नई दिल्ली। धनतेरस और दिवाली पर सोना खरीदना भारत में एक पुरानी परंपरा है। सोना नारी के श्रृंगार में चार चांद तो लगाता ही है, इसके अलावा ये बुरे समय में बहुत काम भी आता है। शादी-विवाह के मौके पर तथा उपहार देने के लिए सोना खरीदना आम बात है। कुछ खास मौकों पर सोना खरीदने का अपना अलग ही महत्व है, जैसे अक्षय तृतीया और धनतेरस। सोने की अच्छी परख रखने वाले भी इस धातु पर लगने वाले टैक्स के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रखते हैं।
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सोने के आभूषण खरीदते और बेचते दोनों वक्त टैक्स लगता है। आइए इस बार धनतेरस पर सोना खरीदने से पहले जान लेते हैं इस पर लगने वाले टैक्स के बारे में पूरी एबीसीडी।
स्वर्ण आभूषण खरीदते वक्त लगने वाला टैक्स
हाल ही में सरकार ने स्वर्ण आभूषण खरीदने के लिए पैन कार्ड की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। अब कोई भी दो लाख रुपए तक के आभूषण बिना पैन कार्ड के खरीद सकता है। पहले ये सीमा 50,000 रुपए थी। देश में एक जुलाई से जीएसटी लागू हो चुका है, जिसमें सोने के आभूषणों पर 3 प्रतिशत टैक्स लगाया गया है। ऐसे में इस बार सोना खरीदने पर आपको 3 प्रतिशत जीएसटी देना होगा, जिसमें मेकिंग चार्ज भी शामिल होता है।
सोने के जेवर बेचते वक्त
सोने के जेवर बेचते वक्त लगने वाले टैक्स का आधार यह होता है कि आपने कितने समय तक उसे अपने पास रखा। इसे बेचते वक्त टैक्स शॉर्ट टर्म कैपिटल गेंस या लॉन्ट टर्म कैपिटल गेंस के आधार पर लगाया जाता है।
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (एसटीसीजी)
यदि आपने सोना खरीदा और उसे खरीदने की तारीख से 3 साल की अवधि के भीतर ही बेचते हैं तो उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। सोने की बिक्री से आपको हुए फायदे को आपकी कुल वार्षिक आय में जोड़ा जाता है और आपके आयकर स्लैब के मुताबिक टैक्स लगता है।
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (एलजीसीजी)
यदि आप सोना खरीदने की तारीख से 3 साल बाद बेचते हैं तो उस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स लगता है। इसकी दर 20.6 प्रतिशत (सेस शामिल) होती है।
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