अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने से भारत के साथ व्यापार होगा प्रभावित, सूखे मेवों के बढ़ सकते हैं दाम
2020-21 में भारत-अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 1.4 अरब डॉलर रहा, जो 2019-20 में 1.52 अरब डॉलर था। 2020-21 में भारत से निर्यात 82.6 करोड़ डॉलर और आयात 51.0 करोड़ डॉलर था।
नई दिल्ली। भारतीय निर्यातकों ने सोमवार को आंशका जताई है कि तालिबान द्वारा काबुल पर कब्जा करने के साथ इस अनिश्चित समय में अफगानिस्तान और भारत के बीच द्विपक्षीय व्यापार पर काफी असर पड़ेगा। इसके अलावा अफगानिस्तान से आने वाले सूखे मेवों और ताजे फलों की कमी से भारतीय बाजार में किशमिश, अखरोट, खुबानी जैसे मेवों की कीमत पर भी असर पड़ सकता है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के महानिदेशक अजय सहाय ने कहा कि घरेलू निर्यातकों को अफगानिस्तान में राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए, विशेष रूप से भुगतान को लेकर सावधानी बरतनी चाहिए, जिसके लिए उनके द्वारा पर्याप्त ऋण बीमा का लाभ उठाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इससे व्यापार प्रभावित होगा। अफगानिस्तान में बढ़ती अनिश्चितता के कारण इसमें कमी आएगी।
फियो के पूर्व अध्यक्ष और देश के प्रमुख निर्यातक एस के सराफ ने भी कहा कि द्विपक्षीय व्यापार में काफी कमी आएगी। सराफ ने कहा कि हो सकता है कि हम सब कुछ न खोएं क्योंकि उन्हें हमारे उत्पादों की जरूरत है। फियो के उपाध्यक्ष खालिद खान ने भी इसी तरह के विचार साझा करते हुए कहा कि व्यापार कुछ समय पूरी तरह से ठप हो सकता है क्योंकि अफगानिस्तान में स्थिति नियंत्रण से बाहर है। यह एक लैंडलॉक्ड देश है और निर्यात के लिए केवल हवाई मार्ग ही मुख्य माध्यम है, जो इस समय बंद है। अनिश्चितता में कमी होने पर ही व्यापार बहाल होगा।
जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बिस्वजीत धर ने कहा कि अफगानिस्तान को भारत की मदद से वहां घरेलू उत्पादों के बाजार का निर्माण हो रहा था लेकिन मौजूदा स्थिति से यह सब रुक जाएगा।
प्लास्टिक एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन अरविंद गोयनका ने कहा कि अब प्राइवेट प्लेयर्स तीसरे देश के माध्यम से अफगानिस्तान को निर्यात करेंगे। साईं इंटरनेशनल के मालिक और अफगानिस्तान को माल भेजने वाले निर्यातक राजीव मल्होत्रा ने कहा कि भारत से निर्यात अब पूरी तरह से रुक जाएगा क्योंकि वहां समय से भुगतान की समस्या पैदा हो गई है।
2020-21 में भारत-अफगानिस्तान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 1.4 अरब डॉलर रहा, जो 2019-20 में 1.52 अरब डॉलर था। 2020-21 में भारत से निर्यात 82.6 करोड़ डॉलर और आयात 51.0 करोड़ डॉलर था। अफगानिस्तान से भारत को किशमिश, अखरोट, बादाम, फिग, पाइन नट, पिस्ता, सूखी खुबानी और ताजा फल जैसे एप्रीकोट, चेरी, तरबूज और मेडिसनल हर्ब्स का निर्यात किया जाता है। भारत चाय, कॉफी, कपास और काली मिर्च का निर्यात अफगानिस्तान को करता है।
विस्तार ने अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र से गुजरने वाली दिल्ली-लंदन उड़ान रोकी
विस्तार ने अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र से गुजरने वाली दिल्ली से लंदन की उड़ान को फिलहाल बंद कर दिया है। काबुल पर रविवार को तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर आशंका जताई जा रही है। अफगानिस्तान के हवाईअड्डे को सोमवार को ‘अनियंत्रित’ घोषित कर दिया गया।
विस्तार के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा, ‘‘हमने अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल बंद कर दिया है। हम लंदन के हीथ्रो हवाईअड्डे तक या हीथ्रो हवाईअड्डे से वैकल्पिक मार्ग का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि, विस्तार ने स्पष्ट किया है कि वह दिल्ली-लंदन उड़ानों की संख्या घटाने नहीं जा रही है। पूर्ण सेवाप्रदाता दिल्ली-लंदन-दिल्ली मार्ग पर चार साप्ताहिक उड़ानों का परिचालन करती है।
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