कर रहे हैं फाइनेंशियल प्लानिंग की तैयारी तो पहले जान लें सेविंग्स और इंवेस्टमेंट के बीच का अंतर
फाइनेंशियल प्लानिंग करते वक्त सेविंग्स और इंवेस्टमेंट के बीच का अंतर करना भूल जाते हैं। कैरियर के शुरुआती दौर में जब हमारा फोकस निवेश पर होना चाहिए।
नई दिल्ली। पैसा कमाना और बचाना दो अलग बातें हैं। लेकिन अक्सर हम अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग में इन दोनों के बीच अंतर करना भूल जाते हैं। कैरियर के शुरुआती दौर में जब हमारा फोकस निवेश पर होना चाहिए। लेकिन अक्सर हम नासमझी में सेविंग्स के इंस्ट्रूमेंट्स में बिजी हो जाते हैं। इसका न तो हमें लॉन्ग टर्म में फायदा मिल पाता है और न ही हम संपत्ति बना पाते हैं। दूसरी ओर बहुत से लोग 50 की उम्र में निवेश का जोखिम ले लेते हैं और बाजार के उतार-चढ़ाव के चलते अपनी जमा पूंजी लुटा बैठते हैं। ऐसे में हमें अपनी कमाई को बचत या निवेश करने से पहले इनके बीच में अंतर जान लेना बहुत जरूरी है। इंडिया टीवी पैसा की टीम आज फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए इन्हीं बारीकियां समझाने जा रही है, जिससे आपका भविष्य सुरक्षित ही नहीं खुशहाल भी हो।
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क्या है सेविंग और निवेश में अंतर
कई निवेशक सेविंग्स और निवेश जैसे शब्दों को अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल करते हैं। वास्तव में सेविंग्स और निवेश में एक बड़ा फर्क है। लोग अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए बचत करते हैं। वहीं बेहतर रिटर्न्स और लंबे समय में अपनी पूंजी को बढ़ाने के लिए लोग निवेश करते हैं। सामान्य अर्थों में कहा जाए तो सेविंग्स अक्सर सबसे सुरक्षित एसेट्स में की जाती है जैसे कि बैंक की ओर से ऑफर की जाने वाले सेविंग्स एकाउंट्स या पोस्ट ऑफिस की एनएससी और एफडी जैसी स्कीम्स।
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जहां जोखिम वहीं है निवेश
सरल भाषा में कहें तो जहां आपका लगाया गया पैसा जोखिम मुक्त होता है, हो सकता है कि कोई रिटर्न न दें, उसे सेविंग कहेंगे। वहीं दूसरी ओर निवेश जोखिम के साथ होता है। कोई भी एसेट बैंक डिपॉजिट के अलावा, जो आपको बेहतर रिटर्न देती है, उसमें कुछ न कुछ जोखिम जरूर होता है। कॉरपोरेट एफडी भी यदि एश्योर्ड रिर्टन की बात करें तो इसमें भी जोखिम होता है। इसलिए यह निवेश माना जाएगा। म्यूयुचुअल फंड्स, स्टॉक्स और गोल्ड ये सब निवेश के तहत आते हैं यहां पर रिटर्न निश्चित नहीं होता। रिटर्न कंपनी के प्रदर्शन, बाजार के हालात और सामान्य आर्थिक सेंटीमेंट्स पर निर्भर करता है।
लंबी अवधि के लिए होता है निवेश
अंतर की बात की जाए तो सेविंग्स हमेशा छोटी अवधि के लिए होती हैं। सेविंग्स सुनिश्चित करता है कि आप जब चाहे अपनी मूल राशि निकाल सकते हैं। जबकि निवेश ये सुनिश्चित नहीं करता है। यहां आप जितने लंबे समय तक निवेशित रहते हैं। वहां आपको बेहतर रिटर्न हासिल होता है। जबकि सेविंग्स में रिटर्न 3 या 5 साल में निश्चित रहता है। कुछ फाइनेंशियल स्कीम्स सेविंग्स एकाउंट की तुलना में बेहतर रिटर्न देती हैं, लेकिन अपने साथ थोड़ा जोखिम भी लाती हैं। अगर आप स्टॉक्स और इक्विटी फंड्स में निवेश करना नहीं चाहते तो सरकारी सिक्योरिटीज, हाई ग्रेड कॉर्पोरेट बॉन्ड, बॉन्ड फंड्स, पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) आदि का भी चयन कर सकते हैं।
निवेश में नहीं होती लिक्विडिटी
सेविंग्स में आप जरूरत पड़ने पर कभी भी पैसा निकाल सकते हैं। ऐसा निवेश थोड़ा मुश्किल है। किसी भी एसेट की लिक्विडिटी का मतलब होता है कि आप जरूरत पड़ने पर उसे बिना ज्यादा नुकसान उठाए एनकैश कर सकते है। सेविंग एकाउंट से तुरंत पैसे निकाल सकते हैं। लेकिन निवेश के मामले में आपको कुछ दिनों का इंतजार करना पड़ता है। मसलन, स्टॉक्स और म्यूचुअल फंड्स में से यदि पैसे निकालने हैं तो आपको कम से कम दो दिन लग जाएंगे और रिडीम्ड वैल्यु उस वक्त के बाजार की स्थिति पर निर्भर करेगा।
किन बातों का रखें ध्यान
पहली बात- बैंक एकाउंट या किसी भी एसेट में निवेश करने से पहले निवेश का उदेश्य जान लें। अगर आपके सारे खर्चे और इमरजेंसी फंड के लिए पर्याप्त पैसा जुट जाए तो अपने अतिरिक्त फंड्स को निवेश करना सही फैसला है। साथ ही जिस किसी भी एसेट में निवेश कर रहे है उससे जुड़े सभी जोखिमों के बारे में जान लें ताकि फैसला लेने में आसानी हो जाए। दूसरी जरूरी बात- लंबे समय के लिए निवेश का चयन बेहतर तो है, लेकिन सही म्यूचुअल फंड, स्टॉक और प्रॉपर्टी में निवेश थोड़ा मेहनत भरा काम है। यदि आप सही स्टॉक और फंड में निवेश को लेकर असमंजस में है तो ब्लू चिप फंड का चयन करें, जो कि लंबे समय तक बड़ी कंपनियां ऑपरेट करती हैं। सबसे अच्छा फैसला होगा कि आप एक्सपर्ट की राय लें।