नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने बचत खातों में तय लिमिट से कम पैसा पाए जाने पर 8 महीने में 1771 करोड़ रुपए का जुर्माना काटा है, यह रकम SBI की एक तिमाही में होने वाली शुद्ध कमाई से भी ज्यादा है। अब बैंक ने अपने ग्राहकों को जानकारी दी है कि बचत खातों में ऐसे 8 तरह के खाते हैं जिनमें लिमिट से कम पैसा पाए जाने पर बैंक किसी तरह का जुर्माना नहीं लगाता है, क्योंकि उन खातों पर मिनिमम मासिक बैलेंस की शर्त लागू नहीं होती है। इसके अलावा खबर है कि स्टेट बैंक मिनिमम बैलेंस में राहत दे सकता है। अभी तक शहरी ब्रान्च में मिनिमम बैलेंस की लिमिट 3000 रुपए है। सभव है कि बैंक मासिक औसत बैलेंस की जरूरत को तिमाही औसत बैलेंस में बदल दे।
SBI के मुताबिक जिन 8 तरह के खातों पर न्यूनतम मासिक बैलेंस की शर्त नहीं लगती है वहीं इस तरह से हैं, फाइनेशियल इनक्लूजन खाते, नो फ्रिल खाते, सेलरी पैकेज खाते, बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट खाते, छोटे खाते, पहला कदम या पहली उड़ान खाते, 18 वर्ष से कम आयूवर्ग के ग्राहकों के खाते और पेंशनर्स के खाते। इन 8 कैटेगिरी में कुछ ऐसी कैटेगिरी भी हैं जिनमें ग्राहक अपने सामान्य बचत खाते को बदलवा सकता है। ग्राहक अगर अपने सामान्य बचत खाते को बेसिक सेविंग बैंक डिपॉजिट खाते में बदलवाता है तो उसपर न्यूनतम मासिक बैलेंस की लिमिट लागू नहीं होगी।
इन खातों को छोड़ बैंक ने अन्य सभी बचत खातों पर पर न्यूनतम मासिक बैलेंस की शर्त लगाई हुई है जिसके तहत खाते में तय लिमिट से कम पैसा होने पर बैंक जुर्माना वसूलेगा। SBI के नियमों के तहत मेट्रो शहरों में बचत खातों में मिनिमम बैलेंस के तौर पर कम से कम 5000 रुपए, मेट्रो के अलावा दूसरे शहरों में कम से कम 3000 रुपए, सेमी अर्बन इलाकों की शाखाओं के खातों में कम से कम 2000 रुपए और ग्रामीण इलाकों की शाखाओं के खातों में कम से कम 1000 रुपए रखना जरूरी है, अगर रकम इस लिमिट से कम पायी जाती है तो बैंक को जुर्माना वसूलने का अधिकार है।
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