50 पैसे में ऐसे बन रहा था 5 रुपए का नकली सिक्का, जानिए सिक्कों की पहचान से जुड़ा ये राज
उदयपुर के पास पुलिस ने 5 रुपए के नकली सिक्के बनाने वाली फैक्ट्री पकड़ी है। आरोपी एक सिक्के पर साढ़े चार रुपए और अधिकतम पांच रुपए तक की कमाई करते थे।
नई दिल्ली। राजस्थान में उदयरपुर के पास पुलिस ने घाणेराव की घाटी स्थित एक मकान में 5 रुपए के नकली सिक्के बनाने वाली फैक्ट्री पकड़ी है। यह आरोपी घर में ही 11 टन की मशीन लगाकर नकली सिक्के बना रहा था। पुलिस के मुताबिक आरोपी ने पिछले 11 महीने में 5 लाख रुपए से ज्यादा के सिक्के टोल नाकों सहित अन्य स्थानों पर फुटकर राशि के नाम पर वितरित कर चुका है। आपको बता दें कि यह आरोपी एक सिक्के पर साढ़े चार रुपए का मुनाफा कमाता था। पर क्या आप सिक्कों पर लिखी हर बात और बने हर चिन्ह का एक मतलब को जानते है, क्योंकि हर निशान का कुछ न कुछ मतलब होता है।
ऐसे बनाते थे नकली सिक्के
पुलिस ने बताया कि ललित सोनी ने शिवलाल सोनी के साथ मिलकर राजकोट से सिक्के बनाने वाली 11 टन की यह मशीन 2 लाख 93 हजार रुपए में खरीद कर लाई थी। इसे ललित के घर में लगाने के बाद शिवलाल सोनी पांच रुपए का सिक्के की छाप बनाने वाली डाई और कच्चा माल लेकर आया था। इस माल से यहां पांच रुपए के नकली सिक्के बनाए जाते थे। शिवलाल सोनी अौर सौरभ जैन दस-दस किलो सिक्के थैले में भरकर ले जाते थे और टोल नाकों और बाजार में फुटकर राशि के नाम से सिक्के बेच बाजार में वितरित कर देते थे।
एक सिक्के पर होता था साढ़े चार रुपए का मुनाफा
धानाधिकारी राजेन्द्र सिंह जैन ने बताया कि आरोपियों को एक सिक्के की लागत 50 पैसे आती थी। ऐसे में पांच का सिक्का बाजार में चलाने पर उन्हें कम से कम साढ़े चार रुपए और अधिकतम पांच रुपए तक का फायदा हो जाता था। एक सिक्के में पांच ग्राम मैटल लगता था, जिस पर ये पॉलिश कर देते थे।
हर सिक्का कुछ कहता है
1, 2, 5 और 10 रुपए के सिक्कों से हमारा वास्ता रोज ही पड़ता है। लेकिन, इस सिक्के पर लिखी हर बात और बने हर चिन्ह का एक मतलब होता है, जिससे आधा से ज्यादा देश अंजान है। इन सिक्कों को लेकर क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि इनमें बने खास चिन्ह क्या असलियत बताते हैं। अगर नहीं तो जनाब. सिक्कों पर बने विशेष चिन्ह ये दर्शाते हैं कि आखिर वह आया कहां से है। अब आप सोच रहे होंगे कि ये कौन से चिन्ह की हम बात कर रहे हैं जो इतना कुछ बता देता है और आपको इसके बारे में कुछ पता ही नहीं। तो अब आप अपने सिक्के पर गौर कीजिए और हम बताते हैं कि सिक्के कैसे बयां करता है कि वह कहां से आएं हैं।
भारत में हैं चार मिंट
आपको बता दें कि भारत में चार मिंट (टकसाल) हैं जिनके पास सिक्के बनाने का अधिकार है। ये हैं मुंबई मिंट, कलकत्ता मिंट, हैदराबाद मिंट और नोएडा मिंट। यहीं से निकलकर सिक्के मार्केट में आ जाते हैं। देश के सबसे पुराने मिंट में कलकत्ता और मुंबई मिंट हैं। दोनों को साल 1859 में अंग्रेजी हुकूमत ने स्थापित किया था।
क्या होती है टकसाल (मिंट)
टकसाल (Mint) उस कारखाने को कहते हैं जहाँ देश की सरकार द्वारा, या उसके दिए अधिकार से, मुद्राओं का निर्माण होता है।
हैदराबाद मिंट
हैदराबाद मिंट साल 1903 में हैदराबादी निजाम की सरकार ने स्थापित किया था। साल 1950 में भारत सरकार ने इसे अपने अधिकार में ले लिया था।
नोएडा मिंट
नोएडा मिंट को 1986 में स्थापित किया था और 1988 से यहां से स्टेनलेस स्टील के सिक्कों का निर्माण शुरू हुआ था।
मुंबई मिंट
मुंबई मिंट भी भारत की सबसे पुरानी मिंट में से एक है। इसका निर्माण अंग्रेजों ने किया था। उस वक्त भी मुंबई अंग्रेजों के आर्थिक पहलुओं के लिहाज से अच्छा क्षेत्र था।यहां के बने सिक्कों पर डायमंड शेप का डॉट बना होता है। यह ठीक सिक्के पर अंकित निर्माण वर्ष के नीचे होता है।
कलकत्ता मिंट
कलकत्ता मिंट की शुरुआत अंग्रेजी हुकूमत के दौरान हुई थी। साल 1859 में पहली बार इस टकसाल में सिक्के का निर्माण किया गया था। हालांकि, उस समय का बना सिक्का अंग्रेजी हुकूमत अपने साथ ही ले गई थी।
‘B’ मार्क
सिक्के में लिखी डेट के नीचे बना ‘B’ मार्क भी मुंबई मिंट का ही होता है।
‘M’ मार्क
1996 के बाद से छप्पे कई सिक्को में ‘M’ का निशान बन कर आने लगा। ये सिक्का भी मुंबई मिंट का ही होता है। तस्वीरों में देखें सिक्के में लिखी तारीख के नीचे ‘M’ लिखा हुआ है।
स्टार मार्क और डायमंड शेप
हैदराबाद मिंट के सिक्कों पर तारीख के नीचे स्टार का मार्क बना होता है। किसी-किसी में डॉट डायमंड शेप मार्क भी होता है। सिक्के में लिखी डेट के नीचे डायमंड और उसके बीच में डॉट का मार्क भी हैदराबाद मिंट का ही होता है।
टूटे डायमंड का चिन्ह
तस्वीर में देखें, सिक्के में छपी तारीख के नीचे एक डायमंड टूटा नजर आ रहा है। ये चिन्ह भी हैदराबाद मिंट का चिन्ह है। हैदराबाद मिंट की शुरुआत में स्टार मार्क का इस्तेमाल किया गया। बाद में इसे बदलकर डायमंड शेप में लाया गया और उनमें से कुछ सिक्के में टूटा डायमंड भी शामिल है।