नई दिल्ली। दूरसंचार उपभोक्ता संगठन टेलीकॉम यूजर ग्रुप (टीयूजी) ने अगले साल एक जनवरी 2020 से 6 पैसा प्रति मिनट का इंटरकनेक्शन यूसेज चार्ज (आईयूसी) खत्म करने की मांग की है। संगठन का कहना है कि आईयूसी शुल्क समाज के कमजोर तबके को नए युग की सेवाएं और बेहतर अनुभव की राह में बाधा है। ट्राई ने 1 जनवरी 2020 से मौजूदा आईयूसी व्यवस्था को बीएके (बिल एंड कीप) व्यवस्था में बदलने का प्रस्ताव किया है। इस नई व्यवस्था में कोई भी सेवाप्रदाता मोबाइल कॉल ट्रांसमिशन के लिए शुल्क नहीं वसूलेगा।
हालांकि, ट्राई ने हाल ही में एक परिचर्चा पत्र जारी किया है जिसमें पूछा गया है कि क्या मोबाइल कॉल टर्मिनेशन शुल्क व्यवस्था को खत्म करने की तारीख को आगे बढ़ाया जा सकता है। टेलीकॉम यूजर ग्रुप (टीयूजी) ने ट्राई को लिखे अपने पत्र में 1 जनवरी 2020 से आईयूसी व्यवस्था खत्म करने का आग्रह किया है। टीयूजी ने कहा है कि मौजूदा आईयूसी व्यवस्था डिजिटल विभाजक का काम करेगी, जहां समाज का कमजोर तबगा नई तकनीक के फायदे से दूर रहेगी। उद्योग जगत का अनुमान है कि एक साल में आईयूसी शुल्क के रूप में 200 रुपए से अधिक का भुगतान करना पड़ता है।
टीयूजी इंडिया के अध्यक्ष अनिल प्रकाश ने कहा कि उपभोक्ता इस राशि का उपयोग नई सेवाओं के लिए कर सकते हैं जो टेक्नोलॉजी अपग्रेड और इन्नोवेशन के लिए रूप में हो सकता है। टीयूजी ने कहा कि आईयूसी व्यवस्था के चालू रहने से नेटवर्क के आधुनिकीकरण में देरी होगी।
ट्राई ने 1 अक्टूबर 2017 को आईयूसी शुल्क की दर को 14 पैसे प्रति मिनट से घटाकर 6 पैसा प्रति मिनट कर दिया था। ट्राई ने 1 जनवरी 2020 से आईयूसी को खत्म करने की बात कही थी। हालांकि, सितंबर में ट्राई ने एक परिचर्चा पत्र जारी कर आईयूसी की तारीख आगे बढ़ाने का प्रस्ताव किया है और सभी प्रतिभागियों से राय मांगी है।
दूरसंचार सेवाप्रदाता भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और बीएसएनएल 1 जनवरी की अंतिम तारीख को आगे बढ़ाने के पक्ष में हैं, जबकि रिलायंस जियो इसके खिलाफ है। टीयूजी इंडिया का मानना है कि सरकार को 1 जनवरी 2020 से आईयूसी शुल्क को खत्म करना चाहिए, इससे इन्नवोशन को बढ़ावा मिलेगा और उपभोक्ताओं के हितों की भी रक्षा होगी।
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