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Hindi News पैसा फायदे की खबर सरकार 55 रुपए किलो पर बेचेगी तुअर दाल, दो साल पहले था 230 रुपए किलो का भाव

सरकार 55 रुपए किलो पर बेचेगी तुअर दाल, दो साल पहले था 230 रुपए किलो का भाव

तुअर दाल को PDS में डालने का भी फैसला किया है, इसके तहत गरीबी रेखा के ऊपर वाले राशन कार्ड रखने वाले परिवारों को भी दाल खरीदने का अधिकार होगा

सरकार 55 रुपए किलो पर बेचेगी तुअर दाल, दो साल पहले था 230 रुपए किलो का भाव- India TV Paisa सरकार 55 रुपए किलो पर बेचेगी तुअर दाल, दो साल पहले था 230 रुपए किलो का भाव

मुंबई। दो साल पहले जिस तुअर दाल को खरीदने के लिए 230 रुपए किलो का भाव देना पड़ रहा था वही तुअर दाल अब 55 रुपए किलो में मिलेगी। देश के बड़े तुअर उत्पादक राज्य महाराष्ट्र की राज्य सरकार ने यह फैसला किया है। अंग्रेजी समाचार पत्र टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक राज्य सरकार ने फैसला किया है कि वह अपने स्टॉक में पड़े करीब 25 लाख क्विंटल तुअर की मिलिंग कराएगी और उसकी दाल बनाकर एक किलो और 5 किलो की पैकिंग में पैक करेगी। बाद में इस पैकिंग को 55 रुपए प्रति किलो के एमआरपी के साथ खुदरा व्यापारियों को बेचा जाएगा।

खबर के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार ने राज्य में तुअर दाल को सार्वजनिक वितरण प्रणाली में डालने का भी फैसला किया है, इसके तहत गरीबी रेखा के ऊपर वाले राशन कार्ड रखने वाले परिवारों को भी दाल खरीदने का अधिकार होगा। हालांकि राज्य सरकार को इस कदम से करीब 360 रुपए का घाटा होगा लेकिन नई तुअर के बाजार में पहुंचने से पहले राज्य सरकार अपने स्टॉक में रखी पुरानी फसल की तुअर को बाजार में निकालना चाहती है ताकि नई फसल आने के समय किसानों से समर्थन मूल्य पर नई खरीद की जा सके और उसे अपने पास स्टॉक करके रखा जा सके।

दो साल पहले देश में तुअर की कीमतें आसमान पर पहुंच गई थी, 2015 के दौरान तुअर का रिटेल भाव 230 रुपए किलो तक पहुंच गया था, 2014 और 2015 के मानसून सीजन के दौरान सूखे की वजह से तुअर सहित सभी दलहन की पैदावार में भारी गिरावट आई थी जिस वजह से सभी दालों के भाव आसमान पर पहुंच गए थे। लेकिन इसके बाद 2016 में मानसून अच्छा रहा और तुअर उत्पादन रिकॉर्ड स्तर 47.8 लाख टन तक पहुंचा, तुअर के अलावा अन्य दलहन का भी अच्छा उत्पादन हुआ। इसके बाद इस साल भी देश में तुअर का उत्पादन करीब 40 लाख टन होने का अनुमान है, जो औसत के मुकाबले काफी अच्छा है। लगातार दो सालों के दौरान देश में दलहन की अच्छी फसल की वजह से इनके भाव बहुत ज्यादा घट गए हैं और किसानों को अच्छा दाम नहीं मिल रहा।

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