देश में 80 प्रतिशत करदाता अपना सकते हैं नई कर व्यवस्था, वित्त मंत्रालय को है पूरा भरोसा
वित्त मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि देश के 80 प्रतिशत करदाता नई टैक्स दरों को अपना सकते हैं
नई दिल्ली| वित्त मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि देश के 80 प्रतिशत करदाता नई टैक्स दरों को अपना सकते हैं। हाल ही में पेश हुए बजट में वित्त मंत्री ने टैक्स की नई कर व्यवस्था का प्रस्ताव रखा है। नई व्यवस्था के मुताबिक 5 से 15 लाख के बीच टैक्स दरों में कटौती की गई है। हालांकि इस व्यवस्था में लगभग सभी डिडक्शन और छूट हटा ली गई हैं। सरकार के मुताबिक आयकर दाता नई या पुरानी कोई भी कर व्यवस्था को अपना सकते हैं। वित्त मंत्रालय ने अनुमान लगाया है कि 5 में से 4 आयकरदाता घटी हुई दरों के साथ नई कर व्यवस्था को स्वीकार करेंगे।
राजस्व सचिव अजय भूषण पांडेय ने शुक्रवार को कहा कि वित्त मंत्रालय को कम-से-कम 80 प्रतिशत करदाताओं के नई आयकर व्यवस्था अपनाने की उम्मीद है। संवाददाताओं से बातचीत में पांडेय ने कहा कि मंत्रालय का मानना है कि कम-से-कम 80 प्रतिशत लोग नई योजनाए अपनाएंगे। उनके मुताबिक सरकार ने बजट से पहले 5.78 करोड़ करदाताओं का विश्लेषण किया था और पाया कि 69 प्रतिशत लोगों को नई व्यवस्था अपनाने पर बचत होगी जबकि 11 प्रतिशत ऐसे हैं जो पुरानी व्यवस्था को पसंद करते हैं। शेष 20 प्रतिशत करदाताओं में से कुछ लोग ऐसे होंगे जो कागजी काम से बचना चाहते होंगे और नई व्यवस्था अपनाने की इच्छा रखते हों। पांडेय ने कहा कि कंपनी कर में जब सितंबर में कटौती हुई तो उन्हें भी इसी प्रकार का विकल्प दिया गया और 90 प्रतिशत कंपनियों ने कम कर दर को लेकर छूट मुक्त व्यवस्था को अपनाया।
सरकार ने बजट में नई कर व्यवस्था का प्रस्ताव किया है। इस व्यक्तिगत आयकर की नई व्यवस्था में 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये की आय पर 5 प्रतिशत की दर से, 5 से 7.5 लाख रुपये पर 10 प्रतिशत, 7.50 से 10 लाख रुपये पर 15 प्रतिशत, 10 लाख रुपये से 12.5 लाख रुपये की आय पर 20 प्रतिशत और 12.5 से 15 लाख रुपये की आय पर 25 प्रतिशत तथा 15 लाख रुपये से ऊपर की आय पर 30 प्रतिशत की दर से कर लगाने का प्रस्ताव किया गया है।
मौजूदा आयकर व्यवस्था में 50,000 रुपये की मानक कटौती और आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत एलआईसी प्रीमियम, भविष्य निधि समेत विभिन्न बचत योजनाओं में 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर छूट जैसे प्रावधान लागू हैं। इसमें विभिन्न आय स्तरों पर 5 प्रतिशत, 20 प्रतिशत और 30 प्रतिशत की दर से कर लगता है। पुरानी और नई व्यवस्था में जिनकी आय 5 लाख रुपये तक है, उन्हें कोई कर नहीं देना होगा।