नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में पुराने वाहनों को कबाड़ में देने पर नए वाहनों की खरीद में राष्ट्रीय वाहन कबाड़ नीति के तहत पथकर (रोड टैक्स) में 25 प्रतिशत तक की छूट दी जायेगी। मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि वाहन कबाड़ नीति में वाहन मालिकों को पुराने और पर्यावरण के लिए खराब प्रदूषणकारी वाहनों को छोड़ने को लेकर प्रेरित करने के लिए एक प्रणाली का प्रस्ताव है।
मंत्रालय ने कहा कि कबाड़ के लिए वाहन जमा कराने पर मिले प्रमाणपत्र के आधार पर वाहन मालिकों को यह छूट दी जाएगी। यह रियायत गैर-परिवहन (व्यक्तिगत) वाहनों के मामले में 25 प्रतिशत तक और परिवहन (वाणिज्यिक) वाहनों के मामले में 15 प्रतिशत तक है।’’ मंत्रालय ने कहा कि यह रियायत परिवहन वाहनों के मामले में आठ साल तक और गैर-परिवहन वाहनों के मामले में 15 साल तक उपलब्ध होगी।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि व्हीकल स्क्रैपिंग पॉलिसी में पुराने और प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों को कबाड़ में देने वाले वाहन मालिकों को इनसेंटिव देने के लिए एक सिस्टम का प्रस्ताव किया गया है। स्क्रैपिंग के लिए इनसेंटिव के रूप में सर्टिफिकेट ऑफ डिपोजिट दिखाने पर नए व्हीकल रजिस्ट्रेशन के लिए मोटर व्हीकल टैक्स में छूट प्रदान की जाएगी। सर्टिफिकेट ऑफ डिपोजिट रजिस्टर्ड व्हीकल स्क्रैपिंग इकाई द्वारा जारी किया जाएगा।
मंत्रालय ने कहा कि यह छूट नॉन-ट्रांसपोर्ट (पर्सनल) वाहनों के लिए 25 प्रतिशत तक होगी। वहीं कमर्शियल व्हीकल्स के लिए यह छूट 15 प्रतिशत तक होगी। विज्ञप्ति में कहा गया है कि कमर्शियल वाहनों के लिए यह छूट 8 साल तक उपलब्ध रहेगी, और पर्सनल वाहनों के लिए यह 15 साल के लिए होगी।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने अधिसूचना में कहा है कि इन नए नियमों को सेंट्रल मोटर व्हीकल्स (24वां संशोधन) नियम, 2021 कहा जाएगा और ये 1 अप्रैल, 2022 से प्रभावी होंगे। अधिसूचना में कहा गया है कि कमर्शियल वाहनों को 8 साल बाद रोड टैक्स में कोई छूट नहीं मिलेगी। इसी प्रकार पर्सनल वाहनों को 15 साल बाद रोड टैक्स में मिलने वाली छूट उपलब्ध नहीं होगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इस साल अगस्त में लॉन्च की गई नेशनल ऑटोमोबाइल स्क्रैपेज पॉलिसी के तहत, एक अप्रैल 2023 से भारी वाणिज्यिक वाहनों के लिए फिटनेट टेस्टिंग करवाना अनिवार्य होगा। अन्य श्रेणियों के वाहनों के लिए यह चरणबद्ध तरीके से 1 जून, 2024 से अनिवार्य होगा।
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