नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने बुधवार को अपने 44.51 करोड़ बचत खाता धारकों को बड़ी राहत प्रदान की है। बैंक ने एक बयान में कहा है कि उसने सभी बचत बैंक खातों में औसत मासिक बैलेंस (एएमबी) रखने की अनिवार्यता को समाप्त करने का फैसला लिया है। इसके साथ ही बैंक ने सभी बचत खातों पर मिलने वाली ब्याज दर को तर्कसंगत बनाते हुए इसे 3 प्रतिशत वार्षिक तय कर दिया है। इससे जहां एक और एसबीआई के ग्राहकों को हर महीने बचत खाते में न्यूनतम राशि जमा रखने से छुटकारा मिलेगा, वहीं दूसरी ओर उन्हें अपने बचत खाते पर मिलने वाले ब्याज में कटौती का नुकसान होगा।
भारतीय स्टेट बैंक ने अपने बयान में कहा है कि उपभोक्ता पहले के अपने दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए बैंक ने एसएमएस शुल्क को भी समाप्त करने का फैसला लिया है, इससे उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी। बैंक तिमाही आधार पर उपभोक्ताओं से एसएमएस शुल्क वसूलता है।
बैंक ने कहा है कि उसने अपने सभी बचत खातों पर एकसमान 3 प्रतिशत वार्षिक ब्याज दर रखने का फैसला लिया है। वर्तमान में स्टेट बैंक खाता धारकों को 1 लाख रुपए तक के जमा पर 3.25 प्रतिशत ब्याज दर मिलती है। 1 लाख रुपए से अधिक के जमा पर ब्याज की दर 3 प्रतिशत है।
बैंक ने बयान में कहा है कि भारतीय स्टेट बैंक ने औसत मासिक बैलेंस अनिवार्यता को समाप्त कर दिया है। वर्तमान में एसबीआई खाताधारकों को अपने बचत बैंक खाते में 3,000 रुपए, 2,000 रुपए और 1,000 रुपए क्रमश: मेट्रो, अर्द्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में रखना होता है। औसत मासिक बैलेंस न रखने पर बैंक 5 रुपए से लेकर 15 रुपए का जुर्माना वसूलता है।
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