नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक का मानना है कि डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने में प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (पीपीआई) एक अहम भूमिका निभा रहे हैं। पीपीआई के उपयोग को और प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से आरबीआई एक नया प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट (पीपीआई) लॉन्च करेगा। इसका इस्तेमाल केवल 10,000 रुपए तक के उत्पादों और सेवाओं को खरीदने में किया जा सकेगा।
आरबीआई के मुताबिक नए पीपीआई को केवल बैंक एकाउंट के जरिये ही रिचार्ज कराया जा सकेगा और इसका उपयोग बिल भुगतान और मर्चेंट भुगतान सहित अन्य डिजिटल लेनदेन में ही होगा।
आरबीआई ने विकास एवं नियामक नीति पर अपने एक बयान में कहा कि ऐसे पीपीआई को ग्राहकों से आवश्यक न्यूनतम जानकारी हासिल करने के आधार पर जारी किया जा सकता है। इसके संबंध में दिशा-निर्देश 31 दिसंबर, 2019 तक जारी किए जाएंगे।
पीपीआई फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट्स हैं, जिनका इस्तेमाल इसमें दर्ज राशि के बराबर उत्पादों और सेवाओं को खरीदने में किया जाता है। इस तरह की प्रीपेड प्रणाली को शुरू करना और फिर से उसमें पैसे भरने का काम केवल बैंक खातों के माध्यम से ही किया जा सकेगा। इसका उपयोग बिलों के भुगतान या दुकानदारों को भु्गतान करने में किया जा सकेगा।
वर्तमान में देश में प्रीपेड भुगतान सेवा के तहत बैंक खाते या क्रेडिट कार्ड से प्रणाली में पैसे रखे जा सकते हैं। इनकी मासिक सीमा 50,000 रुपए है। अभी बैंकों और गैर-बैंकिंग इकाइयों को इस तरह के कार्ड जारी करने की अनुमति है।
वर्तमान में देश में तीन तरह की प्रीपेड भुगतान प्रणालियां उपलब्ध हैं। इसके अलावा रिजर्व बैंक ने अंतरराष्ट्रीय वित्त सेवा केंद्र की बैंकिंग इकाइयों (आईबीयू) को उनके कॉरपोरेट ग्राहकों के लिए विदेशी मुद्रा में लेनदेन वाले चालू खाते खोलने की भी अनुमति दी है, इससे उन्हें परिचालन में मदद मिलेगी।
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