नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के दायरे में आने वाली संगठित क्षेत्र की कंपनियों को अपने कर्मचारी को ईपीएफ (Employee Provident Fund) का लाभ उपलब्ध कराना होता है। ईपीएफ में नियोक्ता और कर्मचारी दोनों की ओर से योगदान करना होता है। कर्मचारी की बेसिक सैलरी व डीए का 12-12 प्रतिशत योगदान दोनों को करना होता है। कंपनी के 12 प्रतिशत योगदान में से 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन स्कीम में जाता है। सूत्रों के मुताबिक ईपीएफओ से पेंशनर्स को दिवाली पर बढ़ी हुए पेंशन का तोहफा मिल सकता है। सूत्रों के मुताबिक वित्त मंत्रालय न्यूनतम पेंशन में वृद्धि करने के श्रम मंत्रालय के प्रस्ताव पर सहमत हो गया है। श्रम मंत्रालय के प्रस्ताव पर सहमति के चलते न्यूनतम पेंशन डबल करने घोषणा जल्द हो सकती है।
सूत्रों के मुताबिक न्यूनतम पेंशन 1000 रुपये से बढ़कर 2,000 रुपये हो सकती है। इस पर ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज से 2019 में मंजूरी मिली थी। अब सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की न्यूनतम पेंशन 2,000-3,000 रुपये करने की मांग है। पेंशन दोगुना करने पर सरकार पर 2000-2500 करोड़ रुपये का बोझ आएगा। इस बढ़ोतरी से करीब 60 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा।
प्राइवेट सेक्टर के संगठित क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को भी रिटायरमेंट के बाद मासिक पेंशन का लाभ मिल सके, इसके लिए इंप्लॉई पेंशन स्कीम, 1995 की शुरुआत की गई थी। ईपीएफ स्कीम, 1952 के तहत नियोक्ता द्वारा कर्मचारी के ईपीएफ में किए जाने वाले 12 प्रतिशत योगदान में से 8.33 प्रतिशत ईपीएस में जाता है। 58 साल की उम्र के बाद कर्मचारी ईपीएस के पैसे से मासिक पेंशन का लाभ पा सकता है।
10 साल के पहले सेवा के वर्ष जितने कम होंगे उतनी कम राशि को आप एकमुश्त निकाल पाएंगे। डेलॉयट इंडिया में पार्टनर सरस्वती कस्तूरीरंगन कहती हैं कि ईपीएस स्कीम से एकमुश्त निकासी की अनुमति तभी मिलती है अगर सेवा के वर्ष 10 साल से कम हैं। आपको वापस की जाने वाली रकम ईपीएस स्कीम 1995 में दी गई टेबल डी पर आधारित होगी। ईपीएफ स्कीम के तहत, नौकरी जाने पर सदस्य के पास पूरी रकम निकालकर खाते को बंद कराने का विकल्प है। खाते को बंद कराने (2 महीने से ज्यादा समय के लिए बेरोजगार रहने) पर ईपीएफ और ईपीएफ खाते (शर्त यह है कि सेवा के साल 10 साल से कम हों) से एकमुश्त पूरी रकम निकाली जा सकती है।
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