नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के चलते स्थानीय स्तर पर लागू किए जा रहे लॉकडाउन से ग्राहकों को होने वाली कठिनाइयों के मद्देनजर डाक या मेल के जरिये केवाईसी दस्तावेज जमा कराने की इजाजत दी है। एसबीआई ने 30 अप्रैल को अपने सभी 17 स्थानीय प्रधान कार्यालयों के मुख्य महाप्रबंधकों को एक संचार में कोविड-19 संक्रमण के मामलों एक बार फिर बढ़ोतरी के मद्देजनर शाखा में ग्राहक की प्रत्यक्ष उपस्थिति के बिना डाक या मेल के जरिये केवाईसी दस्तावेज अनुरोध स्वीकार करने की सलाह दी।
अब सार्वजनिक क्षेत्र के दूसरे बैंकों द्वारा भी ऐसा ही किए जाने की उम्मीद है। केवाईसी अपडेट उच्च जोखिम वाले ग्राहकों को कम से कम दो साल में एक बार, मध्यम जोखिम वाले ग्राहकों को आठ साल में एक बार और निम्न जोखिम वाले ग्राहकों को हर दस साल में एक बार करना पड़ता है। कई राज्यों में स्थानीय प्रतिबंध या लॉकडाउन के मद्देनजर शाखाओं को डाक के माध्यम से दस्तावेज भेजकर केवाईसी अपडेट कराया जा सकता है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि केवाईसी अपडेट नहीं होने के कारण 31 मई तक ग्राहकों के खातों को आंशिक रूप से बंद न किया जाए। ये निर्देश तत्काल प्रभाव से लागू हैं।
आवास ऋण पर ब्याज दर भी घटाई
भारतीय स्टेट बैंक ने शनिवार को अपने आवास ऋण पर ब्याज की दर घटा कर 6.70 प्रतिशत करने की भी घोषणा की है। बैंक ने एक विज्ञप्ति में कहा है कि 30 लाख रुपये तक के कर्ज पर ब्याज की दर वार्षिक 6.70 प्रतिशत तथा 30 लाख रुपये से 75 लाख रुपये तक के कर्ज पर ब्याज की दर 6.95 प्रतिशत होगी। बैंक ने इससे ऊपर के कर्ज पर ब्याज 7.05 प्रतिशत रखी है।
एसबीआई के प्रबंध निदेशक सीएस सेट्टी ने कहा उनके बैंक के आवास ऋण पर ब्याज कम करने से उपभोक्तओं के लिए कर्ज लेना आसान होगा क्योंकि इससे कर्ज की सामान मासिक किश्त (ईएमआई) घटेगी। बैंक ने कहा है कि महिलाओं के लिए ब्याज पर 0.05 प्रतिशत की रियायत दी जाएगी। इसी तरह योनो ऐप के जरिए कर्ज का आवेदन करने वालों को 0.05 प्रतिशत की अतिरिक्त रियायत दी जाएगी। बैंक 31 मार्च 2021 तक आवास कर्ज पर 6.70 प्रतिशत की पेशकश कर रहा था। पहली अप्रैल से उसने पुरानी 6.95 प्रतिशत की दर बहाल कर दी थी। आवास ऋण बाजार में एसबीआई का हिस्सा 34 प्रतिशत है और उसने कुल पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक का आवास ऋण दे रखा है।
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