नई दिल्ली। गुणवत्तापूर्ण जेनेरिक दवाओं की बिक्री करने वाले जनऔषधि केंद्रों की बिक्री वित्त वर्ष 2020-21 में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक दर्ज की गई है। सभी जिलों में स्थित 7064 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों ने चालू वित्त वर्ष में (12 जनवरी 2021 तक) 484 करोड़ रुपये मूल्य की बिक्री दर्ज की है। यह पिछले वित्त वर्ष के समतुल्य आंकड़ों की तुलना में 60 प्रतिशत अधिक है। इससे देश के नागरिकों की लगभग 3000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।
केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री सदानंद गौड़ा ने बताया कि वित्त वर्ष 2019-2020 के दौरान भारत सरकार ने जनऔषधि केंद्रों को 35.51 करोड़ रुपये का अनुदान दिया था, जबकि इस अवधि में नागरिकों की 2600 करोड़ रुपये की बचत हुई थी। इस प्रकार, सरकार द्वारा खर्च किए गए प्रत्येक एक रुपये की वजह से नागरिकों को 74 रुपये की बचत हुई है। गौड़ा ने कहा कि इस कदम का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
केंद्रीय मंत्री ने घोषणा की कि इसके अलावा, पूरे देश में महिलाओं को सशक्त बनाने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए अब तक 10 करोड़ से अधिक जन औषधि सुविधा सैनेटरी पैड की बिक्री 1 रुपये प्रति पैड की दर से की गई है। दिसंबर 2020 में कुल 3.6 करोड़ रुपये मूल्य के जन औषधि सुविधा सैनेटरी पैड की खरीद संबंधी आदेश जारी किए गए हैं। कुल 30 करोड़ जन औषधि सुविधा सेनेटरी पैड से जुड़ी निविदा को भी अंतिम रूप दे दिया गया है।
गौड़ा ने कहा कि वर्तमान में कर्नाटक में कुल 788 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र नागरिकों को सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली जेनेरिक-दवाएं प्रदान कर रहे हैं। कर्नाटक का इरादा मार्च 2021 तक राज्य में कुल 800 प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्र खोलने का लक्ष्य हासिल करना है। अपनी दवाओं की विस्तृत श्रृंखला के साथ स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में एक अनूठी उपलब्धि हासिल करते हुए प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि केंद्रों का इरादा कर्नाटक में मार्च 2021 तक कुल 125 करोड़ रुपये मूल्य की बिक्री का लक्ष्य हासिल करना है।
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