नई दिल्ली। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वह कॉल और डाटा के लिए न्यूनतम शुल्क दर तय करने की उद्योग की मांग पर विचार कर सकता है। इससे दूरसंचार उद्योग की वहनीयता सुनिश्चित हो सकेगी। दूरसंचार नियामक पूर्व में न्यूनतम शुल्क दर या शुल्क दर की सीमा तय करने के लिए हस्तक्षेप करने से इनकार करता रहा है।
ट्राई के रुख में यह बदलाव भारती एयरटेल के प्रमुख सुनील भारती मित्तल द्वारा हाल ही में दूरसंचार सचिव अंशु प्रकाश से मुलाकात के बाद आया है। मित्तल ने दूरसंचार सचिव से डाटा के लिए न्यूनतम शुल्क या न्यूनतम दर तय करे की मांगी की है।
ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने एवीआईए इंडिया वीडियो-360 के कार्यक्रम में कहा कि दूरसंचार शुल्क पिछले 16 साल से कठिन परिस्थितियों में भी नियंत्रण में रहे हैं और यह बेहतर तरीके से काम करते रहे हैं। और अब नियामक उद्योग की न्यूनतम शुल्क तय करने की मांग पर गौर कर रहा है।
रिलायंस जियो द्वारा नि:शुल्क वॉयस कॉल और सस्ते डाटा की पेशकश से उद्योग में काफी अफरातफरी रही। उसके बाद अन्य कंपनियों को भी शुल्क दरें कम करनी पड़ीं। शर्मा ने कहा कि दूरसंचार कंपनियों ने हाल में हमें एक साथ लिखा है कि हम उनका नियमन करें। यह पहली बार है। पूर्व में 2012 में कंपनियों ने शुल्कों के नियमन के ट्राई के प्रयास का कड़ा विरोध किया था।
शर्मा ने कहा कि नियामक तीन सिद्धांतों उपभोक्ता संरक्षण, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और उद्योग की वृद्धि पर काम करता है। उन्होंने कहा कि ट्राई ने पूर्व में दूरसंचार कंपनियों को दरें तय करने की अनुमति दी है और ऑपरेटर्स द्वारा हस्तक्षेप के लिए कहे जाने पर ही दखल दिया है। दूरसंचार कंपनियों ने 2017 में नियामक को न्यूनतम मूल्य तय करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उस समय यह निष्कर्ष निकला था कि यह एक खराब विचार है।
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