बैंक के अलावा कहीं और जमा कर रहे हों पैसा, तो इन बातों का रखें ख्याल
अक्सर बेहतर रिटर्न के लिए बैंक के सेविंग अकाउंट के अलावा दूसरे विकल्पों की भी तलाश में रहते हैं। ऐसे में डबल रिटर्न जैसी योजनाओं के जाल में फंस जाते हैं
नई दिल्ली। अपने भविष्य को सुरक्षित बनाने के लिए हम सभी कुछ न कुछ सेविंग जरूर ही करते हैं। अक्सर हम बेहतर रिटर्न के लिए बैंक के सेविंग अकाउंट के अलावा दूसरे विकल्पों की भी तलाश में रहते हैं। इसी तलाश के दौरान हम डबल रिटर्न और बैंक से दोगुने ब्याज जैसी योजनाओं के जाल में फंस कर अपनी जीवन भर की गाढ़ी कमाई लुटा देते हैं। ऐसे में इंडिया टीवी पैसा की टीम आपको बता रहा है कि अगर आप बैंकों के अलावा कहीं ओर निवेश के बारे में सोच रहे हैं, तो आपके लिए इन जरूरी बातें जान लेना बहुत जरूरी है। New Norms: प्राइवेट बैंकों में 5 फीसदी से अधिक हिस्सेदारी के आरबीआई की मंजूरी जरूरी
पैसा जमा करने की योजना से पहले यह बातें जांच लें-
अपनी जीवन भर की जमा पूंजी आप जिस कंपनी में निवेश कर रहे हैं, पहले यह जान लें कि क्या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (NBFC) पंजीकृत हैं और विशेष रूप से जमाराशियां स्वीकार करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उसे अनुमति हासिल है? दूसरी बात कि क्या रिजर्व बैंक ने इन कंपनियों को जमाराशियां स्वीकार करने से प्रतिबंधित तो नहीं किया है? तीसरी बात कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी ऊंची ब्याज दरें देने का प्रस्ताव किस आधार पर दे रही हैं?चौथी और आखिरी कि क्या कंपनी ने आपको तरीके से आपकी जमा राशि के लिए रसीद दी है? Retire Rich: नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश से पहले जान लें ये बातें, बचा सकतें हैं टैक्स
कैसे करें जांच
हमेशा याद रखें गैर वित्तीय कंपनियों(एनबीएफसी) की जमाराशियों का न तो बीमा होता है और न ही इनकी भारतीय रिजर्व बैंक या भारत सरकार द्वारा गारंटी दी जाती है।आप सबसे पहले कंपनी के पास उपलब्ध सर्टिफिकेट ऑफ रजिस्ट्रेशन देख लें। इसके आलावा आप दूसरी फाइनेंस कंपनी, बैंक या फिर इंश्योरेंस कंपनी के डिपॉजिट रेट की मैच्योरिटी पीरियड की तुलना कर के जांच सकते हैं। वहीं कंपनी से प्राप्त हुई रसीद पर देखें कि क्या डिपॉजिट की तारीख, जमाकर्ता का नाम, देय ब्याज दरें, मैच्योरिटी डेट और राशि दिए हुए हैं। साथ ही क्या रसीद कंपनी के किसी प्राधिकृत व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित है?
याद रखें कि-
रिजर्व बैंक पहले ही साफ कर चुका है कि ज्यादा रिटर्न यानि कि ज्यादा जोखिम, ऐसे में कोई भी कंपनी बैंक या पोस्टऑफिस से अधिक रिटर्न दे रही है तो जरूर ही उसकी जांच कर लें। याद रखें कि काल्पनिक गतिविधियां और एश्योर्ड रिटर्न एक साथ नहीं चलते है। आरबीआई की गाइडलाइन्स के अनुसार एनबीएफसी 12.5 फीसदी से ज्यादा प्रति वर्ष का रिटर्न नहीं दे सकती और न ही किसी भी प्रकार के गिफ्ट्स ऑफर कर सकती है। स्वामित्व और सहभागिता वाले प्रतिष्ठान सहित अनिगमित निकाय आम जनता से जमाराशियां स्वीकार नहीं कर सकते हैं।