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कार्ड ट्रांजैक्‍शन के लिए जरूरी होता है CVV, जानिए क्‍या हैं इसके फायदे

क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) कार्ड पर दिया हुआ CVV यानि कार्ड वेरीफि‍केशन वैल्‍यू कई फीचर्स का संयोजन होता है।

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नई दिल्ली: क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड या एटीएम (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) कार्ड पर दिया हुआ CVV यानि कार्ड वेरीफि‍केशन वैल्‍यू कई फीचर्स का संयोजन होता है। इसके जरिये कार्ड मालिक की पहचान को सुनिश्चित और किसी भी तरह के फ्रॉड के जोखिम को कम किया जाता है। CVV को कार्ड वेरीफि‍केशन कोर्ड (CVC) और कार्ड सिक्‍यूरिटी कोड (CSC) के नाम से भी जाना जाता है। Online Wallet – पेमेंट करना हुआ आसान, ऐसे करें इस्तेमाल

किसी विशिष्‍ट क्रेडिट कार्ड में सीवीवी के दो भाग होते हैं। पहला कोड कार्ड जारी करने वाली कंपनी द्वारा मैग्‍नेटिक स्ट्रिप पर दर्ज किया जाता है। ये मैग्‍नेटिक स्ट्रिप कार्ड के पीछे लंबाई में होती है और इसमें बड़ी मात्रा में डाटा स्‍टोर होता है। इस कार्ड को मैग्‍नेटिक स्ट्रिप रीडर मशीन पर स्‍वैप करने पर यह कार्ड का बाइनरी डाटा उठाती है और उसके अनुसार ट्रांजैक्‍शन को अंजाम देती है। दूसरा कोड एक बहुत संख्‍याओं वाला नंबर है जो कार्ड पर आगे की तरफ लिखा होता है। वीजा, मास्‍टरकार्ड या डिस्‍कवर कार्ड के पीछे हस्‍ताक्षर करने वाली जगह के पास  तीन अंकों का एक नंबर होता है, जो सीवीवी होता है। अमेरिकन एस्‍सप्रेस कार्ड पर ये सीवीवी चार अंकों का होता है और यह कार्ड पर आगे की तरफ लिखा होता है। क्रेडिट कार्ड से हमेशा भुगतान नहीं है समझदारी, इन 10 चीजों के लिए न करें इसका इस्‍तेमाल

अगर इसका सही से इस्तेमाल किया जाए तो ये कई तरह के धोखों से बचाने में प्रभावी मददगार होता है। उदाहरण के लिए यदि मैग्‍नेटिक स्ट्रिप के डाटा में कुछ बदलाव किया गया है तो स्ट्रिप रीडर डेमेज्‍ड कार्ड एरर दिखाकर आपको गड़बड़ी का संकेत देगी। टेलिफोन और इंटरनेट के जरिये की जाने वाली शॉपिंग में CVV बहुत जरूरी होता है क्‍योंकि इससे यह पता चलता है कि जो व्‍यक्ति ऑर्डर कर रहा है उसके पास कार्ड भौतिक रूप से मौजूद है। कुछ मर्चेंट्स जब कोई व्‍यक्ति कार्ड से ट्रांजैक्‍शन करता है तो सीवीवी चेक करते हैं।

CVV तकनीक हर धोखे से आपको नहीं बचा सकती है। अगर आपका कार्ड चोरी हो गया है या किसी ने आपका कार्ड हैक कर लिया है तो सीवीवी आपके कार्ड से खर्च होने वाली राशि को नहीं बचा सकता है। क्‍योंकि जिसके पास आपका कार्ड होगा सीवीवी भी उसके पास पहुंच जाएगा। क्रेडिट कार्ड डाटा चुराने का एक सामान्‍य तरीका है फि‍शिंग या जालसाजी। इसमें एक अपराधी आपको आकर्षक ई-मेल भेजता है, जिसमें ई-मेल पाने वाले से उसकी व्‍यक्तिगत और वित्‍तीय जानकारी मांगी जाती है। एक बार अपराधी ने अगर व्‍यक्तिगत जानकारी के साथ ही आपके कार्ड का सीवीवी हासिल कर लिया तो फि‍र वह आपके कार्ड से पैसे आसानी से चुरा सकता है।

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