paytm से ट्रांजैक्शन करना हुआ महंगा, कंज्यूमर्स पर पड़ेगा MDR का बोझ
पेटीएम (Paytm) यूजर्स के लिए बुरी खबर है। आज (1 जुलाई) से पेटीएम मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) का बोझ कंज्यूमर्स पर डालेगी।
नई दिल्ली। पेटीएम (Paytm) यूजर्स के लिए बुरी खबर है। आज (1 जुलाई) से पेटीएम मर्चेंट डिस्काउंट रेट (MDR) का बोझ कंज्यूमर्स पर डालेगी। बैंक और कार्ड कंपनियां डिजिटल ट्रांजैक्शंस के लिए एमडीआर लेते हैं। मामले से वाकीफ दो लोगों ने बताया कि नोएडा की कंपनी पेटीएम प्रॉफिटेबल होने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, इस तरह क्रेडिट काड्र्स के जरिए पेमेंट्स पर 1 प्रतिशत, डेबिट काड्र्स के लिए 0.9 प्रतिशत और नेट बैंकिंग और यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (Unified Payments Interface) के जरिए ट्रांजैक्शंस पर 12 से 15 रुपए तक का चार्ज होगा। सॉफ्टबैंक और अलीबाबा ग्रुप से निवेश हासिल करने वाली पेटीएम अब तक इस चार्ज का बोझ खुद उठाती रही है और अपने प्लेटफॉर्म से होने वाले पेमेंट्स के लिए अतिरिक्त चार्ज नहीं लेती थी। लेकिन अब ये नए चार्ज डिजिटल पेमेंट्स के हर मोड पर लागू होंगे यानी वॉलेट टॉप अप करने से लेकर यूटिलिटी बिल या स्कूल फीस पेमेंट और सिनेमा टिकट की खरीदारी तक पर।
सूत्रों के मुताबिक कि हर ट्रांजैक्शन की एक कॉस्ट तो होती ही है, लेकिन अब पेटीएम यह कॉस्ट कंज्यूमर पर डालकर उसे कवर करने की कोशिश कर रहा है। बताया जा रहा है कि एडिशनल चार्जेज आज (सोमवार 1 जुलाई, 2019) से लागू होंगे। हालांकि पेटीएम का कहना है कि केवल MDR का बोझ कंज्यूमर्स पर डाल रही है जो बैंक और कार्ड कंपनियां चार्ज करते हैं। उसने कोई कन्वीनिएंस फीस लेने से इनकार किया है।
आपको बता दें कि पिछले साल डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कहा था कि वह 2000 रुपए तक के ट्रांजैक्शंस पर MDR चार्जेज खुद वहन करेगी। सरकार ने कहा था कि वह डेबिट कार्ड, BHIM (भारत इंटरफेस फॉर मनी), UPI या आधार-सक्षम भुगतान प्रणालियों के माध्यम से किए गए 2,000 रुपये तक के लेनदेन पर MDR शुल्क खुद वहन करेगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि पेटीएम के नए निर्णय का भारत में समग्र डिजिटल भुगतान कारोबार पर मामूली प्रभाव पड़ सकता है, जो कि 2014 में एनडीए सरकार के कार्यभार संभालने के बाद से 10 बार विस्तारित हुआ है।
जानिए क्या है एमडीआर?
एमडीआर वह फीस है, जो दुकानदार डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने पर आपसे लेता है। आप कह सकते हैं कि यह डेबिट या क्रेडिट कार्ड से पेमेंट की सुविधा पर लगने वाली फीस है। एमडीआर से हासिल रकम दुकानदार को नहीं मिलती है। कार्ड से होने वाले हर पेमेंट के एवज में उसे एमडीआर चुकानी पड़ती है।
किसे मिलती है एमडीआर की रकम?
क्रेडिट या डेबिट कार्ड से पेमेंट पर एमडीआर की रकम तीन हिस्सों में बंट जाती है। सबसे बड़ा हिस्सा क्रेडिट या डेबिट कार्ड जारी करने वाले बैंक को मिलता है। इसके बाद कुछ हिस्सा उस बैंक को मिलता है, जिसकी प्वाइंट ऑफ सेल्स (पीओएस) मशीन दुकानदार के यहां लगी होती है। अंत में एमडीआर का कुछ हिस्सा पेमेंट कंपनी को मिलता है। वीजा, मास्टर कार्ड और अमेरिकन एक्सप्रेस प्रमुख पेमेंट कंपनियां हैं।