अगर आप भी हुए हैं ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार, तो यहां और ऐसे करें शिकायत
आरबीआई( RBI) के नए गाइडलाइंस के मुताबिक यदि ग्राहक किसी भी बैंक साइट या लिंक्ड मर्चेंट वेबसाइट से ऑनलाइन धोखा खाता है, तो ऐसी स्थिति में बैंक अपने ग्राहक को क्लेम किए गए पूरे पैसे लौटाएगा।
अगर आप भी ऑनलाइन फ्रॉड का शिकार हुए हैं तो डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। हम आपको बताएंगे की कैसे और कहां कर सकते हैं आप अपने साथ हुई ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायत।
डिजिटल बनते भारत में अब हर चीज ऑनलाइन खरीदी और बेची जा रही है, ऐसे में महत्वपूर्ण डाटा चोरी होने की संभावना भी काफी हद तक बढ़ गई है। गलती से डेबिट कार्ड नंबर, क्रेडिट कार्ड नंबर, सीवीवी (CVV), ओटीपी (OTP) आदि लीक होने से ग्राहक धोखाधड़ी के जाल में आसानी से फंस जाते हैं।
आरबीआई( RBI) के नए गाइडलाइंस के मुताबिक यदि ग्राहक किसी भी बैंक साइट या लिंक्ड मर्चेंट वेबसाइट से ऑनलाइन धोखा खाता है, तो ऐसी स्थिति में बैंक अपने ग्राहक को क्लेम किए गए पूरे पैसे लौटाएगा। साथ ही ये आदेश है कि ग्राहक किसी से भी अपना ओटीपी पिन, सीवीवी नंबर या बैंक की किसी भी तरह की जानकारी न शेयर करें।
डेबिट कार्ड/ क्रेडिट कार्ड में होने वाला ऑनलाइन धोखा
- जैसे ही आपको ये लगे कि आपके एकाउंट, क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड से संबंधित कुछ गड़बड़ है, तो तुरंत कस्टमर केयर में फोन करके अपने कार्ड को ब्लॉक कराएं।
- बिना किसी देरी के पुलिस में रिपोर्ट करने से पहले अपने बैंक को सूचित करना जरूरी है।
ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायत करने की प्रक्रिया
- हमेशा ध्यान रखें कि किसी भी ऑनलाइन धोखाधड़ी की शिकायत करने से पहले आपके पास धोखे से जुड़े सभी कागज़ात मौजूद होने चाहिए।
- जांच-पड़ताल के लिए कम से कम 6 महीने का बैंक स्टेटमेंट देना जरूरी होता है।
- सभी एसएमएस जिसमें ऑनलाइन फ्रॉड में हुए पैसे की हेरा-फेरी की डिटेल्स मौजूद हो आपके पास होने चाहिए।
- शिकायत करने के समय, ग्राहक को अपना कस्टमर आईडी और मौजूदा पते की जानकारी देना भी अनिवार्य है।
- हमेशा कोशिश करें कि आप धोखाधड़ी से जुड़ी शिकायत या एफआईआर अपने निकटतम बैंक ब्रांच में या पुलिस थाने में सबूत के साथ जाकर करें।
- अगर कोई भी पुलिस थाना आपकी शिकायत दर्ज करने से मना करता है तो आप आपराधिक कानून की धारा 156(3) के तहत कोर्ट में केस दर्ज करा सकते हैं।
- हमेशा ऑनलाइन धोखाधड़ी का स्क्रीनशॉट लोकेशन के साथ लेकर रखें।
एफआईआर करने की प्रक्रिया और जवाबदेही
- आप सीधे जाकर साइबर सेल में भी केस फाइल कर सकते हैं। लेकिन, सबसे पहले अपने निकटतम पुलिस चौकी में जाकर ही शिकायत करने की कोशिश करें।
- आरबीआई के नए नियम के मुताबिक अगर कोई भी ऑनलाइन धोखाधड़ी बैंक की गलती से होता है तो ग्राहक को उसकी देनदारी नहीं करनी होगी।
- साथ ही आरबीआई का यह भी कहना है कि अगर ऑनलाइन पैसों का धोखा किसी थर्ड पार्टी (एटीएम स्कैमर, मालवेयर साइट्स, पब्लिक वाई-फाई) से होता है तो न ही बैंक और न ही ग्राहक को इसका जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
- अगर तीन दिनों के अंदर ग्राहक अपने बैंक को बता देता है कि उसके खाते में ऑनलाइन गड़बड़ी हुई है तो ऐसे स्थिति में ग्राहक कोई भी देनदारी नही करनी होगी।
- ध्यान दें कि शिकायत जल्द से जल्द करें। आप जितनी देर करेंगे उतनी आपको पैसों की भरपाई खुद करनी पड़ेगी। इसलिए धोखा का पता चलते ही तीन दिनों के अंदर बैंक को शिकायत करें।
- सबूत के तौर पर अपने पास एफआईआर की कॉपी जरूर रखें।
- अगर ग्राहक के लापरवाही से खाते में गड़बड़ी होती है तो उसकी पूरी देनदारी ग्राहक को करनी पड़ेगी।
- आपने गलत पासवर्ड, खाते की गलत जानकारी दी है तो तीन दिन के अलावा आपके पास और सात दिनों का समय बचता है जिसमें आप शिकायत कर सकते हैं। साथ ही आरबीआई द्वारा तय की गई कुछ राशी (per transaction) ऐसी स्थिति में ग्राहक को चुकाना भी पड़ सकता है।
- आरबीआई के नए नियमों के मुताबिक, ग्राहक के शिकायत करने की प्रक्रिया पूरे होने पर, 90 दिनों के अंदर केस को समाप्त करने का आदेश है। जो आपके शिकायत होने की तरीख से ही शुरू होता है।
- अनाधिकृत अमाउंट अगर आपके खाते से डेबिट होता है तो वो 10 दिनों के अंदर बैंक द्वारा खुद ही आपके खाते में आ जाएगा।
हमेशा कोशिश करें कि अंजान वेबसाइट्स और एप्स को अपने फोन या लैपटॉप में डाउनलोड न करें। साथ ही अपने किसी भी पर्सनल काम के लिए पब्लिक वाई-फाई का इस्तेमाल न करें। आपके ओटीपी से जुड़ी या बैंक से जुड़ी जानकारी के लिए किसी भी तरह के अंजान लिंक पर क्लिक न करें। हमेशा क्लोनिंग एप और लिंक से बचें। अगर आप ऑनलाइन खरीदारी करना पसंद करते हैं या ज्यादातर पैसों से जुड़ा काम ऑनलाइन करते हैं, तो अपने ट्रांजैक्शन को सुरक्षित रखने के लिए साइबर इंश्योरेंस लेने की कोशिश करें।