शुरू कर दीजिए अभी से अगले साल की शॉपिंग लिस्ट बनाना, 2022 में भारतीय कंपनियां करेंगी वेतन में 8.6% वृद्धि
सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि 2022 में, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में सबसे ज्यादा वेतन वृद्धि देने की संभावना है, इसके बाद जीवन विज्ञान (लाइफ साइंसेज) क्षेत्र आता है।
नई दिल्ली। कॉरपोरेट इंडिया ने 2021 में अपने कर्मचारियों के वेतन में औसतन आठ प्रतिशत की वृद्धि की है और शुरुआती अनुमानों से पता चलता है कि 2022 के लिए औसत वेतन वृद्धि 8.
6 प्रतिशत तक जाने की उम्मीद है, जो एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था और आत्मविश्वास में सुधार के अनुरूप है। डेलॉयट द्वारा किए गए एक ताजा सर्वेक्षण कार्यबल और वेतन वृद्धि रुझान सर्वेक्षण 2021 के दूसरे चरण के अनुसार, 92 प्रतिशत कंपनियों ने 2020 में केवल 4.4 प्रतिशत की तुलना में 2021 में औसतन आठ प्रतिशत की वेतन वृद्धि की। 2020 में केवल 60 प्रतिशत कंपनियों ने अपने कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि की थी।
सर्वेक्षण में कहा गया कि 2022 में औसत वेतन वृद्धि बढ़कर 8.6 प्रतिशत होने की उम्मीद है, जो 2019 के महामारी के पहले के स्तर के बराबर होगी। सर्वेक्षण में शामिल लगभग 25 प्रतिशत कंपनियों ने 2022 के लिए दोहरे अंकों की वेतन वृद्धि देने का अनुमान लगाया है। '2021 कार्यबल और वेतन वृद्धि रुझान' सर्वेक्षण जुलाई 2021 में शुरू किया गया था। इस सर्वेक्षण में सबसे पहले अनुभवी मानव संसाधन (एचआर) पेशेवरों से उनका रुख जाना गया। सर्वेक्षण में 450 से अधिक कंपनियां शामिल थीं। सर्वेक्षण के अनुसार कंपनियां कौशल और प्रदर्शन के आधार पर वेतन वृद्धि में अंतर करना जारी रखेंगी और सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले कर्मचारी औसत प्रदर्शन करने वालों को दी जाने वाली वेतन वृद्धि के लगभग 1.8 गुना ज्यादा वेतन वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं।
डेलॉयट टच तोहमत्सु इंडिया एलएलपी के पार्टनर आनंदोरूप घोष ने कहा कि जहां ज्यादातर कंपनियां 2021 की तुलना में 2022 में बेहतर वेतन वृद्धि देने का अनुमान लगा रही हैं, हम एक ऐसे माहौल में काम कर रहे हैं जहां कोविड-19 से जुड़ी अनिश्चितता बनी हुई है। इससे कंपनियों के लिए पूर्वानुमान लगाना कठिन हो जाता है। सर्वेक्षण में शामिल कुछ उत्तरदाताओं ने भी अभी-अभी अपनी 2021 की वेतन वृद्धि के चक्र को बंद किया है। इसलिए 2022 की वेतन वृद्धि उनके लिए अभी काफी दूर है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी पूर्वानुमानों में दूसरी लहर के बाद बदलाव किया गया था और हम उम्मीद करते हैं कि संगठन (कंपनियां) अगले साल अपनी निश्चित लागत वृद्धि करते समय इस तरह के घटनाक्रमों को करीब से देख रही होंगी। सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि 2022 में, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में सबसे ज्यादा वेतन वृद्धि देने की संभावना है, इसके बाद जीवन विज्ञान (लाइफ साइंसेज) क्षेत्र आता है। आईटी एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जिसमें कुछ डिजिटल/ई-कॉमर्स कंपनियों के सबसे ज्यादा वेतन वृद्धि देने की योजना के साथ दोहरे अंकों की वेतन वृद्धि होने की उम्मीद है। इसके उलट खुदरा, आतिथ्य, रेस्त्रां, बुनियादी ढांचा, और रियल एस्टेट कंपनियां अपने कारोबार की गतिशीलता के अनुरूप सबसे कम वेतन वृद्धि दे सकती हैं।
5,000 अरब की अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा पूरी करने के लिए एफडीआई महत्वपूर्ण
डेलॉयट के सीईओ पुनीत रंजन ने कहा है कि भारत के 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) महत्वपूर्ण है। उन्होंने साथ ही कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और सिंगापुर में 1,200 उद्योगपतियों के बीच किए गए एक सर्वेक्षण में उनमें से 40 प्रतिशत से अधिक ने भारत में अतिरिक्त या पहली बार निवेश करने की योजना बनाने की बात कही। रंजन ने सर्वेक्षण का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत अब भी "सबसे आकर्षक" एफडीआई गंतव्यों में से एक है।
उन्होंने कहा, "कोविड-19 के विध्वंस के बावजूद, पिछले साल आमद रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। डेलॉयट के सर्वेक्षण में शामिल उद्योगपतियों ने कहा कि वे भारत में अतिरिक्त और पहली बार निवेश करने की तैयारी कर रहे हैं।" शीर्ष बहुराष्ट्रीय पेशेवर सेवा नेटवर्क के सीईओ ने कहा, "मेरा मानना है कि एफडीआई, 5,000 डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की भारत की आकांक्षा पूरी करने के लिए महत्वपूर्ण है और मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से संभव है। मैं निश्चित रूप से भारत का एक बहुत बड़ा समर्थक हूं और जानता हूं कि क्या हासिल किया जा सकता है।" उन्होंने कहा कि सर्वेक्षण से निकला एक और निष्कर्ष कुशल कार्यबल का मूल्य और विशेष रूप से घरेलू आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं थीं। ये चीजें एफडीआई के लिए महत्वपूर्ण आकर्षण हैं।
रंजन ने कहा कि साथ ही, यह अब भी माना जाता है कि भारत व्यापार करने के लिए एक चुनौतीपूर्ण जगह है। यह धारणा सरकारी कार्यक्रमों, प्रोत्साहनों और सुधारों के बारे में कम जागरूकता के कारण बनी हुई हैं। उन्होंने कहा, "अमेरिका, ब्रिटेन, जापान और सिंगापुर में सर्वेक्षण में शामिल 1,200 उद्योगपतियों में से 44 प्रतिशत ने कहा कि वे भारत में अतिरिक्त या पहली बार निवेश की योजना बना रहे हैं। पहली बार निवेश की योजना बना रहे कारोबारियों में से लगभग दो-तिहाई अगले दो वर्षों के के भीतर ऐसा करने की योजना बना रहे हैं।"
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