नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (सीबीटी) ने 21 अगस्त को हैदराबाद में हुई बैठक में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। सीबीटी ने कर्मचारी पेंशन स्कीम (ईपीएस) 1995 में संशोधन करने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव में 15 साल तक कम्युटेशन लेने के बाद पेंशन की कम्युटेड वैल्यू को लागू करने का प्रावधान किया गया है। इस फैसले से 6.3 लाख पेंशनर्स को फायदा होगा। पेंशनर्स इसके लिए पिछले कई सालों से मांग कर रहे थे।
कम्यूटेड वैल्यू भविष्य के वित्तीय दायित्व का शुद्ध वर्तमान मूल्य होता है। कुल पेंशन दायित्व लंबी अवधि की ब्याज दर और मृत्यु दर के आधार पर जीवन प्रत्याशा का एक उत्पाद है। कम्यूटेड वैल्यू की गणना उस उम्र जिस पर एक कर्मचारी सेवा से अलग होता है, पेंशन भुगतान प्राप्त करने के लिए उसके जीवित रहने की वर्षों की संख्या और इस भुगतान को उत्पन्न करने के लिए लम्पसम निवेश पर अनुमानित दर से रिटर्न पर आधारित होती है। सेवा से अलग होने पर, सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी को पेंशन की कम्यूटेड वैल्यू का एक लम्पसम भुगतान प्राप्त करने का विकल्प दिया जाता है।
इसका सीधा मतलब है कि 15 साल की अवधि तक न्यूनतम मासिक पेंशन लेने वाले पेंशनर्स को कम्यूटेड वैल्यू का लम्पसम भुगतान हासिल करने का विकल्प दिया जाएगा।
श्रम और रोजगार राज्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने बैठक के बाद बताया कि ईपीएफओ ने ईपीएफ सदस्यों के 91 प्रतिशत दावों को ऑनलाइन मोड से निपटाया है। उन्होंने ईपीएफओ के अच्छे प्रशासन की खूब प्रशंसा की जिसके तहत उसने एसबीआई से बातचीत कर ओडी शुल्क को कम करवाया, एफडी ब्याज में वृद्धि करवाई और कलेक्शन चार्ज को खत्म करवाया। इससे ईपीओ को सालाना 22 करोड़ रुपए का फायदा हुआ।
मंत्री ने संशोधित EPFIGMS 2.0 वर्जन को भी लॉन्च किया जो तेज और आसान शिकायत निवारण के जरिये 5 करोड़ से अधिक सदस्यों और लाखों नियोक्ताओं को फायदा पहुंचाएगी।
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