जानिए क्या होता है KYC, क्या है इसकी प्रक्रिया और क्यों माना जाता है इसे महत्वपूर्ण
बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस अपने ग्राहक की पहचान और उसके पते को सत्यापित करने के लिए KYC का प्रयोग करते हैं। KYC का मतलब नो योर कस्टमर होता है।
नई दिल्ली। KYC बैंकिंग और फाइनेंस के क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाला एक प्रचलित टर्म है। बैंक और फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस अपने ग्राहक की पहचान और उसके पते को सत्यापित करने के लिए KYC का प्रयोग करते हैं। KYC का मतलब नो योर कस्टमर यानी अपने ग्राहक को जानें- होता है।
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सरकार ने व्यक्ति की पहचान लिए छ: प्रकार के दस्तावेजों को KYC के लिए प्रमाणित दस्तावेज के तौर पर मान्य किया है, जिन्हें व्यक्ति की पहचान का प्रमाण माना गया है। यदि आपने एक बार KYC दस्तावेज बैंक में जमा करवा दिए हैं तो वही बैंक आपकी पहचान सुनिश्चित करने के लिए एक खास समय के बाद दोबारा KYC रिकार्ड अपडेट करने के लिए इन दस्तावेजों की मांग सकता है। यह बैंक के अकाउंट की जांच के लिए किया जाने वाला एक लगातार जारी रहने वाला प्रयास है।
यहां होती है KYC की जरूरत
बैंक में अकाउंट खोलने, म्युचुअल फंड अकाउंट, बैंक लॉकर्स तथा ऑन लाइन म्युचुअल फंड खरीदने और सोने में निवेश के लिए KYC करवाना जरूरी होता है।
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तस्वीरों में देखिए नए नोट को
Rs 500 and 1000
इन दस्तावेजों के आधार पर व्यक्ति की पहचान और उसके पते को सत्यापित किया जा सकता है
- पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, मतदाता पहचान पत्र, पैन कार्ड, एनआरजीए कार्ड और आधार कार्ड।
- आपको इनमें से कोर्इ एक दस्तावेज अपनी पहचान को सत्यापित करने के लिए देना आवश्यक रहता है।
- यदि इन दस्तावेजों के साथ आपके पते का विवरण भी हैं तो इसे पते का प्रमाण मान लिया जाएगा।
- यदि आप अपने निवास स्थान के सही पते का प्रमाण नहीं दे पाते हैं तो आपको इस संबंध में अन्य वैधानिक दस्तावेज देना जरूरी होता है।
एड्रेस प्रूफ
उपभोक्ता बिल जैसे टेलीफोन, बिजली या गैस का रीफिलिंग बिल, पासपोर्ट, बैंक अकाउंट स्टेटमेंट जो मेल द्वारा भेजा गया हो, राशन कार्ड, नियोक्ता द्वारा जारी अप्वाइंटमेंट लेटर, कॉमर्शियल बैंकों के बैंक मैनेजर द्वारा भेजा गया पत्र।
क्यों महत्वपूर्ण है KYC
बैंको और वित्तीय संस्थाओं के लिए KYC का बहुत महत्व हैं, क्योंकि इस विधि के द्वारा व्यक्ति के आवेदन और उसकी पहचान को सुनिश्चित करते हैं और इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाते हैं कि जो भी दस्तावेज दिए गए हैं, वे वास्तविक हैं। ऐसे कर्इ प्रकरण हुए हैं, जिसमें धोखाघड़ी और और जालसाजी कर अकाअंट से पैसे निकाल लिए गए। यदि आवेदक की पहचान सुनिश्चित हो जाती हैं, तो जालसाजी की संभावना कम हो जाती है और इसे रोका जा सकता है।