नई दिल्ली। डेलॉइट इंडिया के एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में काम करने वाली कंपनियां वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अपने कर्मचारियों के वेतन में औसतन 7.8 प्रतिशत बढ़ोतरी कर सकती हैं। डेलॉयट इंडिया ने कहा कि कंपनियों पर मार्जिन का दबाव और कोरोनावायरस जैसे कारकों की वजह से विपरीत आर्थिक परिस्थितियों के चलते पिछले साल की तुलना में इस साल कम वेतन वृद्धि का अनुमान है।
वर्कफोर्स एंड इंक्रीमेंट ट्रेंड्स सर्वे शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में कंपनियां 2020-21 के लिए कर्मचारियों के वेतन में औसत 7.8 प्रतिशत की वृद्धि कर सकती हैं, जो 2019-20 में कर्मचारियों को मिली 8.2 प्रतिशत की वास्तविक वेतन वृद्धि के मुकाबले कम है।
डेलॉयट इंडिया के पार्टनर आनंदोरुप घोष ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में वेतन वृद्धि पर काफी बहस हुई है और वेतन निर्धारण की इस प्रक्रिया में अधिक जिम्मेदारी की आवश्यकता है, क्योंकि देशभर में प्रबंधन के बीच यह मुद्दा गंभीर रूप ले रहा है। घोष ने कहा कि कंपनियों की प्राथमिकताएं पांच साल पहले के मुकाबले एकदम अलग हैं।
सर्वेक्षण के मुताबिक करीब 50 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि उनका 2020-21 में वेतन में आठ प्रतिशत से कम वृद्धि का इरादा है और केवल आठ प्रतिशत कंपनियां 10 प्रतिशत से अधिक वेतन वृद्धि करने वाली हैं।
2020-21 के लिए अनुमानित वेतन वृद्धि इंफ्रास्ट्रक्चर और रियल स्टेट, एनबीएफसी और टेलीकॉम जैसे उद्योगों में सबसे कम होगी। सर्वे में कहा गया है कि ओवरऑल कॉस्ट बजट को ध्यान में रखते हुए कंपनियां विशेषज्ञता पर ध्यान केंद्रित करती हैं। प्रदर्शन और संभावित विशेषज्ञता इस साल भी वेतन वृद्धि के केंद्र में रहेगा। 90 प्रतिशत कंपनियों ने कहा कि वे पिछले साल के प्रदर्शन के आधार पर विशेषज्ञता वेतन वृद्धि करेंगी। इस सर्वे में 7 सेक्टर और 20 सब-सेक्टर की लगभग 300 कंपनियों ने भाग लिया था।
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