में इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन के माध्यम से तीव्रता से चलता है।
हाइपरलूप वाहन लिनियर इलेक्ट्रिक मोटर से गति हासिल करता है, जो पारंपरिक रोटरी मोटर का सुलझा हुआ संस्करण है। एक पारंपरिक इलेक्ट्रिक मोटर के दो प्रमुख हिस्से होते हैं - एक स्टेटर (यह हिस्सा स्थिर होता है) और एक रोटर (यह हिस्सा घूमता है या गति हासिल करता है)। जब स्टेटर में बिजली आपूर्ति की जाती है तो यह रोटर को घुमाता है, इससे मोटर चलती है।
वहीं, लिनियर इलेक्ट्रिक मोटर में यही दोनों प्रमुख हिस्से होते हैं। लेकिन इसमें रोटर घूमता नहीं है, बल्कि यह सीधे आगे की तरफ बढ़ता है, जो स्टेटर की लंबाई के बराबर चलता है। वर्जिन के हाइपरलूप वन सिस्टम में स्टेटर्स को ट्यूब में लगा दिया जाता है और रोटर को पॉड पर लगा दिया जाता है, और पॉड ट्यूब के अंदर गति कम करने के लिए स्टेटर से रोटर को दूर करता है।
वर्जिन हाइपरलूप ने अपनी वेबसाइट पर कहा है कि यह वाहन ट्रैक के ऊपर चुंबकीय उत्तोलन के माध्यम से तैरता है और किसी हवाई जहाज जितनी गति हासिल कर लेता है, क्योंकि ट्यूब के अंदर एयरोडायनेमिक ड्रैग (हवा का अवरोध) काफी कम होता है।
कंपनी ने कहा कि पूरी तरह से स्वायत्त हाइपरलूप सिस्टम्स को खंभों पर या सुरंग बनाकर स्थापित किया जाएगा, ताकि ये सुरक्षित रहे और किसी जानवर आदि से किसी प्रकार के नुकसान की संभावना ना हो। जब हमारी सड़कें और हवाई अड्डों पर तेजी से भीड़ बढ़ रही है तो ऐसे में हाइपरलूप परिवहन के एक तेज साधन की पेशकश के अलावा कई अन्य फायदे भी मुहैया कराएगा। इस प्रणाली का पर्यावरण पर असर काफी कम होगा क्योंकि इससे कोई प्रत्यक्ष उत्सर्जन या शोर पैदा नहीं होगा। वर्जिन हाइपरलूप वन ने पूर्ण पैमाने पर (फुल स्केल) हाइपरलूप टेस्ट ट्रैक का निर्माण किया है, जिस पर अब तक सैकड़ों परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए गए हैं।
यह भी पढ़ें: एलन मस्क भारत में अगले साल शुरू करेंगे सैटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा, कनेक्शन के लिए देने होंगे इतने रुपये
यह भी पढ़ें: राहत पैकेज से खुश एयरटेल, वोडाफोन आइडिया को लगा झटका, जियो की वजह से लगा नया जुर्माना
यह भी पढ़ें: Tata Sons ने जीती Air India की बोली, 67 साल बाद हुई घर वापसी
यह भी पढ़ें: Mahindra XUV700 की बुकिंग 7 अक्टूबर होगी शुरू, पहले 25000 खरीदारों को मिलेगी इस खास कीमत पर