मल्टीकैप म्यूचुअल फंड में निवेश होता है हमेशा फायदेमंद, नहीं होता नुकसान
आंकड़े बताते हैं कि तीन साल में निफ्टी-500 की गिरावट 2.29 प्रतिशत रही है। जबकि इसी अवधि में मल्टीकैप कैटेगरी में गिरावट इससे काफी कम रही है।
नई दिल्ली। हाल के समय में शेयर बाजार में भारी गिरावट दिखी है। आर्थिक पैकेज जारी होने के बाद भी बाजार में कोई तेजी नहीं आई है। लेकिन अगर आप इस तरह के अस्थिर बाजार से बचना चाहते हैं तो आपको म्यूचुअल फंड की मल्टीकैप कैटेगरी का सहारा लेना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि बाजार की तुलना में यह कैटेगरी कम गिरती है। दूसरी ओर, जब बाजार ऊपर जाता है तो यह कैटेगरी उसकी तुलना में ज्यादा बढ़ती है।
अर्थलाभ के आंकड़ों के मुताबिक म्यूचुअल फंड की मल्टीकैप कटेगरी सभी मार्केट साइकल के लिए उचित है। आंकड़े बताते हैं कि तीन साल में निफ्टी-500 की गिरावट 2.29 प्रतिशत रही है। जबकि इसी अवधि में मल्टीकैप कैटेगरी में गिरावट इससे काफी कम रही है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीन साल में मल्टीकैप कैटेगरी में प्रमुख म्यूचुअल फंड की स्कीम्स में काफी कम गिरावट रही है। इस दौरान महिंद्रा ग्रोथ स्कीम में तीन साल में 0.2 प्रतिशत का रिटर्न मिला है। हालांकि कई अन्य फंडों ने इस दौरान निराशाजनक प्रदर्शन किया है। फ्रैंकलिन इंडिया फोकस्ड इक्विटी फंड ने 3.7 प्रतिशत का घाटा दिया है।
इसी तरह इसी अवधि में डीएसपी फोकस फंड ने 2.8 प्रतिशत का घाटा दिया है। जबकि एडलवाइस मल्टी कैप फंड ने एक प्रतिशत का घाटा दिया है। आईडीएफसी फोकस्ड इक्विटी फंड ने 1 प्रतिशत का घाटा दिया तो यूनियन मल्टी कैप फंड ने 0.9 प्रतिशत का घाटा दिया है। पीजीआईएम इंडिया ने 0.4 प्रतिशत का घाटा दिया है। महिंद्रा बढ़त योजना एक और 3 साल में चौथे रैंक पर रही है।
विश्लेषकों के मुताबिक इक्विटी बाजार का उतार-चढ़ाव बहुत ही अनिश्चितता भरा है। हालांकि अगर किसी को लंबी अवधि के लिए निवेश करना है तो उसे इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड की स्कीमों पर फोकस करना चाहिए। क्योंकि इक्विटी वाले म्यूचुअल फंड लंबी अवधि में वेल्थ का निर्माण करने में अहम भूमिका निभाते हैं। मिड कैप फंड आमतौर पर हाई क्वालिटी वाले बिजनेस की पहचान कर उनके स्टॉक में निवेश करते हैं। ये फंड ग्रोथ ओरिएंटेड कंपनियों पर फोकस करते हैं।
महिंद्रा म्यूचुअल फंड के एमडी एवं सीईओ आशुतोष बिश्नोई कहते हैं कि कंपनियों के पोर्टफोलियो की पहचान बहुत ही रिसर्च के साथ की जाती है। केवल उन कंपनियों को पोर्टफोलियो में शामिल किया जाता है, जिनके कारोबार में मजबूत कैश फ्लो की संभावना ज्यादा होती है, और उसमें आगे चलकर वृद्धि की संभावना भी रहती है। ऐसी कंपनियां जिनमें अपने प्रतिस्पर्धियों की तुलना में ज्यादा लाभ कमाने की काबलियत हो। वो कंपनियां जो लंबे समय तक अपने बिज़नेस में स्थापित रह सकती हैं। वो कंपनियां जिन्हें ग्रोथ के लिये बाहरी कैपिटल की आवश्यकता नहीं होती। ऐसी कंपनियों के शेयर अक्सर ऊंचे वैल्यूएशन पर उपलब्ध होते हैं। फिर भी इन में अधिक रिटर्न की बेहतर संभावना होती है।