नई दिल्ली। देश में सबसे बड़ी जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं को हर साल बिजली बिल में होने वाली बढ़ोतरी से जल्द ही राहत मिलने वाली है। राज्य सरकार इसके लिए तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान में कमी लाने के साथ बिजली संयंत्रों की दक्षता बढ़ाने और बिजली चोरी रोकने की दिशा में काम कर रही है।
उत्तर प्रदेश के बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा कि प्रदेश में जहां भी तकनीकी और वाणिज्यिक नुकसान (एटीएंडसी) 15 प्रतिशत से कम है, वहां 24 घंटे बिजली उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारा पूरा जोर सस्ती और स्वच्छ बिजली पर है।
शर्मा ने कहा कि हम बिजली दरों को सस्ती रखने के लिए जहां एक तरफ नुकसान (एटीएंडसी) में कमी ला रहे हैं, वहीं चोरी पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठा रहे हैं। इसके अलावा हम सस्ती बिजली के लिए बिजली खरीद समझौता कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने हाल ही में बिजली दरों में 8 से 12 प्रतिशत बढ़ोतरी की है। इसके तहत 500 यूनिट से अधिक बिजली खपत करने पर घरेलू ग्राहकों को 7 रुपए प्रति यूनिट का शुल्क देना पड़ रहा है।
नुकसान पर शर्मा ने कहा कि राज्य बिजली क्षेत्र के विभिन्न मदों में घाटा लगभग 72,000 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। हमारा लक्ष्य इसे 2032 तक 10,000 करोड़ रुपए से नीचे लाने का है। उन्होंने कहा कि सस्ती और 24 घंटे बिजली के लिए लोगों का भी सहयोग जरूरी है। जो भी बिजली खपत हो, उसका भुगतान होना चाहिए।
शर्मा ने बताया कि बिजली चोरी रोकने के उपायों के तहत स्मार्ट व प्रीपेड मीटर का उपयोग किया जा रहा है। वर्तमान में लगभग 7 लाख स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जा चुके हैं और 2022 तक पूरे प्रदेश में सभी बिजली उपभोक्ताओं को इसके दायरे में लाया जाएगा।
इसके अलावा बिजली की चोरी रोकने के लिए राज्य सरकार ने नोएडा और गाजियाबाद जैसे शहरों में 62 विशेष थाने खोले हैं, जो बिजली चोरी के ही मामलों से निपटेंगे। शर्मा ने कहा कि अभी राज्य में व्यस्त समय में बिजली की मांग 22,000 मेगावाट है और राज्य सरकार इसे पूरा करने में पूरी तरह से सक्षम है। राज्य की बिजली उत्पादन क्षमता फिलहाल करीब 10,500 मेगावाट है।
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