अमेरिका से आई बुरी खबर, सोमवार को भारतीय बाजारों में फिर मच सकता है हाहाकार
पिछले साल फेडरल रिवर्ज और भारतीय रिजर्व बैंक लगभग कदम ताल कर रहे हैं। वहां फेड अपनी दरें बढ़ाता है और यहां भारत में आरबीआई भी दरें बढ़ाता है।
भारत के लिए एक नई टेंशन सात समंदर पार से आई है। अमेरिका में महंगाई की दर फिर से सिर उठाने लगी है। ताजा रिपोर्ट आई है जिसमें बताया गया है कि अमेरिका में महंगाई फिर बढ़ी है और जनवरी में यह सालाना आधार पर 5.4 प्रतिशत रही। जबकि दिसंबर में इसमें 5.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। यह एक संकेत है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कीमतों का दबाव बना हुआ है और फेडरल रिजर्व इस साल ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रख सकता है। सिर्फ इस संकेत से भारतीय शेयर बाजार में भी असर देखने को मिल सकता है।
क्या है महंगाई को लेकर ताजा रिपोर्ट
वाणिज्य विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर से जनवरी तक उपभोक्ता कीमतें 0.6 प्रतिशत बढ़ीं। यह आंकड़ा नवंबर से दिसंबर के दौरान हुई 0.2 प्रतिशत की वृद्धि के मुकाबले काफी अधिक है। कीमतें सालाना आधार पर 5.4 प्रतिशत बढ़ी, जबकि दिसंबर में 5.3 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। रिपोर्ट के अनुसार उपभोक्ता व्यय पिछले महीने 1.8 प्रतिशत बढ़ा जबकि दिसंबर में इसमें गिरावट आई थी। शुक्रवार को आए आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के प्रयायों से बावजूद अर्थव्यवस्था उच्च मुद्रास्फीति की चपेट में है।
भारत के लिए क्यों है टेंशन
अमेरिका में महंगाई को थामने के लिए वहां का रिजर्व बैंक एक बार फिर ब्याज दरें बढ़ा सकता है। पिछले साल वहां महंगाई की दर 8 प्रतिशत के पार थी, जिसके बाद से ब्याज दरें लगातार बढ़ रही हैं। फेडरल रिजर्व महंगाई को 2 प्रतिशत के नीचे लाना चाहता है। ऐसे में अभी भी ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी की पूरी संभावना है। यदि वहां ब्याज दरें बढ़ती हैं तो भारत से निवेश निकलकर अमेरिका जाएगा, जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार और शेयर बाजार पर बुरा असर पड़ेगा।
भारत में भी बढ़ेंगी ब्याज दरें?
पिछले साल फेडरल रिवर्ज और भारतीय रिजर्व बैंक लगभग कदम ताल कर रहे हैं। वहां फेड अपनी दरें बढ़ाता है और यहां भारत में आरबीआई भी दरें बढ़ाता है। रिजर्व बैंक पिछले साल मई से लेकर फरवरी तक 2.5 प्रतिशत तक ब्याज दरें बढ़ा चुका है। इससे देश में सभी प्रकार के लोन महंगे हो गए हैं।
शेयर बाजार पर भी असर
अमेरिकी महंगाई और ब्याज दरों में बढ़ोत्तरी के डर से वहां के शेयर बाजारों में गिरावट दर्ज की जा सकती है। यदि ऐसा हुआ तो सोमवार को एशियाई बाजार और फिर भारतीय शेयर बाजार में भी गिरावट देखने को मिल सकती है। भारतीय शेयर बाजार पहले से ही अडानी संकट के चलते बीते एक सप्ताह से गिर रहे हैं और निवेशकों के लाखों करोड़ डूब चुके हैं।